जैविक खाद का उपयोग

जैविक खादें, जैसे कि गोबर की खाद, कंपोस्ट और हरी खाद, मृदा में आवश्यक पोषक तत्व जोड़ती हैं और मृदा की संरचना को सुधारती हैं।

फसल चक्रण

अलग-अलग फसलों को बारी-बारी से उगाने से मृदा में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है और कीटों और बीमारियों से बचाव होता है।

मृदा परीक्षण

नियमित मृदा परीक्षण से यह पता चलता है कि मृदा में कौन से पोषक तत्वों की कमी है, जिससे आप उचित उर्वरकों का चयन कर सकते हैं।

ढकाव फसलों का उपयोग

ढकाव फसलें, जैसे कि दलहन और तिलहन, मृदा की उर्वरता को बढ़ाती हैं और मृदा क्षरण को रोकती हैं।

सिंचाई प्रबंधन

उचित सिंचाई तकनीकों का उपयोग करने से मृदा में जल निकासी सुधारती है और नमक के संचय को रोका जा सकता है।

हरी खाद

 हरी खाद फसलों को मृदा में मिलाकर उसे नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर बनाया जा सकता है।

मृदा कवर बनाए रखना

मृदा को खाली न छोड़ें, बल्कि हमेशा ढकाव फसलों या मल्च का उपयोग करें ताकि मृदा की नमी बनी रहे और क्षरण कम हो।

जीवाणु एवं कवक सुधार

मृदा में लाभकारी जीवाणु और कवक मिलाने से मृदा की जैविक गतिविधि बढ़ती है और पौधों की वृद्धि में सुधार होता है।

मृदा संरचना सुधार

मृदा को जुताई और ढीला करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है, जिससे जड़ों का विकास बेहतर होता है।

मृदा कंसर्वेशन

जैसे कि कंटूर प्लाउइंग और टेरेसिंग, मृदा कटाव को रोकने और जल संचयन में मदद करते हैं।