किन्नू, संतरे और नारंगी का हाइब्रिड फल है। यह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। इसकी मिठास और स्वाद इसे उपभोक्ताओं के बीच खास बनाते हैं।
भुरभुरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी (pH 5.5-7.5) सबसे उपयुक्त है। फसल के लिए 13°C-37°C तापमान और 300-400 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है।
सबसे अच्छा समय: जून से सितंबर। पौधों के बीच 6×6 मीटर की दूरी। 60x60x60 सेमी आकार के गड्ढों में पौधारोपण करें।
पहली 3 साल: गोबर खाद (10-30 किग्रा) और यूरिया (240-720 ग्राम)। 4-7 साल: खाद और उर्वरक की मात्रा बढ़ाई जाती है। समय-समय पर शाखाओं की कटाई और पेड़ की साफ-सफाई जरूरी है।
ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग करें। जैविक कीटनाशकों का उपयोग रोग नियंत्रण के लिए करें।
दिसंबर से फरवरी के बीच फल तैयार होते हैं। प्रति हेक्टेयर 25-30 टन तक उत्पादन संभव है।
प्रति एकड़ ₹60,000 तक लागत और ₹90,000 या अधिक का लाभ संभव। जूस और अन्य उत्पादों में प्रोसेसिंग करके अधिक आय अर्जित की जा सकती है।