उत्तर प्रदेश सरकार कृषि यंत्रीकरण की समस्त योजनाओं के अंतर्गत कृषि यंत्र/कृषि रक्षा उपकरण, कस्टम हायरिंग सेंटर, हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग, थ्रेसिंग फ्लोर एवं स्मॉल गोदाम पर अनुदान प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है।
योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन हेतु बुकिंग 9 अक्टूबर को अपराहन 3:00 बजे से 23 अक्टूबर, 2024 की रात्रि 12:00 बजे तक जारी है।
कृषि यंत्रों पर अनुदान पाने हेतु आवदेन की बात करें तो विभागीय पोर्टल www.agriculture.up.gov.in पर 'यंत्र पर अनुदान हेतु बुकिंग करें।
लिंक पर क्लिक करने पर पूर्व से उपलब्ध मोबाइल नंबर पर ओ.टी.पी. प्राप्त करने का विकल्प होगा। यदि पोर्टल पर उपलब्ध मोबाइल नंबर बंद होगा, तो लाभार्थी के नए मोबाइल नंबर पर ओ.टी.पी. प्राप्त कर आगे की प्रक्रिया पूर्ण करने का विकल्प दिया जाएगा।
आवेदक द्वारा एक मोबाइल नंबर अपना अथवा अपने परिवार (नाता, पिता, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री एवं पुत्रवधू) के मोबाइल नंबर से ही आवेदन किया जा सकेगा।
सत्यापन के समय इसकी पुष्टि भी की जाएगी। ₹10,000 तक अनुदान वाले समस्त कृषि यंत्रों/कृषि रक्षा उपकरणों हेतु आवेदक कृषि विभाग के पोर्टल पर स्वयं बुकिंग कर सकेगा।
लेकिन, कृषि यंत्र का बिल, बुकिंग की तिथि से 10 दिन के अंदर पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। निर्धारित अवधि में विभागीय पोर्टल पर बिल अपलोड नहीं किए जाने की दशा में बुकिंग स्वतः निरस्त हो जाएगी और निरस्त बुकिंग के सापेक्ष पोर्टल पर अवशेष लक्ष्य प्रदर्शित हो जाएगा।
एक कृषक परिवार (पति अथवा पत्नी में कोई एक) को एक वित्तीय वर्ष में योजनांतर्गत उपलब्ध कराए जाने वाले कृषि यंत्रों में से अधिकतम किन्हीं दो यंत्रों हेतु ही अनुदान अनुमन्य होगा।
दो कृषि यंत्रों के अतिरिक्त संबंधित को ट्रैक्टर माउण्टेड सोयर के अतिरिक्त अन्य किसी यंत्र हेतु अनुदान की अनुमन्यता नहीं होगी।
समस्त कृषि यंत्रों पर मूल्य का अधिकतम 50 प्रतिशत एवं कस्टम हायरिंग सेंटर तथा हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग पर अधिकतम 40 प्रतिशत तथा फार्म मशीनरी बैंक पर अधिकतम 80 प्रतिशत अनुदान।
कस्टम हायरिंग सेंटर हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग फार्म मशीनरी बैंक के लाभार्थी को विभाग द्वारा निर्धारित दर पर कृषकों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराने का बॉण्ड भी भर कर देना होगा।
योजना के तहत कृषि यंत्रों के लिए कृषक, सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG), जो राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) एवं कृषि विभाग से संबंधित हों तथा एफ.पी.ओ. लाभार्थी होंगे।
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कस्टम हायरिंग सेंटर / हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग/फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए कृषक उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) का इस विज्ञापन के प्रकाशन तिथि से कम्पनी/सोसाइटी एक्ट में कम से कम एक वर्ष पूर्व पंजीकृत, विभाग के एफ.पी.ओ. शक्ति पोर्टल पर पंजीकृत एवं सक्रिय होना तथा सवस्य अंशधारकों की न्यूनतम संख्या 100 होना जरूरी ही नहीं अनिवार्य है।
इच्छुक लाभार्थियों/कृषकों द्वारा निर्धारित समयावधि में विभागीय पोर्टल पर लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होने की दशा में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कार्यकारी समिति के समक्ष विभागीय पोर्टल पर ई-लॉटरी के माध्यम से ब्लॉकवार लक्ष्यों के सापेक्ष लाभार्थी का चयन किया जाएगा।
ई-लॉटरी हेतु तिथि एवं समय की जानकारी आवेदकों को संबंधित जनपदीय उप कृषि निदेशक द्वारा स्थानीय समाचार पत्रों एवं अन्य माध्यमों के द्वारा अनिवार्य रूप से दी जाएगी।
आवेदन के समय ही कृषक को यंत्रवार निर्धारित बुकिंग धनराशि ऑनलाइन जमा करनी होगी। लक्ष्य अवशेष न रहने पर एवं ई-लॉटरी में चयनित न होने वाले संबंधित कृषकों को बुकिंग धनराशि वापस कर दी जाएगी।
₹10,001 से ₹1,00,000 तक अनुदान के कृषि यंत्रों हेतु बुकिंग धनराशि ₹2,500 होगी। वहीं, ₹1,00,000 से अधिक अनुदान के कृषि यंत्रों हेतु बुकिंग धनराशि ₹5,000 होगी।
ई-लॉटरी व्यवस्था में लक्ष्य के अनुरूप चयनित किए जाने वाले लाभार्थियों की संख्या के अतिरिक्त लक्ष्य के 50 प्रतिशत तक क्रमवार प्रतीक्षा सूची भी तैयार की जाएगी।
लाभार्थियों का चयन बुकिंग टोकन कंफर्म होने की तिथि से कृषि यंत्र क्रय कर विभागीय पोर्टल पर क्रय रसीद, यंत्रों की फोटो व सीरियल नंबर एवं संबंधित अभिलेख अपलोड करने हेतु अधिकतम 30 दिवस एवं कस्टम हायरिंग सेंटर, हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग एवं फार्म मशीनरी बैंक हेतु अधिकतम 45 दिवस का समय दिया जाएगा।
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निर्धारित मानक के यंत्रों को upyantratracking.in पोर्टल पर पंजीकृत यंत्र निर्माताओं द्वारा पोर्टल पर अपलोड इनवेन्ट्री में से किसी से भी क्रय करने की स्वतंत्रता होगी।
निर्धारित समयावधि ने यंत्र क्रय कर कृषि विभाग के पोर्टल www.agriculturs.up.gov.in पर बिल अपलोड न करने की स्थिति में आवेदन स्वतः निरस्त हो जाएगा तथा बनाई गयी प्रतीक्षा सूची में अगला आवेदक स्वतः चयनित हो जाएगा।
फर्मों को मूल्य का कम से कम 60 प्रतिशत धनराशि का भुगतान लाभार्थी के स्वयं के खाते से किए जाने पर ही अनुदान के भुगतान की कार्यवाही की जाएगी।
जो किसान लाभार्थी साक्षर नहीं है और जिन्हें चेक बुक जारी नहीं हो सकती है, वैसे कृषक लाभार्थी अपने परिवार के ब्लड रिलेशन (माता, पिता, भाई, बहन (अविवाहित), पुत्र, पुत्री (अविवाहित) एवं पुत्रवधू) के खाते से कृषि यंत्रों के क्रय हेतु फर्मों को लागत का कम से कम 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान किया जा सकता है।
कृषि यंत्र प्रकिया में शासनादेश संख्या 63/2024/717/12-2-2024 -100(05)/2014 दिनांक 08.07.2024 का परिपालन किया जाएगा। अधिक जानकारी हेतु अपने जनपद के उप कृषि निदेशक कार्यालय से आप संपर्क कर सकते हैं।
पराली जलाने के मामले सामने आने के बाद प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बेलर और सुपर सीडर जैसी मशीनों पर 50% प्रतिशत तक सब्सिडी देने की योजना शुरू की है।
वहीं, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसी), कॉमन हायरिंग सेंटर (सीएचसी) या अन्य संस्थाएं योजना के तहत कृषि उपकरणों की खरीद पर 80% प्रतिशत तक अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकती हैं।
राज्य सरकार की तरफ से किसानों को फसल अवशेष यानी पराली जलाने से रोकने के लिए “फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना” शुरू की है।
मुख्यमंत्री ने इस नई योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत किसान पराली प्रबंधन के लिए सरकारी बैंक से लोन भी उठा सकते हैं। इसी के साथ ही कृषि उपकरण की खरीद पर 50 से 80 फीसद सब्सिडी भी हांसिल कर सकते हैं।
यह योजना राज्य के सभी सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में शुरू की गई है। लोन चुकाने की समयावधि 5 वर्ष रखी गई है, जिसे 10 अर्द्धवार्षिक किस्तों में भी चुकाया जा सकता है।
अगर आप पंजाब के किसान हैं, तो आप पंजाब सरकार की ओर से शुरू की गई “फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना” के तहत फसल प्रबंधन के काम आने वाले कृषि यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इसके लिए आपको कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। आवेदन के लिए आपको जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे दस्तावेज इस प्रकार से हैं।
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व्यक्तिगत किसान के लिए दस्तावेज में आवेदक किसान का आधार संख्या विवरण, बैंक खाता विवरण सहित एक चेक, किसानों की सामान्य/एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणी की जानकारी देना जरूरी है।
इसके तहत किसान को आधार कार्ड, बैंक खाते का रद्द किया गया चेक, एससी प्रमाण-पत्र यदि लागू हो, आवेदक का फोटो आदि कागजात अपलोड करने होते हैं।
पंजीकृत किसान समूह/सहकारी समिति/पंचायत/कृषक उत्पादक संगठन (पंजीकृत) द्वारा आवेदन करते समय पैन नंबर, पंजीकरण प्रमाण पत्र, अध्यक्ष और किसी अन्य 2 सदस्यों का आधार विवरण, बैंक खाता विवरण, खाता संख्या आवेदक का नाम (खाता संख्या, आईएफएससी कोड, बैंक पता) आदि की जानकारी देना जरूरी होता है।
इन समूहों द्वारा पैन कार्ड, पंजीकरण प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक खाते का रद्द चेक, मुखिया का फोटो आदि दस्तावेज अपलोड करने जरूरी होते हैं।
अधिक जानकारी के लिए योजना की आधिकारिक वेबसाइट लिंक- https://agrimachinerypb.com/, हेल्पलाइन नंबर- +91 1725101674 (कार्य दिवसों के लिए) | +91 9877937725 | +91 8360899462 (सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक), योजना से संबंधित ईमेल : imspmbsupport@weexcel.in पर संपर्क करें।
सरसों भारत की प्रमुख रबी फसल है, जिसे मुख्य रूप से खाद्य तेल निकालने के लिए उगाया जाता है। सरसों की उन्नत किस्मों से किसान बेहतर उपज और उच्च गुणवत्ता वाला तेल प्राप्त कर सकते हैं।
इन किस्मों का सही इस्तेमाल करके खेती को अधिक फायदेमंद बनाया जा सकता है। इस लेख में हम आज आपको भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित सरसों की चार प्रमुख उन्नत किस्मों – पूसा डबल जीरो सरसों 31, पूसा सरसों 32 (LES-54), पूसा डबल जीरो सरसों 33 और पूसा डबल जीरो सरसों 34 (PM-34) के विषय में विस्तार से जानेंगे, जो कि कृषकों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो रही हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित यह भारत की पहली कैनोला गुणवत्ता वाली सरसों की किस्म है,
जिसमें इरूसिक अम्ल (Erucic Acid) की मात्रा 2% से कम और ग्लुकोसिनोलेट्स की मात्रा 230 PPM से कम होती है। इस किस्म से किसानों को बेहतर गुणवत्ता का तेल प्राप्त होता है।
इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू और उत्तरी राजस्थान में की जाती है। इसकी औसत उपज 23.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
जबकि 27.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक संभावित उपज हो सकती है। सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 41% होती है। इसके बीज छोटे और पीले होते हैं।
पौधे की लंबाई लगभग 198 सेमी होती है और यह अधिक फलियों वाली शाखाओं के साथ आता है, जिससे अधिक उपज मिलती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित यह एकल शून्य (Single Zero) किस्म है, जिसमें इरूसिक अम्ल की मात्रा 2% से कम होती है.
यह सूखे या कम पानी की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन देती है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका उत्पादन किया जाता है।
जो औसत उपज 27.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और 33.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर संभावित उपज प्रदान करती है। सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 38% होती है।
यह कम पानी वाली स्थिति में भी अच्छी पैदावार देती है। इसका पौधा कॉम्पैक्ट और मजबूत होता है, जिससे यह अधिक फलियां देती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित इस किस्म में इरूसिक अम्ल की मात्रा केवल 1.13% और ग्लुकोसिनोलेट्स की मात्रा 15.2 PPM होती है।
यह किस्म भी उच्च गुणवत्ता वाला तेल प्रदान करती है और सफेद रतुआ रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है। इसकी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में पैदावार की जाती है।
इस किस्म की औसत उपज 26.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और संभावित उपज 31.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। सरसों की इस किस्म में इरूसिक अम्ल की मात्रा कम होती है,
जिससे स्वास्थ्य के लिए यह लाभदायक है। तेल की मात्रा 38% तक होती है और यह सफेद रतुआ रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है। कम पानी की स्थिति में भी अच्छी उपज देती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा तैयार की गई यह एकल शून्य श्रेणी की किस्म है, जिसमें इरूसिक अम्ल की मात्रा केवल 0.79% होती है।
यह किस्म भी सूखे के प्रति सहनशील होती है और बेहतरीन उपज देती है। इसकी खेती राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में की जाती है।
अगर हम बात करें इसकी औसत उपज की तो वह 26.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और संभावित उपज 30.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
पूसा डबल जीरो सरसों 34 (PM-34) में इरूसिक अम्ल की मात्रा बहुत कम होती है। इस किस्म में तेल की मात्रा 36% होती है, जो आर्थिक रूप से फायदेमंद है। इसका पौधा लंबा और मजबूत होता है, जो अधिक फलियां देता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित सरसों की इन उन्नत किस्मों से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए सही समय पर बुवाई, उर्वरक का सही मात्रा में उपयोग, और सिंचाई का उचित प्रबंधन बेहद जरूरी है।
सरसों की बुवाई के दौरान एक हेक्टेयर में 3-4 किलो बीज का इस्तेमाल करना चाहिए। बीजों की बुवाई के दौरान पंक्ति से पंक्ति 30-45 सेमी, पौधे से पौधा 10-15 सेमी की दूरी अवश्य रखें। बीजों को मिट्टी में कम से कम 2.5-3.0 सेमी गहराई में बोएं।
सरसों की इन उन्नत किस्मों की बुवाई 15-20 अक्टूबर (समय पर बुवाई), 1-20 नवंबर (देर से बुवाई) होती है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का सही मात्रा में उपयोग करें।
सिंचाई की संख्या फसल की जरूरत और जल उपलब्धता के अनुसार तय करें। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 1 से 3 सिंचाई उपयुक्त होती हैं।
महिंद्रा समूह का अभिन्न भाग स्वराज ट्रैक्टर्स (Swaraj Tractors) ने 25HP सेगमेंट में Swaraj TARGET 625 लॉन्च किया है।
Swaraj TARGET 625 ट्रैक्टर 4WD और 2WD वेरिएंट्स में उपलब्ध रहेगा। स्वराज टारगेट 625 उन्नत तकनीक, शक्तिशाली प्रदर्शन और बेहतर ईंधन दक्षता के साथ आता है।
महिंद्रा समूह का भाग और भारत के सबसे तीव्रता से बढ़ते ट्रैक्टर ब्रांडों में से एक Swaraj Tractors ने अपने लोकप्रिय ‘Swaraj Target Range’ में एक नया मॉडल Swaraj TARGET 625 को लॉन्च किया है।
यह ट्रैक्टर 4WD और 2WD दोनों वेरिएंट्स में उपलब्ध होगा। यह ट्रैक्टर 25HP सेगमेंट में क्रांति लाने के लिए तैयार है। अपनी मजबूत ताकत, आधुनिक तकनीक और बहुउद्देश्यीय विशेषताओं के साथ यह ट्रैक्टर हल्के और कॉम्पैक्ट ट्रैक्टरों की श्रेणी में नए मानक स्थापित कर रहा है।
Swaraj TARGET 625 विशेषकर 2WD वेरिएंट में, उन किसानों के लिए एक शानदार विकल्प बनकर सामने आ रहा है, जो उन्नत खेती की तकनीकों को अपनाना चाहते हैं।
इसका शक्तिशाली प्रदर्शन और ऑपरेटर के लिए आरामदायक डिजाइन इसे खेती के बहुत सारे कार्यों के लिए आदर्श बनाता है, जैसे कि स्प्रेइंग और अंतर-फसल संचालन।
इसका कॉम्पैक्ट आकार और बेहतरीन फीचर्स इसे उत्पादकता बढ़ाने और फसलों का नुकसान कम करने में सहायक बनाते हैं।
Swaraj TARGET 625 अपनी श्रेणी का सबसे संकरा ट्रैक आकार और कम मोड़ने वाला रेडियस प्रदान करता है। किसान कठिनता वाली जगहों में भी सुगमता से काम कर सकते हैं और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।
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Swaraj TARGET 625 ट्रैक्टर की ईंधन दक्षता और उन्नत तकनीक, जैसे कि सिंक्रोमेश गियरबॉक्स, गियर शिफ्टिंग को आसान बनाती हैं और ट्रैक्टर चलाने का अनुभव बिल्कुल कार जैसा बना देती हैं।
Swaraj TARGET 625 ट्रैक्टर 83.1 Nm टॉर्क प्रदान करता है, जिससे यह ट्रैक्टर 600 लीटर तक के स्प्रेयर को आसानी से खींच सकता है, यहां तक कि कठिन कीचड़ वाले इलाकों में भी।
ट्रैक चौड़ाई 28, 32, या 36 इंच में समायोजित की जा सकती है, जिससे यह विभिन्न फसलों के लिए उपयुक्त बनता है। 980 किलोग्राम तक की भारी इम्प्लीमेंट्स को आसानी से उठाने की क्षमता।
यह सटीक गहराई नियंत्रण प्रदान करता है, जो खेती के औजारों के लिए बहुत उपयोगी है। साथ ही, 14.09 kW (18.9 HP) PTO पावर से स्प्रेइंग का काम बहुत ही प्रभावी होता है।
20% बड़ा डिज़ाइन, जिससे लंबे समय तक काम करने पर भी ट्रैक्टर ओवरहीट नहीं होता। कॉनस्टेंट मेश ट्रांसमिशन गियर शिफ्टिंग को आसान और सुचारू बनाता है।
चाबी से इंजन ऑन/ऑफ करने की सुविधा। बैलेंस्ड पावर स्टीयरिंग तंग जगहों में बार-बार मुड़ने पर थकान कम करता है। स्टाइलिश डिजिटल क्लस्टर कम रोशनी में भी बेहतर दृश्यता और उपयोग में आसानी।
2WD एक्सल विकल्प ट्रैक्टर के उपयोग की क्षमता और अनुप्रयोग को बढ़ाता है। इस ट्रैक्टर में 540 और 540E इकोनॉमी PTO मोड्स, हल्के उपकरणों के लिए ईंधन की बचत प्रदान करता है, जैसे अल्टरनेटर और वॉटर पंप।
स्वराज टारगेट 625 उन प्रगतिशील किसानों के लिए शानदार ट्रैक्टर है, जो अपनी खेती को नई तकनीक से जोड़कर अधिक उत्पादकता प्राप्त करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अक्टूबर को पीएम किसान सम्मान निधि की किस्त जारी करेंगे। भारत के 12 करोड़ से ज्यादा किसानों को इसका फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का करोड़ों किसानों को लाभ मिल रहा है।
इसलिए अब किसानों को इसकी अगली किश्त आने की प्रतीक्षा है। लेकिन, अब यह इंतजार खत्म होने वाला है। क्योंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अक्टूबर को 9.50 करोड़ किसान परिवारों के खाते में 2000-2000 रुपये ट्रांसफर करेंगे।
प्रधानमंत्री किसान पोर्टल पर 12 करोड़ से अधिक किसान इस योजना के लिए पंजीकृत हैं। मतलब 5 अक्टूबर को न्यूनतम ढाई करोड़ किसानों के खातों में 2000 धनराशि की नई किश्त आने वाली है।
पीएम किसान की सूची में आपका नाम है या कट गया है, इसे जानने के लिए किसानों को अपने गांव की सूची या स्टेटस की जांच करनी पड़ेगी। इसके लिए किसान भाईयों को कहीं पर जाने की जरूरत नहीं है। वह अपने मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर ही यह सूची देख सकते हैं।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसान भाई अपना नाम व अपने गांव के सभी लाभार्थियों की लिस्ट देख सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको पीएम किसान पोर्टल पर जाना होगा। इसके बाद नीचे लिखे स्टेप्स को फॉलो करते जाएं।
स्टेप 1: पीएम किसान पोर्टल (https://pmkisan.gov.in/) के होम पेज पर जाएं। "नाउ योर स्टेटस" नाम के बॉक्स पर क्लिक करें।
स्टेप 2: यहां "इंटर रजिस्ट्रेशन नंबर" के आगे अपना रजिस्ट्रेशन नंबर डालें और दिए गए कैप्चा कोड को भरकर "गेट ओटीपी" पर क्लिक करें। यदि आपको रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं पता है, तो "नाउ योर रजिस्ट्रेशन नंबर" लिंक पर क्लिक करें।
स्टेप 3: आपके मोबाइल पर ओटीपी आएगा। उसे डालकर "सबमिट" करें। इसके बाद आपका रजिस्ट्रेशन नंबर दिखाई पड़ेगा। इस नंबर को कॉपी करें और पहले चरण पर वापस जाएं।
स्टेप 4: अब एक नया पेज खुलेगा। यहां से आपको अपने राज्य, जिला, तहसील (सब-डिस्ट्रिक्ट), ब्लॉक, और गांव का चयन करना होगा। ड्रॉप-डाउन मेन्यू से इन सभी विवरणों का चयन करें और "गेट रिपोर्ट" पर क्लिक करें। इससे आपके गांव के सभी लाभार्थियों की सूची आपके सामने आ जाएगी।
सोयाबीन व कपास की खेती करने वाले कृषकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार की तरफ से राज्य के किसानों को सोयाबीन और कपास पर 5,000 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। प्रदेश के कृषकों को यह अनुदान खरीफ सीजन 2023 के अंतर्गत दिया जा रहा है, जिसकी प्रक्रिया प्रारंभ की जा चुकी है। योजना के अंतर्गत पहले चरण में राज्य के 49 लाख से ज्यादा पंजीकृत किसानों सोयबीन और कपास की फसल के लिए सब्सिडी जारी की गई है। राज्य सरकार की इस कल्याणकारी योजना का लाभ 96 लाख किसानों को पहुँचाया जाएगा। अन्य बचे हुए किसानों को भी शीघ्र ही दूसरे चरण में अनुदान की धनराशि प्रदान की जाएगी। हाल ही में राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान सब्सिडी वितरण के पहले चरण की शुरुआत की गई। राज्य सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी (DBT) के माध्यम से 49.5 लाख पंजीकृत किसानों के खातों में 2,398.93 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी शुक्रवार को जयपुर में फिक्की द्वारा आयोजित "राजस्थान मिलेट्स (मोटा अनाज) कॉन्क्लेव - 2024" के दूसरे संस्करण में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम की थीम "देश के मिलेट्स हब के रूप में उभरता हुआ राजस्थान" विषय पर संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में केंद्र सरकार और प्रदेश की भजनलाल सरकार बड़े पैमाने पर अन्न "मिलेट्स" को बढ़ावा दे रही है। बाजरा, जौ, मक्का एवं सरसों जैसे मोटे अनाज के उत्पादन में राजस्थान देश में अग्रणी है।
फिक्की मिलेट्स कॉन्क्लेव - 2024 को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि बाजरा हमारे कृषि एवं भौगोलिक परिदृश्य के मुताबिक आशाजनक भविष्य का प्रतीक है। इसमें उत्तम स्वास्थ्य के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने वाले आवश्यक पोषक तत्व विघमान होते हैं।
इसी के अंतर्गत 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के तोर पर मनाते हुए इसे प्रोत्साहन दिया गया। कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि श्री अन्न के लाभ ही लाभ हैं।
विशेषकर हमारे लघु किसानों को इससे काफी फायदे हैं। श्री अन्न से उनकी आय बढ़ने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि श्री अन्न का सेवन शारीरिक स्वस्थता को बढ़ाने का माध्यम है। श्री अन्न पोषकता से परिपूर्ण है, जिसे उगाने में किसानों को काफी कम खर्च करना होता है। इसके लिए उर्वरकों की आवश्यकता नहीं पड़ती, कम बारिश में भी इसकी बड़ी सुगमता से खेती की जा सकती है।
कम जोत वाले किसानों की आमदनी बढ़ाने, लोगों को स्वस्थ रखने व देश-दुनिया में भोजन की थाली में श्री अन्न को सम्मानजनक स्थान दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से वैश्विक मंच पर प्रस्ताव रखा, जिसका 72 देशों ने समर्थन किया और यूएन ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया।
भागीरथ चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में श्री अन्न की महत्ता का प्रसार हो रहा है। श्री अन्न से एग्री स्टार्टअप्स बढ़ने के साथ रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हो रही है। उत्पादन व उत्पादकता बढ़ने के साथ ही प्रोसेसिंग एवं निर्यात भी बढ़ेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने नई दिल्ली में क्रॉपलाइफ इंडिया के राष्ट्रीय सम्मेलन 2024 को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण के लिए शानदार कार्य किये जा रहे हैं। पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 9.26 करोड़ से ज्यादा किसानों को ₹21,000 करोड़ की धनराशि जारी की गई है।
दरअसल, नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में क्रॉपलाइफ इंडिया ने राष्ट्रीय सम्मेलन 2024 की मेजबानी की है। इसमें “भारतीय कृषि के विकास में फसल सुरक्षा उद्योग की भूमिका” पर प्रकाश डाला गया है।
सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं तथा हितधारकों को कृषि उत्पादकता बढ़ाने में नवाचारों, चुनौतियों और फसल संरक्षण के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाया गया है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस सम्मलेन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने संबोधित किया है।
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इस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुराम मेघवाल, कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर, डायरेक्टर- क्रॉप लाइफ इंडिया- डॉ. के.सी.रवि, अनिल कक्कर और अंकुर अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और हमारे जीवन का आधार भी है।
140 करोड़ देशवासियों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराना यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। किसान कृषि की आत्मा है और उसके प्राण भी हैं। इसलिए किसान कल्याण और कृषि के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शानदार कार्य किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले महत्वपूर्ण फैसले में 9.26 करोड़ से ज्यादा किसानों को पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 21000 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की है।
नमो ड्रोन दीदी योजना से महिलाओं को जोड़कर उन्हें मजबूत बनाने का कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से ड्रोन दीदी योजना का संचालन किया जा रहा है।
इसके अंतर्गत महिलाओं को ड्रोन खरीदने के लिए 8 लाख रुपए की सब्सिडी और ड्रोन चलाने का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना का लाभ स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं हांसिल कर सकती हैं।
केंद्र सरकार ने इस योजना के अंतर्गत बहुत सारे राज्यों में लगभग 3 हजार महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराने की योजना तैयार की है। इससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आमदनी बढ़ेगी और किसानों को भी इससे लाभ मिलेगा।
कृषि ड्रोन का कुल पैकेज 10 लाख रुपए का है। ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत चयनित लाभार्थी महिला को ड्रोन खरीदने के लिए 8 लाख रुपए का अनुदान और 2 लाख रुपए का बैंक ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
एक अनुमान के अनुसार, भारतभर में फिलहाल लगभग 10 करोड़ महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। बताया जा रहा है कि कृषि मंत्रालय ने योजना का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और जल्द ही योजना के तहत 14,500 स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इस साल अक्टूबर से दिसंबर तक 3,000 ड्रोन वितरित किए जाएंगे। इस संबंध में राज्यों को योजना से जुड़े निर्देश दिए जाएंगे और आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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सब्सिडी पर ड्रोन की खरीद के लिए सबसे ज्यादा खेती योग्य भूमि, सक्रिय स्वयं सहायता समूह और ऐसे क्षेत्र जहां नैनो फर्टिलाइजर का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, उन्हें अधिक प्राथमिकता दी जाएगी और उन क्षेत्रों को सबसे अधिक लाभ होगा।
बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत सबसे अधिक ड्रोन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के स्वयं सहायता समूह को दिए जाएंगे।
ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन दीदियों को डेटा एनालिसिस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा साथी महिला को ड्रोन रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस 15 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र में महिलाओं को ड्रोन से होने वाले कृषि कार्यों की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे समिति के वैज्ञानिक जुड़े रहेंगे, जिसमें देश के कृषि विज्ञान केंद्र भी अहम भूमिका निभाएंगे।
अगले महीने से इस योजना का काम तेजी से किया जाएगा। महिलाओं को ड्रोन के साथ ही ड्रोन किट भी प्रदान की जाएगी। इसमें एक ड्रोन बॉक्स, चार एक्स्ट्रा बैटरी, चार्जिंग हब तथा चार्जिंग के लिए जनसेट होगा।
महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें ड्रोन संचालन से डेटा विश्लेषण तक का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
प्रशिक्षण में महिलाओं को बताया जाता है कि कैसे कीटनाशक बचा सकती हैं। इसके अलावा ड्रोन से फसलों पर उर्वरक का छिड़काव और बीज बुवाई की तकनीक सिखाई जाती है।
इस योजना में चयनित होने पर महिला को 15 दिन का ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा करने पर महिला को ड्रोन दीदी का प्रमाण-पत्र दिया जाता है। वहीं जो महिला ड्रोन दीदी का काम करती है उसे प्रतिमाह 15,000 रुपए की सैलेरी भी दी जाती है।
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नमो ड्रोन दीदी योजना के लिए आवेदन के लिए कुछ पात्रता व शर्तें भी रखी गई हैं। योजना के तहत जो पात्रता व शर्तें रखी गई हैं। इसमें सबसे पहले आवेदन करने वाली महिला भारतीय नागरिक होनी चाहिए।
महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी होनी चाहिए। महिला की उम्र 18 साल से 37 साल के बीच होनी चाहिए। आवेदक कृषि गतिविधियों में शामिल होनी चाहिए।
ड्रोन दीदी योजना का लाभ लेने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आवेदन कर सकती हैं। योजना में आवेदन के लिए उन्हें जिन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है।
इनमें आवेदन करने वाली महिला का आधार कार्ड, आवेदक महिला का निवास प्रमाण-पत्र, आवेदक महिला का पैन कार्ड, आवेदक महिला का पासपोर्ट साइज फोटो, आवेदक महिला का ईमेल आईडी, महिला का स्वयं सहायता समूह का पहचान पत्र आदि।
नमो ड्रोन दीदी योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की एक कोशिश है। ड्रोन दीदी योजना के अंतर्गत ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक प्राप्त करने के पश्चात उन्हें ड्रोन खरीदने के लिए अनुदान व लोन प्रदान किया जाता है।
ड्रोन दीदी गांव में किसानों के खेत में ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक, बीज बुवाई, खाद व उर्वरक डालने जैसे कार्य प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज वसूल करके मोटी आमदनी की जा सकती है। ड्रोन दीदी कृषि ड्रोन की सेवाएं देकर किसानों के खेती के कार्य को सुगम बना सकती हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि की आगामी किस्त शीघ्र जारी की जा सकती है। इस योजना के अंतर्गत किसान भाई वर्ष में 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।
भारत में कृषि क्षेत्र का काफी महत्वपूर्ण योगदान है। साथ ही, देश की एक बड़ी जनसँख्या अपनी आजीविका के लिए इस पर आश्रित है। हालांकि, आज भी बहुत सारे लघु और सीमांत किसान आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
किसानों को इस मुश्किलों से उबरने में सहयोग करने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चालू की हैं, जिनमें से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक प्रमुख योजना है।
यह योजना फरवरी 2019 में प्रारंभ की गई थी, इस योजना का खास मकसद देश के छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद प्रदान करना है। योजना के तहत सरकार किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की आर्थिक मदद देती है।
यह धनराशि प्रत्यक्ष रूप से लाभार्थियों के बैंक खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए से तीन किस्तों में भेजी जाती है। प्रत्येक किस्त में 2,000 रुपये होते हैं। अब तक भारतभर के करोड़ों किसानों को इस योजना के अंतर्गत 17 किस्तों का लाभ प्राप्त हो चुका है।
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किसान अब 18वीं किस्त की प्रतीक्षा कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, केंद्र सरकार अक्टूबर में दिवाली से पूर्व 18वीं किस्त जारी कर सकती है। हालांकि, सरकार की तरफ से अब तक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलता है, जिनके पास अपने नाम पर कृषि भूमि पंजीकृत है। मतलब जो किसान दूसरों की जमीन पर खेती करते हैं, वे इस योजना का फायदा नहीं उठा सकते हैं।
योजना का प्रमुख उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उन्हें खेती से जुड़े खर्चों में राहत प्रदान करना है, ताकि वे अपनी कृषि गतिविधियों को बेहतर ढ़ंग से संचालित कर सकें और उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके।
भारत सरकार की यह योजना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें और खेती के प्रति उनका उत्साह बना रहे। इससे न केवल किसानों को लाभ मिलता है, बल्कि देश की समग्र कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरसों भारत की प्रमुख तिलहनी फसल है और यह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। किसानों द्वारा सरसों की बुवाई अक्टूबर के पहले हफ्ते से शुरू कर दी जाती है।
अधिकतर किसानों द्वारा सरसों के बीज की बुवाई देशी हल की मदद से 5-6 सेंटीमीटर गहरे कूडों में की जाती है। बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 20 सेंटीमीटर रखी जाती है।
सरसों उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश में प्रथम स्थान रखता है। भारत में सरसों के कुल उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी 46.06 प्रतिशत है।
राजस्थान में सरसों की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है, जिसको देखते हुए सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर भरतपुर में 13 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक बीज पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है।
इसमें किसानों को विभिन्न सरसों के उन्नत बीज अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसानों को उन्नत किस्म के यह बीज “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर दिए जा रहे हैं।
आईसीएआर-डीआरएमआर संस्थान भरतपुर द्वारा गिरिराज DRMRIJ-31, DRMR 150-35, DRMR 1165-40, NRCHB 101, राधिका DRMR 2017-15, बृजराज DRMRIC 16-38 सरसों की उन्नत किस्मों के बीज दिए जा रहे हैं।
इच्छुक किसान जो इन प्रमाणित किस्मों के बीजों को लेना चाहते हैं वे प्रात: 10.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर संस्थान से प्राप्त कर सकते हैं।
कृषक को बीज प्राप्त करने के लिए अपना आधार कार्ड अपने साथ लाना अनिवार्य है। बिना इसके बीज प्रदान नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा किसान अधिक जानकारी के लिए सुबह 10.00 से शाम 5.00 बजे तक मोबाइल नंबर 7597004107 पर संपर्क भी कर सकते हैं।
गिरिराज DRMRIJ-31 सरसों फसल की एक उन्नत और प्रमाणित किस्म है। सरसों की इस वैरायटी को वर्ष 2013-14 में अधिसूचित किया गया था।
इसे दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के कुछ अलग-अलग हिस्सों के लिए अनुशंसित किया गया है। इस सरसों किस्म में तेल की मात्रा 39-42.6 प्रतिशत तक की होती है। इसकी पैदावार क्षमता 23-28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की है।
यह भी सरसों की उन्नत किस्म है। सरसों अनुसंधान निदेशालय सेवर, भरतपुर (ICAR-DRMR) संस्थान द्वारा सरसों की इस किस्म को वर्ष 2020 में स्पॉन्सर किया गया था।
इस किस्म को बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के वर्षा आधारित क्षेत्रों में खेती करने के लिए अनुशंसित की गई है।
इन राज्यों के किसान सरसों की इस किस्म की खेती धान की कटाई के पश्चात करते हैं। इस सरसों की पैदावार क्षमता 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसमें तेल की मात्रा 39.8 प्रतिशत तक होती है।
आईसीएआर-डीआरएमआर संस्थान भरतपुर द्वारा, सरसों की यह किस्म 2020 में अधिसूचित की गई थी। सरसों की यह किस्म राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर के लिए अनुशंसित की गई है।
इसकी उत्पादन क्षमता 22-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 40 से 42.5 प्रतिशत तक होती है। यह सरसों किस्म 135-140 दिन में तैयार हो जाती है। सिंचित और असिंचित दोनों ही स्थितियों में सरसों की यह किस्म बेहतर पैदावार देती है।
आईसीएआर-डीआरएमआर द्वारा विकसित एनआरसीएचबी 101, पीली सरसों की संकर किस्म है। एनआरसीएचबी 101 (NRCHB 101), सरसों किस्म को 2008-09 में अधिसूचित की किया गया था।
यह सरसों किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, जेके, छत्तीसगढ़ और मणिपुर के लिए अनुशंसित की गई है।
सिंचित और वर्षा आधारित स्थिति के लिए सरसों की यह किस्म उपयुक्त है। सरसों की इस किस्म की औसत बीज उत्पादन क्षमता 1382-1491 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसमें तेल की मात्रा 34.6 से 42.1 प्रतिशत तक होती है। इसकी परिपक्वता अवधि 105-135 दिन की है।
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भारतीय सरसों डीआरएमआरआईसी 16-38 (बृजराज) किस्म 2021 में अधिसूचित की गई थी। यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान के कुछ भाग के लिए अनुशंसित की गई है।
सिंचित स्थितियों के तहत देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है। इसके पौधे की ऊंचाई 188 से 197 सेमी और बीज आकार 2.9 से 5.0 g है।
इस किस्म की परिपक्वता अवधि 120 से 149 दिन की है और इसमें तेल की मात्रा 37.6 से 40.9 प्रतिशत तक होती है। सरसों की डीआरएमआरआईसी 16-38 किस्म की उत्पादन क्षमता 1681 से 1801 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
इसमें अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा, सफेद जंग, तना सड़न, कोमल फफूंद और चूर्णी फफूंद कम है और एफिड का प्रकोप भी कम है।
सरसों की इस किस्म की पहचान वर्ष 2021 में की गई थी। इसे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर और राजस्थान के कुछ हिस्सों के लिए स्पॉन्सर किया गया है। सिंचित स्थिति में देर से बुआई के लिए सरसों की यह किस्म बेहतर है।
DRMR 2017-15 सरसों किस्म की औसत उत्पादन क्षमता 1788 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। इसके बीज में तेल की मात्रा 40.7 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म की परिपक्वता अवधि 120 से 150 दिन की है।
सरसों की इस किस्म में अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा, सफेद जंग, तना सड़न, कोमल फफूंद और चूर्णी फफूंद और एफिड का प्रकोप भी कम है।
मौसम विभाग के मुताबिक, 29 सितंबर तक भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। अनुमान यह है, कि आगामी 24 घंटों के दौरान पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी चक्रवाती परिसंचरणों के प्रभाव से कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है।
भारत के कई सारे इलाकों में हल्की बारिश से लेकर भारी बारिश का सिलसिला निरंतर जारी है। अगर देखा जाए तो पिछले दो दिन से दिल्ली और इसके आस-पास के अधिकांश क्षेत्रों में तापमान बढ़ने लगा है। तापमान में वृद्धि की वजह से जन-मानस को एक बार पुनः गर्मी का प्रकोप परेशान करने लगा है।
ऐसे में मौसम विभाग का कहना है, कि 26 सितंबर, 2024 तक कर्नाटक, रायलसीमा, उत्तर आंतरिक कर्नाटक, केरल और माहे में बरसात हो सकती है।
IMD की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, आगामी 24 घंटों के दौरान पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी चक्रवाती परिसंचरणों के प्रभाव से कम दबाव का क्षेत्र बनने की आशंका है।
मौसम विभाग के अनुसार, भारत के विभिन्न राज्यों में बारिश को लेकर ‘येलो अलर्ट’ जारी किया गया है। यह अनुमान है, कि आज से लेकर 29 सितंबर तक असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में छिटपुट भारी वर्षा की संभावना है।
साथ ही, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के भिन्न-भिन्न इलाकों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है।
IMD के अनुसार, 26 सितंबर तक मध्य महाराष्ट्र, कोंकण और गोवा में छिटपुट भारी से लेकर बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। ओडिशा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी वर्षा की संभावना है।
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मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, अगले दो दिनों तक सिवाय सौराष्ट्र और कच्छ और गुजरात के विभिन्न इलाकों में छिटपुट हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। इसके अलावा सप्ताह के दौरान तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में छिटपुट से लेकर मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
मौसम की परिस्थिति को लेकर मौसम विभाग का कहना है, कि कोंकण, गोवा और मराठवाड़ा में भिन्न-भिन्न जगहों पर भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है।
मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है।
इसके अतिरिक्त आज तेलंगाना, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और केरल के अलग-अलग इलाकों पर गरज के साथ तेज़ हवाएँ 30-40 किमी प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।
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