जनवरी का महीना गेहूं की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह फसल के 'तिल्लीकरण चरण' का समय है। सही सिंचाई जड़ों तक पोषक तत्व पहुंचाकर फसल को स्वस्थ बनाने में मदद करती है।
मिट्टी की नमी की नियमित जांच करें। जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी लगे, तभी सिंचाई करें। इससे जलभराव से बचा जा सकता है।
ज्यादा पानी देने से जलभराव हो सकता है, जिससे जड़ों का विकास रुक जाता है और ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। पानी का सही मात्रा में उपयोग करें।
मौसम का पूर्वानुमान देखें। यदि बारिश होने की संभावना है, तो सिंचाई रोक दें, क्योंकि अतिरिक्त पानी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करें। यह पानी की बचत करता है और समान रूप से वितरण सुनिश्चित करता है।
सिंचाई से पहले खेत से खरपतवार को निकाल दें। खरपतवार पानी और पोषक तत्वों के लिए फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे उत्पादन कम हो सकता है।
सिंचाई के लिए सुबह जल्दी या शाम के समय को चुनें। इससे पानी के वाष्पीकरण की कमी होती है और फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है।
सिंचाई के साथ उर्वरक मिलाकर उपयोग करें। इससे पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होता है और फसल की पैदावार बढ़ती है।