साइलेज हरा चारा सुरक्षित रखने का एक खास तरीका है। यह चारे की कमी के समय (अक्टूबर-दिसंबर और अप्रैल-जून) में पशुओं को पोषण देने में मदद करता है।
साइलेज बनाने के लिए ज्वार, मक्का, बाजरा, जई, नेपियर घास, और गिनी घास सबसे उपयुक्त हैं।
बंकर साइलो: पक्के फर्श और ईंट की दीवारों वाला स्थायी साइलो। पिट साइलो: गड्ढे के आकार का साइलो, जो ऊँची जगह पर बनता है।
हरे चारे को 50% फूल आने पर काटें। इसे 60-65% नमी तक सुखाकर 3-5 सेमी के टुकड़ों में काटें। साइलो में चारा भरने के बाद इसे अच्छी तरह दबाएं ताकि हवा न रहे।
यह पौष्टिक होता है और पशुओं को स्वादिष्ट लगता है। हरे चारे की कमी के समय भी पशुओं को पर्याप्त पोषण मिलता है। इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
चारा ज्यादा गीला या सूखा न हो। साइलो में पानी या हवा न जाने दें। गड्ढे को खोलने के बाद तुरंत बंद कर दें। साइलेज की महक अम्लीय होनी चाहिए, न कि दुर्गंधयुक्त।