रासायनिक उर्वरकों की जगह गोबर की खाद, कंपोस्ट, और हरी खाद का उपयोग करें।
टपक सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें ताकि पौधों को आवश्यकतानुसार पानी मिले और बर्बादी कम हो।
एक ही फसल को बार-बार न उगाएं। फसल चक्रीकरण से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
नीम का तेल, लहसुन की चाय, और अन्य प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करें ताकि कीटों का प्रकोप न हो।
पौधों के आसपास सूखे पत्ते या घास बिछाकर मल्चिंग करें, इससे नमी बनी रहती है और खरपतवार नहीं उगते।
अपनी जलवायु और मिट्टी के अनुसार स्थानीय सब्जियों की किस्मों को चुनें।
खेती से पहले मिट्टी की जांच कराएं और उसकी गुणवत्ता के अनुसार आवश्यक सुधार करें।