भारतीय किसानों की मेहनत की वजह से भारत दुनिया के प्रमुख कृषि उत्पादक देशों में से एक बन गया है।
भारत के किसानों द्वारा की गई मेहनत ने भारत को कृषि क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष निर्यातकों में से एक बना दिया है।
इस लेख में भारतीय किसानों और भारत में कृषि क्षेत्र से जुड़े कुछ रोचक तथ्य साझा किए जाएंगे।
कृषि भारत की सबसे पुरानी आर्थिक गतिविधियों में से एक है। कृषि उत्पादन की बात करें तो भारत दुनिया के अंदर दूसरे स्थान पर है।
भारत 120 से अधिक देशों को कृषि उत्पाद, बागवानी उत्पाद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ निर्यात करता है। भारत में कृषि क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है। भारत में कृषि श्रम प्रधान है।
भारत में कृषि काफी हद तक मानसून पर निर्भर है और मानसून की अनिश्चितता के कारण भारतीय किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
भारतीय कृषि काफी हद तक रासायनिक इनपुट पर निर्भर है। 2018 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान लगभग 17% से 18% था। 2021 तक यह घटकर लगभग 14% रह गया है। अन्य क्षेत्रों का योगदान आगे बढ़ गया है।
स्वतंत्रता के दौरान और कई वर्षों तक, सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान अधिक था, लेकिन अब अन्य क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में योगदान के मामले में कृषि से आगे निकल गए हैं।
2018 तक, भारतीय कृषि ने तकरीबन 50% प्रतिशत कार्यबल को रोजगार प्रदान किया। कुल कृषकों में 30.33% तथा कृषि श्रमिकों में 40.67% महिलाएं हैं।
ये भी पढ़े: किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार का अहम कदम
कृषि उत्पादन के मामले में भारत के विश्व में शीर्ष पर पहुंचने के बावजूद भी भारतीय किसानों को अभी भी विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है,
जैसे ऋण चुकाने में असमर्थता की वजह से किसानों द्वारा आत्महत्याएं करना। भारत में कई किसान ऋण के लिए साहूकारों जैसे अनौपचारिक क्षेत्रों पर निर्भर हैं।
किसानों की हर एक पीढ़ी के बढ़ने के चलते किसानों के पास मौजूद जमीन का आकार निरंतर कम होता जा रहा है।
जमीन परिवार के सदस्यों के बीच छोटे-छोटे हिस्सों में बंटती जा रही है। भूमि जोत का आकार छोटा होने की वजह इतने छोटे भूखंडों पर कृषि करना अलाभकारी हो गया है।
यही वजह किसानों को रोजगार की तलाश में शहरी क्षेत्रों की तरफ पलायन करने पर मजबूर कर रही है। साथ ही, वे बदहाल स्थितियों में अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
ये भी पढ़े: केंद्रीय पशुपालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने 21वीं पशुधन गणना का शुभारंभ किया
भारत के किसानों ने विभिन्न कृषि तकनीकों को अपनाया है, जैसे गहन निर्वाह खेती, आदिम निर्वाह खेती और वाणिज्यिक खेती।
गहन निर्वाह कृषि पद्धति में खेती के लिए भूमि के एक छोटे से भूखंड का इस्तेमाल किया जाता है। वाणिज्यिक खेती में भूमि के बड़े भूखंडों का इस्तेमाल किया जाता है।
वाणिज्यिक खेती के माध्यम से उगाई जाने वाली फसलें जूट, चाय, कॉफी, गन्ना, कपास आदि हैं। वहीं, गहन निर्वाह खेती के माध्यम से उगाई जाने वाली फसलें चावल, दालें, तिलहन, मक्का और गेहूं हैं।
भारत के कुछ भागों में अभी भी आदिम निर्वाह खेती प्रचलित है। आदिम निर्वाह खेती में भूमि की उत्पादकता कम होती है, क्योंकि किसान आधुनिक साधनों या उर्वरकों का उपयोग नहीं करते हैं।
आदिम निर्वाह खेती भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों पर की जाती है। आदिम निर्वाह खेती में सामुदायिक या पारिवारिक श्रम का उपयोग होता है।
आदिम निर्वाह खेती को भारत के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। भारतीय किसानों द्वारा प्रयुक्त अन्य प्रकार की खेती में बागान कृषि, शुष्क भूमि खेती, आर्द्रभूमि खेती, सीढ़ीनुमा खेती, विस्तृत खेती आदि शामिल हैं।
ये भी पढ़े: भारतीय किसानों के बीच लोकप्रिय टॉप पांच मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर
भारत के टॉप 10 कृषि राज्यों में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, गुजरात शामिल हैं। विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए अलग-अलग राज्यों की रैंकिंग अलग-अलग है।