श्वेत क्रांति का उद्देश्य दूध उत्पादन में वृद्धि करना, उसकी मार्केटिंग और भंडारण में सुधार करना था। 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा ऑपरेशन फ्लड के रूप में इसकी शुरुआत हुई।
भारत में श्वेत क्रांति का श्रेय वर्गीज कुरियन को जाता है। उनकी नेतृत्व क्षमता ने देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया।
मौसम की अनिश्चितताओं के कारण किसानों को फसल हानि का सामना करना पड़ता था। दूध उत्पादन ने उन्हें वैकल्पिक आय का स्रोत प्रदान किया। डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की आय में वृद्धि हुई, जिससे उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आए।
महिलाओं को दूध उत्पादन, प्रसंस्करण और वितरण में सक्रिय रूप से भाग लेने का मौका मिला। श्वेत क्रांति ने महिलाओं को समाज में एक नई पहचान दी और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया।
दूध संग्रहण, भंडारण और वितरण का प्रबंधन सहकारी समितियों के माध्यम से किया गया। किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों को हटाने से अधिक मुनाफा किसानों तक पहुँचा।
श्वेत क्रांति के चलते भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया। देश को दूध के आयात की निर्भरता से मुक्ति मिली।
मवेशियों की उन्नत नस्लें और स्वास्थ्य सेवाएँ। कृत्रिम गर्भाधान और पशुओं के लिए बेहतर चारे की व्यवस्था। नवीन तकनीकों का समावेश।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिला। छोटे किसानों और पशुपालकों को स्थिर आय का स्रोत उपलब्ध हुआ।