कोदो एक प्राचीन मोटा अनाज है, जिसे ऋषि अन्न कहा जाता था। इसका वानस्पतिक नाम पास्पलम स्कोर्बीकुलातम है।
यह फसल कम वर्षा वाले इलाकों में उगाई जाती है। इसकी खेती मुख्यतः बारिश के मौसम के बाद होती है। भारत में डिण्डौरी, मंडला, सिवनी, और जबलपुर जैसे क्षेत्रों में कोदो उगाया जाता है।
कोदो को उबालकर चावल की तरह खाया जाता है। इसके दानों को कूटकर छिलके हटाए जाते हैं। इसे ‘भगर के चावल’ के नाम से उपवास में उपयोग किया जाता है।
8.3% प्रोटीन 1.4% वसा 65.9% कार्बोहाइड्रेट चावल से 12 गुना अधिक कैल्शियम और भरपूर आयरन।
मधुमेह, रक्तचाप, और मोटापे में फायदेमंद। आयरन और कैल्शियम की कमी को पूरा करता है। हृदय स्वास्थ्य और शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने में सहायक।
कोदो और रागी को आदिवासी इलाकों में मिश्रित रूप से उगाया जाता है। यह फसलें सूखा और जलभराव जैसी परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती हैं।