खेती-बाड़ी में आजकल बहुत सारे छोटे-बड़े कार्य आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किए जाते हैं। कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रों के संचालन का काफी अच्छा-खासा दबदबा है।
पोटैटो डिगर भी आलू की खोदाई करने वाला बेहद ही शानदार उपकरण है। पोटैटो डिगर मशीन की सहायता से किसान कम समय में ज्यादा भूमि के आलू की खोदाई कर सकते हैं।
पोटैटो डिगर हर तरीका से आलू उत्पादक किसानों का फायदा करता है। आलू की खुदाई पोटैटो डिगर मशीन से करने पर आलू की खेती से किसानों को काफी शानदार लाभ मिलता है।
बिहार सरकार कृषि यांत्रिकरण योजना के तहत राज्य के किसानों को 75% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है।
पोटैटो डिगर की कीमत की बात करें तो इसकी कीमत करीब 40 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक रहती है। अलग-अलग कंपनियों की अलग-अलग कीमत होती है।
ये भी पढ़ें: खेत की जुताई करने में बेहद कारगर है यह कृषि यंत्र
पोटैटो डिगर मशीन की अगर समय-समय पर ग्रीसिंग और साफ-सफाई की जाए तो यह काफी लंबे समय तक चलती है।
बिहार कृषि विभाग के सचिव का कहना है, कि "राज्य सरकार की तरफ से इस वर्ष कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत 186 करोड़ रुपए का अनुदान बहुत प्रकार के कृषि यंत्राें की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
आधुनिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार कृषि यंत्रों पर सब्सिडी की राशि को बढ़ाती जा रही है।
आगामी वित्तीय वर्ष में 250 करोड़ रुपए से अधिक राशि का अनुदान किसानों को दिए जाने का प्रस्ताव है। किसानों को समय पर क्वालिटी युक्त कृषि यंत्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।"
बिहार में कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत किसानों को 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर भारी छूट मिल रही है।
योजना के अंतर्गत सामान्य किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को 50 से 60 और 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
पोटैटो डिगर खरीदने वाले किसान राज्य के पोर्टल पर जारी सूची में अनुदान संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
पोटैटो डिगर के अलावा किसानों को कल्टीवेटर, डिस्क प्लाऊ, लेजर लैंड लेवलर मशीन, रीजर, पैडी ड्रम सीडर, हाथ से चलने वाला धान और गेहूं बुवाई यंत्र, आलू बुवाई की मशीन, रोटावेटर, दो प्रकार के पैडी ट्रांसप्लांटर, पावर टिलर, एमबी प्लाऊ, रेज्ड ब्लेड प्लांटर, मेजर थ्रेसर, आलू खुदाई मशीन और सिंचाई के पाइप आदि की खरीद पर छूट दी जा रही है।
साथ ही, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लैशर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, जीरो टिलेज, रिपर, स्कवायर बेलर, सेल्फ प्रोपेल्ड रीपर, दो प्रकार के ब्रश कटर, स्ट्रा रीपर और तीन तरह के रीपर कम बाइंडर, रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ बेलर और ट्रैक्टर से चलने वाले 6, 7 व 8 फीट के सुपर सीडर, स्प्रेयर, रॉकर स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, बूम स्प्रेयर व खाद डालने के लिए पोस्ट होल डीगर मशीन, चार प्रकार के चैफ कटर, पावर मेज थ्रेसर, फसल काटने के हाथ से इस्तेमाल किए जाने वाले औजार, अनाज रखने के लिए भंडारण और पावर वीडर पर अनुदान दिया जाता है।
इसके साथ ही थ्रेसर, मल्ट्रीक्रॉप थ्रेसर, धान का थ्रेसर, इलेक्ट्रिक वीडर और सेल्फ प्रोपेल्ड पावर पैडी वीडर पर भी अनुदान मिलता है।
इसी के साथ ही किसानों को मखाना पॉपिंग मशीन, मिनी दाल मिल, राइस मिल, मिनी तेल मिल, चेनसॉ, मोटर से चलने वाली आटा चक्की, हाथ से चलने वाली आटा चक्की, मोटर और पिस्टल से चलने वाली मशीन और इंजन से चलने वाली चाय पत्ती तोड़ने वाली मशीन पर भी भारी छूट दी जा रही है।
किसान बिहार सरकार की कृषि यांत्रिकरण योजना का लाभ उठाकर काफी कम कीमत पर पोटैटो डिगर मशीन सहित 75 तरह के कृषि यंत्र खरीद सकते हैं।
बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग की तरफ से पान विकास योजना जारी की गई है।
बिहार सरकार की इस शानदार योजना का मुख्य उद्देश्य मगही और देशी पान की खेती को प्रोत्साहन देना है।
राज्य सरकार की इस योजना की वजह से किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण और आधुनिक तकनीकों के विषय में जानकारी मिलेगी।
पान विकास योजना के तहत पान उत्पादक किसानों को आर्थिक तौर पर सहयोग प्रदान किया जाएगा।
ऐसे में पान की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए यह बहुत ही शानदार अवसर है। पान की खेती कर के किसान काफी अच्छा खासा लाभ उठा सकते हैं।
पान विकास योजना के तहत 50% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसमें इकाई लागत ₹70,500 प्रति 300m² और अनुदान लागत मूल्य का 50%, यानी अधिकतम ₹35,250 प्रति 300m² मिलेगा।
योजना का लाभ लेने हेतु रकवा सीमा न्यूनतम 100m² और अधिकतम 300m² होनी चाहिए।
ये भी पढ़े: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यूपी - एग्रीज परियोजना क्या है ?
बिहार सरकार की तरफ से शुरू की गई पान विकास योजना का लाभ FPC (Farmer Producer Company) के सदस्य और व्यक्तिगत किसान दोनों उठा सकते हैं।
ऐसे किसान जो किसी किसान उत्पादक संगठन से जुड़े हैं या व्यक्तिगत रूप से पान की खेती करना चाहते हैं, वे दोनों ही इस योजना के लिए पात्र हैं।
पान विकास योजना के अंतर्गत पात्र किसानों का चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। आवेदन करने वाले किसानों में से भाग्यशाली लाभुकों का चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा।
ये भी पढ़े: बागवानी सब्जियों की खेती के लिए 75% प्रतिशत तक अनुदान
पान विकास योजना के लिए इच्छुक किसान उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
पान विकास योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया गया है, इससे अधिकांश किसान इसका फायदा उठा सकते हैं।
पान विकास योजना के जरिए बिहार सरकार पान की खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। किसानों को पान की खेती पर छूट लेने के लिए जल्द से जल्द आवेदन करना होगा।
योजना में आवेदन करने के बाद किसानों छूट का फायदा उठाकर पान की खेती से अच्छा मुनाफा उठा सकते हैं।
भारत की केंद्र और राज्य सरकारों का सबसे बड़ा मकसद किसानों की आय को दोगुना करना है। इसके लिए हमेशा से सरकारें कल्याणकारी योजनाएं जारी करते रहते हैं।
अब इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को सशक्त बनाने के लिए एक नई परियोजना की शुरुआत की है।
उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग (UP-AGREES) परियोजना की शुरुआत कर कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन के दौरान कहा कि "उत्तर प्रदेश गेहूं, आलू, आम, अमरूद, मटर, मशरूम, तरबूज और शहद आदि के उत्पादन में देश में शीर्ष पर है।
योगी जी ने आगे कहा कि "देश के सब्जी उत्पादन में 15% और फल उत्पादन में 11% हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है।
UP-AGREES: 4 हजार करोड़ रुपये की यूपी एग्रीज परियोजना के लिए 2,737 करोड़ रुपये का लोन विश्व बैंक से मिला है, जबकि राज्य सरकार ने 1,166 करोड़ रुपये का अंशदान किया है"
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि "उत्तर प्रदेश में देश की करीब 17% जनसंख्या रहती है, वहीं खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान 23% से अधिक है। देश के खाद्यान्न निर्यात में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
ऐसे में यूपी एग्रीज (UP-AGREES) परियोजना प्रदेश के निर्यात की संभावनाओं को आगे ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी। यह किसानों और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए अच्छी शुरुआत है।
ये भी पढ़े: पीएम फसल बीमा योजना के लिए पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाई गई
अगर हम योगी सरकार की इस परियोजना के प्रमुख मकसद की बात करें तो कृषि और कृषि से जुड़े क्षेत्रों को चिन्हित करना, प्रमुख फसलों की उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि, विशिष्ट कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना, फसल तैयार होने के बाद प्रबंधन और बाजार समर्थन प्रणाली को विकसित करना है।
(UP-AGREES) परियोजना के पहले चरण में यूपी के आठ संभागों (कमिश्नरी) के 28 जिले चुने गये हैं। यह परियोजना की शुरुआत 2024-25 से और 2029-30 तक 6 सालों तक चलेगी।
आदित्यनाथ ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से उत्तर प्रदेश समग्र विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है।
इनमें कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र की प्रगति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है। यह कार्यक्रम उसी अभियान का एक हिस्सा है।
मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "UP-AGREES प्रोजेक्ट के जरिए अन्नदाता किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होने की वजह से उनके परिवार के खुशहाल जीवन एवं उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा।"
ये भी पढ़े: इस राज्य में शेडनेट हाउस बनवाने के लिए भारी छूट
योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई इस (UP-AGREES) परियोजना से किसानों को काफी हद तक आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी और खाद्यान सुनिश्चित होगा।
कृषकों को बागवानी की तरफ प्रोत्साहित करने के लिए बिहार सरकार ने अहम कदम उठाया है।
बिहार सरकार की तरफ से किसानों को सब्जियों का उत्पादन करने पर भारी अनुदान देने की घोषणा कर ड़ाली है।
बतादें, कि बिहार सरकार की तरफ से किसानों को तरबूज, खरबूज, करेला, कद्दू, मिर्च, भिंडी, नेनुआ, बैंगन आदि बागवानी फसलों की खेती करने पर 75% फीसद यानी 1 हजार से 10 हजार तक की सब्सिडी मुहैय्या करा रही है।
इच्छुक किसान सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस नालंदा पहुँचकर अनुदानित राशि पर बीज हांसिल कर सकते हैं।
आवेदक किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करें।
यह भी पढ़ें: महिंद्रा ओजा 3136 ट्रैक्टर छोटी जोत और बागवानी करने वाले किसानों की पहली पसंद
जायद में सब्जियों की खेती कर किसान काफी अच्छी उपज और मुनाफा हांसिल कर सकते हैं। ऐसे में बागवानी करने वाले किसानों के लिए यह योजना काफी कल्याणकारी है। जल्द से जल्द आवेदन कर किसान योजना का लाभ उठाएं।
केंद्र और राज्य सरकारें हमेशा से किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं जारी करती रही हैं। योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसान को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना होता है।
भारत सरकार किसानों को बागवानी की खेती करने के लिए प्रोत्साहन देने का कार्य करती हैं।
इसी कड़ी में बिहार सरकार ने बागवानी करने वाले किसानों के लिए नवीन और आधुनिक शेडनेट हाउस बनवाने पर भारी भरकम छूट प्रदान करने की घोषणा की है।
शेडनेट हाउस के माध्यम से किसान कई प्रकार की कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली बागवानी और फूलों की फसलों का उत्पादन कर सकते हैं।
शेडनेट हाउस जालीदार नेट के द्वारा बनाया गया एक ऐसा ढाँचा है जो फसल को समुचित मात्रा में धूप, नमी और हवा प्रदान करता है। शेडनेट की मदद से कृषकों को इन पौधों की सही से निगरानी और पैदावार में वृद्धि होती है।
बिहार सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत किसानों को शेडनेट हाउस के लिए 50% फीसद छूट देने का निर्णय लिया गया है। किसानों को शेडनेट हाउस की कुल लागत का आधा हिस्सा बिहार सरकार द्वारा दिया जाएगा।
बिहार सरकार की इस योजना का उद्देश्य बाजार में मिलने वाली अच्छी कीमतों की फसलों जैसे जरबेरा, गुलाब और अन्य सब्जियों की खेती करने के लिए किसानों को बढ़ावा देना है।
यह योजना किसानों को अपने कृषि कार्य को बढ़ाने और बेहतर ढंग से कम लागत में अधिक पैदावार दिलाने में सहयोगी भूमिका निभाएगी।
ये भी पढ़ें: प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानो को दी जाएगी 55% सब्सीडी
बिहार सरकार की तरफ से बागवानी कृषकों को मजबूत करने वाली इस योजना की जानकारी यह है, कि योजना के तहत आवेदन करने के लिए किसान बिहार सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पता कर सकते हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं बिहार सरकार के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर आपको आवेदन की प्रक्रिया, नियम और शर्तों से जुड़ी जरूरी जानकारी मिल जाएगी।
बिहार के मूल निवासी किसान जल्द से जल्द बिहार सरकार द्वारा दिए जा रहे शेडनेट हाउस स्थापना के लिए अनुदान का लाभ उठाएं और बागवानी फसलों का सुरक्षापूर्वक उत्पादन कर अच्छा मुनाफा भी हांसिल करें।
सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए काफी बड़ी खुशखबरी है। भारत के कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती करते हैं।
भारत सरकार ने महाराष्ट्र और राजस्थान के सोयाबीन उत्पादक किसानों को खरीद की समय-सीमा में बढोतरी कर किसानों को राहत दी है।
केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र राज्य के लिए सोयाबीन बिक्री की समय सीमा 31 जनवरी तक कर दी है।
वहीं, भारत सरकार ने राजस्थान सोयाबीन किसानों को इसकी बिक्री के लिए 4 फरवरी तक का समय दिया है।
भारत सरकार द्वारा प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत 4,892 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद की जा रही है। अब तक देशभर में 13.68 लाख टन सोयाबीन खरीदा गया है।
अगर हम सोयाबीन बिक्री की पहली समय सीमा की बात करें तो यह पहले क्रमशः 12 जनवरी और 15 जनवरी तक निर्धारित थी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको लेकर कहा कि "सरकार किसानों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
तेलंगाना से भी 25,000 टन की अतिरिक्त खरीद को मंजूरी दी गई है, जहां पहले ही 59,508 टन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा चुका है।"
किसान साथियों, अगर हम मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो वर्तमान में भारतभर में सोयाबीन की समकुल खरीद 13.68 लाख टन तक होने की खबर सामने आई है।
ये भी पढ़ें: सोयाबीन और कपास की खेती के लिए इस राज्य में मिल रहा मोटा अनुदान
भारत के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि "खरीद प्रक्रिया की निगरानी और समीक्षा के लिए कृषि भवन में हर सोमवार को साप्ताहिक बैठकें आयोजित की जाऐंगी।
भारत में इन बैठकों के अंतर्गत फसल की स्थिति, खरीद की प्रगति, मूल्य प्रवृत्ति और मौसम की स्थिति का आंकलन किया जाएगा।"
भारत सरकार द्वारा उठाए गए इस सराहनीय कदम से निश्चित रूप से किसानों की दिक्कत कम होंगी।
किसानों को सोयाबीन की खेती करने के लिए काफी प्रोत्साहन मिलेगा। सोयाबीन किसानों के लिए यह फैसला बेहद सहायक और आर्थिक बल देने वाला है।
भारत सरकार कृषकों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आई है। केंद्र सरकार ने रबी फसलों के बीमा पंजीकरण की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दिया है।
जानकारी के लिए बतादें, कि पहले अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2024 तक निर्धारित थी। परंतु, प्रतिकूल मौसम की स्थिति ना होने के चलते वर्तमान में कृषकों को बीमा पंजीकरण के लिए और ज्यादा वक्त मिल गया है।
इस फैसले से लाखों कृषकों को अपनी फसल का बीमा कराने का अवसर मिलेगा, जिससे वह प्राकृतिक आपदाओं और बाकी कई सारे जोखिमों से खुद की फसल को सुरक्षित रख पाएंगे।
कृषक भाइयों प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और रबी सीजन 2024-25 के तहत ऋणी किसानों के लिए फसल बीमा पंजीकरण की अंतिम तिथि अब 15 जनवरी 2025 तक बढ़ा दी गई है।
इस निर्णय से लाखों किसान लाभान्वित होंगे, जो पहले निर्धारित अंतिम तिथि के अंतर्गत किसी भी कारणवश अपनी फसल बीमा की पंजीकरण प्रक्रिया पूर्ण नहीं करा सके थे।
वहीं, पोर्टल पर फसल बीमा पंजीकरण का डेटा अपलोड करने की आखिरी तारीख 30 जनवरी निर्धारित की गई है।
ये भी पढ़े: मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत सोलर पंप सेट की स्थापना हेतु भारी छूट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2020 को किसानों के लिए पीएम फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया था।
इस योजना को लागू करने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदा से फसलों के नुकसान के लिए वित्तीय मदद प्रदान करना है।
जैसा कि हम सब जानते हैं, कि आँधी, तूफान, तेज बरसात, अधिक तापमान, नमी और पाले जैसी स्थिति में कृषकों की फसल को काफी ज्यादा क्षति पहुँचती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत इससे बचने के लिए कृषकों को काफी कम धनराशि देकर अपनी फसल का बीमा करवाने की सुविधा मिल जाती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा लेने के लिए आवेदक के पास कुछ आवश्यक दस्तावेजों का होना अनिवार्य है।
पीएम फसल बीमा योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए इच्छुक कृषक के पास आधार कार्ड, बैंक पासबुक, खसरा नंबर, बुवाई प्रमाण पत्र, गांव की पटवारी और भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज होने अत्यंत जरूरी हैं।
फसल का बीमा करवाने के उपरांत कवरेज के अंतर्गत अगर बीमित फसल को किसी भी तरह की हानि पहुँचती है, तो इसकी पूरी भरपाई का जिम्मा बीमा कंपनी करती है।
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत अनाज, बाजरा, दालें, तिलहन और अन्य बागवानी फसलों को भी कवर किया जाता है।
बतादें, कि इसके अंतर्गत धान, गेंहू, कपास, गन्ना, जूट, अरहर, मसूर, मूंग, चना, उड़द, लोबिया, मटर, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सूरजमुखी, तिल, सरसों, एंडी, तोरिया, कुसुम, अलसी, नाइजर सीड़स, केला, अंगूर, सेब, आम, संतरा, अमरूद, लीची, पपीता, अनानास, चीकू, इलायची, हल्दी, आलू, प्याज, अदरक, टमाटर, मटर और फूलगोभी की फसल भी शम्मिलित है।
ये भी पढ़े: रबी सीजन में इन फसलों की खेती से किसान अच्छा खासा उत्पादन उठा सकते हैं
पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत इच्छुक कृषक फसल बीमा कराने के लिए आज ही अपने नजदीकी बैंक शाखा से संपर्क करें।
किसान भाई ज्यादा जानकारी पाने के लिए आप PMFBY की आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in पर विजिट कर सकते हैं अथवा 14447 पर कॉल कर संपर्क कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, आप व्हाट्सऐप चैट बॉट नंबर 7065514447 पर संदेश भेजकर भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधी समस्त जानकारी हांसिल कर सकते हैं।
भारत सरकार ने नववर्ष के उपलक्ष्य में कृषकों को बड़ी खुशखबरी दी है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को वर्ष 2025-26 तक विस्तार देने का फैसला लिया है।
इसके साथ ही इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 824.77 करोड़ रुपये का एक अलग से कोष भी आवंटित किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। आइए आगे इस लेख में जानते हैं सरकार द्वारा उठाए गए अहम कदमों के बारे में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको किसानों के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण निर्णय बताया है। उन्होंने कहा, “नए वर्ष का पहला निर्णय हमारे देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है।
हमने फसल बीमा के लिए आवंटन बढ़ाने को मंजूरी दी है। इससे अन्नदाताओं की फसलों को और अधिक सुरक्षा मिलेगी और उनकी चिंता भी कम होगी।”
भारत सरकार ने फसल बीमा योजना/Fasal Bima Yojana का दायरा बढ़ाकर 4 करोड़ और किसानों को इसमें शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे अधिकांश कृषकों को फसल नुकसान के वक्त आर्थिक मदद मिल सकेगी।
इन योजनाओं के लिए 69,515 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह 2020-21 से 2024-25 के लिए निर्धारित 66,550 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
ये भी पढ़े: मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत सोलर पंप सेट की स्थापना हेतु भारी छूट
अगर यह अनुदान नहीं दिया जाता, तो बैग का मूल्य 1,525 रुपये तक पहुंच सकता था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह फैसला किसानों को सहूलियत देने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के भार को कम करने के लिए लिया गया है।
जानकारी के लिए बतादें, कि भारत सरकार ने फसल बीमा योजनाओं में तकनीकी नवाचार के लिए 824.77 करोड़ रुपये का कोष निर्धारित किया है। दरअसल, सरकार इसके अंतर्गत "यस-टेक" और "विंड्स" जैसी तकनीकी पहल लागू करेगी।
ये भी पढ़े: रबी सीजन में इन फसलों की खेती से किसान अच्छा खासा उत्पादन उठा सकते हैं
जानकारी के लिए बतादें कि पूर्वोत्तर राज्यों के कृषकों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। यहां केंद्र सरकार प्रीमियम अनुदान का 90% फीसद साझा करती है। 2024-25 को विंड्स के कार्यान्वयन का पहला वर्ष माना गया है।
भारत की पीएमएफबीवाई देश की सर्वोच्च फसल बीमा योजना है। इसके अंतर्गत फसलीय नुकसान अथवा क्षति से प्रभावित कृषकों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
केंद्र सरकार का कहना है, कि योजनाओं को कृषकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन योजनाओं को जारी कर रहे हैं।
इस फैसले से सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता और उनकी दिक्क़त परेशानियों के निराकरण की दिशा में की जा रही कोशिशें स्पष्ट होती हैं। यह कदम भारतीय कृषि और किसानों के लिए एक नवीन दिशा प्रदान करेगा।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषकों की आमदनी को दोगुना करने के लिए सरकार की तरफ से निरंतर कोशिश की जा रही हैं।
केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से कृषकों को बीज खरीदने से लगाकर फसल बिक्री तक विभिन्न प्रक्रियाओं में सहूलियत प्रदान की जाती है।
इसी कड़ी में राज्य सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए नव वर्ष 2025 में खेत में बोरिंग कराने वाले कृषकों को 80% प्रतिशत अनुदान देने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के अंतर्गत 30 हजार नए नलकूप लगाने का प्रस्ताव निर्धारित किया है। किसान भाई इस योजना का फायदा उठाकर सिंचाई के संबंधित आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
जल संसाधन विभाग द्वारा राज्य में मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना चलाई जा रही है। योजना के अंतर्गत किसानों को नलकूप, बोरिंग और पंपसेट की स्थापना पर अनुदान दिया जा रहा है।
सरकार अपने सात निश्चय-2 कार्यक्रम के अंतर्गत “हर खेत तक सिंचाई का पानी” पहुंचाना चाहती है।
बिहार राज्य में असिंचित क्षेत्र में 21,274 स्थलों को चिन्हित किया गया है। इस सर्वेक्षण के बाद निजी नलकूप के लिए 18,747, सामुदायिक नलकूप की मरम्मती के लिए 1646 एवं डगवेल हेतु 881 स्थल चिन्हित किए गए हैं। राज्य में कुल 30,000 नए नलकूप लगाने का प्रस्ताव है।
ये भी पढ़े: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना से जुड़ी संपूर्ण जानकारी
मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत आवेदन करने वाले किसान के पास अपने नाम से 40 डिसमिल जमीन होनी चाहिए।
इस योजना का लाभ लेने से पहले किसानों को अपने खर्चे पर खेत में बोरिंग करानी होगी। एक किसान एक ही बोरिंग एवं मोटर पंप सेट के लिए अनुदान प्राप्त कर सकता है।
न्यूनतम 15 मीटर गहराई तक बोरिंग करने पर ही अनुदान मान्य होगा।
बोरिंग स्थापना के बाद सरकार के अधिकारी जांच पड़ताल करेंगे, उसके बाद अनुदान का लाभ दिया जाएगा। इच्छुक किसान 15 जनवरी 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
सामान्य वर्ग के किसानों को 50 फीसदी, पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70 फीसदी और एससी-एसटी वर्ग के किसानों को 80 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। योजना का लाभ केवल बिहार राज्य के किसान उठा सकते हैं।
निजी नलकूल योजना में आवेदन के लिए आधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, कृषि योग भूमि के कागजात, भूमि प्रमाण पत्र, करंट रसीद की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा प्लॉट पर पहले से कोई बोरिंग नहीं होने के प्रमाण पत्र सहित किसी अन्य संस्थान से संबंधित नलकूप के लिए वित्तीय सहायता नहीं लेने का घोषणा पत्र, शपथ पत्र, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज के दो फोटो की जरूरत होगी।
ये भी पढ़े: योगी सरकार ने 'मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना' का अनावरण किया
बिहार की मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में बोरिंग कराते समय गहराई संबंधी नियमों का पालन करना होगा।
योजना के तहत कम एवं मध्यम गहराई के 70 मीटर तक के निजी नलकूपों एवं मोटर पंप के लिए अनुदान दिया जाएगा।
नलकूप का व्यास 4–6 इंच तक रखना होगा। बोरिंग के लिए 2–5 हॉर्सपावर का सबमर्सिबल मोटर पम्प/ सेंट्रीफ्यूगल मोटर पम्प लगाना होगा।
योजना के अंतर्गत किसानों को बोरिंग कराने तथा मोटर खरीदने पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
यह अनुदान दो चरणों में मिलेगा। प्रथम बार बोरिंग करके पानी का जलस्राव निकालने पर व दूसरी बार मोटर पम्प सेट क्रय करने के बाद (स्थापित कर चलाने पर)।
योजना के तहत किसानों को अनुदान प्रति मीटर की लागत पर दिया जाएगा, जो 1200 रुपए प्रति मीटर तय की गई है।
यह अनुदान किसान को उसके वर्ग के अनुसार मिलेगा। सामान्य वर्ग के किसान को 50% प्रतिशत का अनुदान मतलब प्रति मीटर 600 रूपये दिया जाएगा।
पिछड़ा वर्ग तथा अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70% फीसद यानी 840 रुपए प्रति मीटर अनुदान दिया जाएगा।
वहीं, एसटी और एससी के किसानों को लागत पर 80% प्रतिशत यानी 960 रुपए प्रति वर्ग मीटर की अनुदानित धनराशि दी जाएगी।
इस योजना के तहत मोटर पंप सेट पर सब्सिडी और सबमर्सिबल सेट दोनों के लिए अनुदान दिया जाएगा। यह सब्सिडी 2एचपी, 3एचपी, 5एचपी की मोटर के लिए मिलेगी।
सामान्य वर्ग को लागत का 50 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग/ अति पिछड़ा वर्ग को 70 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 80% प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है।
ये भी पढ़े: पीएम किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त कब जारी होगी ?
मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना के तहत हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना में आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
इच्छुक किसान 15 जनवरी 2025 तक आवश्यक दस्तावेज के साथ विभागीय पोर्टल mwrd.bih.nic.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
इस पोर्टल पर योजना से संबंधी संपूर्ण जानकारी भी उपलब्ध है। साथ ही, किसान विभागीय कॉल सेंटर 0612-2215605/06 पर कॉल कर संपर्क साध सकते हैं।
योजना में आवेदन करते समय किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, अन्यथा उनका आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा।
विभाग द्वारा चिह्नित स्थल पर ही किसानों को बोरिंग करवाना होगा। स्वीकृति के बाद 60 दिनों के अंदर बोरिंग गाड़ कर अनुदान दावा पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
निर्धारित अवधि के अंदर नलकूप नहीं होने और आवेदक को पोर्टल पर स्पष्ट कारण अंकित करते हुए इसकी सूचना विभाग को देनी होगी।
निर्माण सामग्री का क्रय किसान अपनी स्वेच्छा से करेंगे परंतु सामग्रियों की विशिष्ट भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप एवं सामग्रियों का देश में निर्मित होना आवश्यक होगा।
अधिकांश भारतीय किसान खेती से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर बागवानी की तरफ अपना रुख कर रहे हैं।
साथ ही, इसमें सफलता प्राप्त करके अधिक मुनाफा भी अर्जित कर रहे हैं। वहीं, बागवानी के लिए केंद्र और राज्यों की सरकार कृषकों को अनुदान प्रदान कर रही है।
अब इसी कड़ी में योगी सरकार ने कृषकों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
राज्य सरकार शिमला मिर्च की खेती के लिए कृषकों को 75% प्रतिशत तक अनुदान मुहैया करा रही है, जिसकी पंजीकरण प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।
शिमला मिर्च की खेती कृषकों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। क्योंकि, इसको तैयार होने में महज 75 दिनों का वक्त लगता है।
किसान इसकी उपज को बाजार में अच्छी कीमत पर बेचकर बेहतरीन मुनाफा कमा सकते हैं। इस वजह से कम लागत में बेहतरीन आय करने के लिए शिमला मिर्च की खेती करना किसानों के लिए शानदार विकल्प साबित हो सकती है।
शिमला मिर्च स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, इसमें अच्छी खासी मात्रा में पोषक तत्व विघमान होते हैं। शिमला मिर्च का सेवन करके विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर रखा जा सकता है।
साथ ही, स्वयं को तरोताजा रखने में भी सहायता मिलती है। भारतीय बाजार में शिमला मिर्च की काफी ज्यादा मांग रहती है, जिससे इसकी खेती किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने का कार्य कर सकती है।
ये भी पढ़ें: लुंगडू की सब्जी से होने वाले विभिन्न स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक मुनाफा
वित्त वर्ष 2024-25 में गंगा तटीय क्षेत्रों में 35 हेक्टेयर क्षेत्र में शिमला मिर्च की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खेती के लिए अब तक 90 कृषकों को रजिस्ट्रेशन उद्यान विभाग का पंजीकरण हो चुका है।
किसान इस योजना का फायदा उठाकर शिमला मिर्च की खेती से बेहतरीन उत्पादन हांसिल करके मालामाल हो सकेंगे।
आपको बतादें, कि शिमला मिर्च की खेती नवंबर से लेकर मार्च माह तक होती है। साथ ही, ऐसे में विभागीय कार्यालय में किसानों का पंजीयन लगातार चल रहा है।
ये भी पढ़ें: कीवी का सेवन करने से मिलने वाले अद्भुत लाभ जानकर आपको आश्चर्य होगा
किसानों को शिमला मिर्च की खेती करने के लिए 75% प्रतिशत तक की सब्सिड़ी दी जाएगी। रजिस्ट्रेड किसानों को विभाग के द्वारा शीघ्र ही बीज वितरण किए जाएंगे,
जिससे किसान समय से शिमला मिर्च की खेती से बेहतरीन उपज प्राप्त कर सकेंगे। प्रति हेक्टेयर में शिमला मिर्च की खेती करने पर तकरीबन किसान का 50,000 रुपये का खर्च आता है।
ऐसे में किसानों को 70% प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा। इससे किसान शिमला मिर्च की खेती से आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं।
डा. राजीव कुमार, संयुक्त निदेशक कृषि, चित्रकूट धाम मंडल ने मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने एग्रीस्टैक परियोजना के तहत किसानों की भूमि आधार मोबाइल नंबर और खतौनी को लिंक करने के लिए फार्मर रजिस्ट्री शुरू की है।
अंतिम तिथि 31 दिसंबर है लेकिन मंडल के आठ लाख किसानों में से केवल 6220 की रजिस्ट्री हुई है। पंचायत सहायक की ऐप में तकनीकी समस्याएं आ रही हैं।
सरकार योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने के लिए जल्द समाधान की तैयारी कर रही है।
मंडल के करीब आठ लाख किसानों में से 771623 किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है। जिसमें बांदा में 264402, चित्रकूट में 158094, हमीरपुर में 200543 व महोबा में 148584 किसान शामिल हैं।
पीएम किसान सम्मान निधि समेत सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए अब फार्मर रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य कर दी गई है।
जनवरी माह में किसानों को मिलने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त जारी होनी है। लेकिन, मंडल के चारों जिलो में अभी तक महज 6220 किसानों की फार्मर रजिस्ट्री हो सकी है।
जिसमें बांदा में 1450, चित्रकूट में 1518, हमीरपुर में 975 व महाेबा में 2277 किसानों की फार्मर रजिस्ट्री हुई हैं। अभी भी मंडल के 76 लाख पांच हजार 403 किसानाें की फार्मर रजिस्ट्री होना शेष है।
दरअसल किसानों में जमीन को लेकर हाेने वाले विवादों व एक ही नाम के दो या इससे ज्यादा होने की स्थिति में होने वाली परेशानियों को देखते हुए भारत सरकार ने एक एप तैयार किया गया है।
इसमें राजस्व विभाग के भूलेख विभाग से प्रत्येक समान नाम व पिता के नाम वाले किसानों का डाटा तैयार कर राज्य को आनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
फार्मर रजिस्ट्री से विवाद समेत अन्य प्रकरणों के सुलझाने में सुविधा मिलेगी। फिलहाल अभी किसानों को अभी किसान सम्मान निधि को लेकर चिंता सता रही है।
यदि समय से तैयार नहीं हो पाईं तो जनवरी में मिलने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का के लाभ से लाखों किसान वंचित रह जाएगें। एप में आ रही समस्या, जनरेट नहीं हैं आईडी
ये भी पढ़े: मध्यप्रदेश की बहनों का इंतजार खत्म, लाड़ली बहना योजना की 19वीं किस्त जारी
फार्मर रजिस्ट्री को लेकर किसान परेशान हैं। ग्राम पंचायतों के मिनी सचिवालय में लगे कंप्यूटर से किसानों की फार्मर रजिस्ट्री आनलाइन की जा रहीं हैं।
इसमें पंचायत सहायक की आईडी से ऐप का संचालन होना है। मंडल के ज्यादातर ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों की आईडी जनरेट नहीं हुई है।
मंडल में कुल 1409 ग्राम पंचायतें हैं। बांदा में 471, चित्रकूट में 335, हमीरपुर में 330 व महोबा में 273 ग्राम पंचायतें हैं।
इनमें तैनात पंचायत सहायक तैनात किये गये हैं, जिनके आईडी से फार्मर रजिस्ट्री की जानी है। लेकिन अभी तक मंडल 859 आईडी ही तैयार हो सकी हैं।
जिसमें बांदा में 300, चित्रकूट में 119, हमीरपुर में 207 व महोबा में 233 आईडी ही बन सकी हैं। जिनकी आईडी बनी है उनसे ऐप खुल तो जा रहा है पर उसमें समस्या आ रही है।
जिला |
फार्मर रजिस्ट्री |
बांदा |
1450 |
चित्रकूट |
1518 |
हमीरपुर |
975 |
महोबा |
2277 |
किसानों को सरकारी लाभ लेने के लिए फार्मर रजिस्ट्री करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। सर्वर में समस्या आ रही है।
कई जगह आईडी भी जनरेट नहीं हैं। जल्द ही आईडी तैयार करवाते हुए सर्वर की समस्या का समाधान करवाकर शिविर लगवाए जाएगें।
भारत सरकार देश भर के किसानों की आर्थिक सहायता करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती हैं। इनमें से एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना है।
इस योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति वर्ष 6000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। अब 19वीं किस्त आने वाली है और कई किसानों को इस बात का उत्सुकता से इंतजार है कि उन्हें यह पैसा कब मिलेगा।
आगे इस लेख में हम इन्हीं सब बातों की चर्चा करेंगे।
दरअसल, इस योजना का लाभ लघु एवं सीमांत कृषकों को मिलता है। इस योजना का लाभ पाने के लिए किसान के पास जमीन का मालिकाना हक होना चाहिए।
अगर आप पीएम किसान (PM Kisan Yojana) की अगली किस्त का लाभ लेना चाहते हैं तो आपके लिए ई-केवाईसी करवाना अनिवार्य है।
आप पीएम किसान पोर्टल pmkisan.gov.in पर या अपने नजदीकी सीएससी सेंटर जाकर इस काम को पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा आपको भू-सत्यापन यानी लैंड वेरिफिकेशन भी काम करवाना होगा।
अगर किसान ये जरूरी काम समय से करवाते हैं उन्हें अगली किस्त किस्त मिलेगी वरना उनके पैसे अटक सकती है।
जानकारी के लिए बतादें, कि किराये पर खेती करने वाले कृषक इस योजना का फायदा नहीं उठा सकते हैं। इसके अलावा सरकारी कर्मचारी भी इस योजना के दायरे से बाहर हैं।
पेंशन पाने वाले लोग भी इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं। ऐसे किसान जिन्होंने भू-सत्यापन और ई-केवाईसी का कार्य नहीं करवाया है, उनकी किस्त अटक सकती है।
इसके साथ ही अगर किसानों ने आधार लिंकिंग का काम नहीं करवाया है तो उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। आपको अपने बैंक में जाकर ये करवाना होगा तभी लाभ के पात्र होंगे।
वहीं, अगर आपने आवेदन फॉर्म या बैंक खाते की जानकारी में कोई गलती की है, तो आपकी किस्त अटक सकती है। इसलिए सभी जानकारी सही-सही भरें।
ये भी पढ़े: मध्यप्रदेश की बहनों का इंतजार खत्म, लाड़ली बहना योजना की 19वीं किस्त जारी
पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Yojana) के तहत किसानों को हर साल 2,000 की तीन किस्तों में लाभ दिया जाता है।
मीडिया के अनुसार, 19वीं क़िस्त अगले साल फरवरी के आसपास जारी होने की उम्मीद है। फिलहाल सरकार की तरफ से पीएम किसान योजना की 19वीं किस्त जारी करने की तारीखों का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।
सरकार आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी पीएम किसान पोर्टल पर देगी।
Real Stories, Real Results
Tractorchoice मेरे लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ है ! मैं एक विश्वसनीय ऑनलाइन प्लेटफार्म की तलाश में था जहाँ से मैं एक नया ट्रैक्टर खरीद सकूँ, Tractorchoice मेरी उम्मीदों पर खरा उतरा है ।
Sundar Singh
Farmer
Tractorchoice के साथ मुझे अपने पुराने को बेचने में काफी आसानी हुई । इस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से मैंने अपने ट्रैक्टर को सूचीबद्ध किया, और बहुत की कम समय में, मेरे पास कई enquiry आ गई थीं।
Rameshawar Dayal Sharma
Farmer
ट्रैक्टर की सर्विस कराने के लिए एक विश्वसनीय स्थान खोजने में मुझे पहले बहुत कठिनाई होता था, लेकिन जब मैंने tractorchoice के बारे में जाना, तब से मेरी ये समस्या हल हो गई ।
Sanjay
Farmer
I had a fantastic experience using TractorChoice to buy a new tractor. The platform had an extensive range of top brands, and the buying process was smooth
Puneet Srivastav
Farmer