महिलाओं को ₹1,500 प्रति माह का अनुदान देने वाली इस योजना से महिलाएं कृषि कार्यों से दूर हुईं, जिससे कपास की खेती में मजदूरों की कमी हो गई है।
मजदूरों की कमी के कारण कपास की तुड़ाई की लागत ₹5 प्रति किलो से बढ़कर ₹9 प्रति किलो हो गई है, और आगे बढ़ने का अनुमान है।
FY24 में महाराष्ट्र में कपास उत्पादन 8 मिलियन गांठ तक सिमटने की उम्मीद है, जो पिछले वर्षों की तुलना में कम है।
कपास की बुवाई क्षेत्र भी घटकर 4 मिलियन हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले वर्ष के 4.2 मिलियन हेक्टेयर से कम है।
FY21 में देश का कुल कपास उत्पादन 35 मिलियन गांठ था, जो FY24 में 32.5 मिलियन गांठ होने की संभावना है।
योजना ने मजदूरों की मोलभाव की क्षमता को बढ़ाया है, जिससे तुड़ाई की कीमतें बढ़ी हैं, परन्तु यह समस्या अस्थायी मानी जा रही है।