यह पोषण से भरपूर और बाजार में मांग वाली फसल है।
गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए उपयुक्त। हल्की दोमट और जल निकासी वाली मिट्टी में खेती बेहतर।
बुवाई: फरवरी से अप्रैल। कटाई: 6-8 महीने बाद।
नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरकों का उपयोग करें। जैविक खाद से उपज बेहतर होती है।
समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें। कीट और रोग नियंत्रण के लिए जैविक उपाय अपनाएं।
1 हेक्टेयर में लगभग 30-40 टन उपज। बाजार में ₹30-₹50 प्रति किलो तक का भाव।
स्वास्थ्यवर्धक और पोषण से भरपूर। आयरन और फाइबर का अच्छा स्रोत।
सूरन के बीजों को कवकनाशक से उपचारित करें। जल निकासी का उचित प्रबंध करें।