भारत एक कृषि प्रदान देश है। देश की आधी से ज्यादा जनसंख्या खेती करती है। खेती के साथ साथ किसान पशुपालन भी करते हैं ताकि खेती के साथ पशुपालन से अच्छा मुनाफा कमा सकें।
भारत के किसान गाय और भैंस का पालन अधिक करते हैं। गाय की तुलना में भैंस के दूध में वसा अधिक होती है। इसलिए किसान भैंसो का पालन ज्यादा करते हैं। परंतु भैंस की तुलना में गाय का दूध अधिक गुणकारी होता है।
किसान अधिक मुनाफा कमाने के लिए भैंस का पालन करते हैं। भारत में भैंसो की कई नस्लें पाई जाती हैं। हमारे इस लेख में हम भैंसो की प्रमुख नस्लों के बारे में बताने वाले हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको भैंसो की टॉप 5 नस्लों के बारे बताने वाले हैं।
सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्लें
मुर्रा नस्ल
- ये नस्ल भारत की ही नहीं बल्कि संसार की सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस है। भारत में भी कई पशुपालक इस नस्ल का पालन करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं।
- मुर्रा नस्ल की भैंस का रंग गहरा काला होता है। गर्दन के मुकाबले इनका सिर हल्का होता है। मुर्रा भैंसों का सींग मुड़ा हुआ और छोटा होता है।
- इन भैंसों की चमड़ी पतली होती है। मुर्रा नस्ल भारी-भरकम और पूंछ लंबी होती है। मुर्रा भैंस की कटड़िया 3 साल की उम्र में बच्चे देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं।
- यह भैंस एक दिन में लगभग 15 से 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इस भैंस के दूध में 7 प्रतिशत वसा होती है। मुख्य रूप से इस नस्ल की भैंस हरियाणा, पंजाब में पाई जाती है।
- इसके दूध की बेहतर क्वालिटी के कारण इसे इटली, बुल्गारिया, मिस्र आदि देशों में भी पाला जाने लगा है। किसी भी भैंस को पालने के लिए पहले नस्ल की जानकारी अच्छी तरह से ले लें।
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भदावरी भैंस
- भारतीय डेरी व्यवसाय में घी का महत्वपूर्ण स्थान है। देश में उत्पादित दूध की सर्वाधिक मात्रा घी में परिवर्तित की जाती है। सुरती उनमें से महत्वपूर्ण नस्ल है, जो दूध में अत्याधिक वसा प्रतिशत के लिए प्रसिद्ध है।
- भदावरी भैंस के दूध में औसतन 13 प्रतिशत वसा पाई जाती है, जो देश में पाई जाने वाली भैंस की किसी भी नस्ल से अधिक है।
- इस नस्ल की भैंस का शारीरिक आकार मध्यम, रंग ताबिया तथा शरीर पर बाल कम होते हैं। टांगे छोटी तथा मजबूत होती हैं।
- घुटने से नीचे का हिस्सा हल्के चीले सफेद रंग का होता है। सिर के अगले हिस्से पर आँखों के ऊपर वाला भाग सफेदी लिए हुए होता है।
- गर्दन के निचले भाग पर दो सफेद धारियां होती हैं जिन्हें कंठ माला या जनेऊ कहते है। अयन का रंग गुलाबी होता है। सींग गोल आकार के होते हैं।
- भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी में भदावरी भैंस संरक्षण एवं संर्वधन परियोजना के तहत रखे गए भैंसों के समूह में सुरती भैंस के दूध में अधिकतम 13-14 प्रतिशत तक वसा पाई गई है।
- इस नस्ल की भैंस एक दिन में 8 -10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। इस भैंस का गर्भकाल 290 दिनों का होता है। नियमित एस्ट्रस चक्र और आसान गर्भाधान इसकी विशेषता है।
नीलीरावी भैंस
- इस नस्ल का जन्म स्थान मिंटगुमरी (पाकिस्तान) है। इस नस्ल का शरीर काला, बिल्ली जैसी आंखें, माथा सफेद, पूंछ का निचला हिस्सा सफेद, घुटनों तक सफेद टांगे, मध्यम आकार की होती है और भारी सींग होते हैं।
- यह एक दिन में औसतन 14 -16 लीटर दूध देती है और दूध में वसा की मात्रा 7 प्रतिशत होती है। सांड का औसतन भार 600 किलो और भैंस का औसतन भार 450 किलो होता है।
- इस नस्ल का उपयोग, भारी सामान खींचने के लिए किया जाता है।
जाफराबादी भैंस
- जाफराबादी नस्ल की उत्पत्ति गुजरात के जाफराबाद जिले से हुई है। इसी पर इसका नाम जाफराबादी पड़ा है।
- यह भैंस ज्यादातर गुजरात के भावनगर, जूनागढ़ अमरेली और पोरबंदर में पाली जाती है। जाफराबादी नस्ल सबसे श्रेष्ठ मानी जाने वाली नसों में से एक है।
- जाफराबादी भैंस (Jafarabadi buffalo) का मुंह शरीर की तुलना में छोटा होता है।
- इस भैंस के सींग भी बहुत भारी और घुमावदार होते हैं। जाफराबादी भैंस का रंग आमतौर पर काला होता है। इनकी त्वचा ढीली होती है।जाफराबादी भैंस के माथे गुंबद के आकार के होते हैं।
- जाफराबादी भैंस के माथे पर सफेद निशान होते हैं। जो इसकी असली पहचान मानी जाती है।
- जाफराबादी भैंस (Jafarabadi buffalo) अन्य भैंस की तुलना में सबसे ज्यादा दिन तक दूध देती है।
- जाफराबादी भैंस को व्यवसाय के लिए सबसे बेहतर माना जाता है।जाफराबादी से क्रॉस कराकर कई दुधारू नस्लें तैयार की जाती है।
- जाफराबादी सबसे वजनी भैंस मानी जाती है।यह भैंस 4 से 5 साल में बच्चे देने के लिए तैयार हो जाती है। इस भैंस में हर साल बच्चे देने की क्षमता होती है।
- जाफराबादी भैंस हर दिन 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती है।
मेहसाणा भैंस
- इस नस्ल की उत्पत्ति स्थान गुजरात है। इस नस्ल की भैंस दिखने में मुर्रा भैंस के जैसी ही होती हैं। इस नस्ल की त्वचा का रंग गहरा काला होता है और सींग छोटे और कम घुमावदार होते हैं।
- मेहसाणा भैंस प्रजनन में नियमितता, दूध के निरंतरता और कुशल दूध उत्पादन के लिए अच्छी तरह से जानी जाती है, जो स्पष्ट रूप से लंबे समय तक दूध देने के लिए जानी जाती है।
- भैंस की यह नस्ल एक मध्यम आकर का विनम्र जानवर होता है। ये भैंस प्रति दिन 10 -15 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है।
- इसके दूध में वसा भी अच्छी पाई जाती है।
पशुपालन का कारोबार शुरू करने से पहले किसान को उस पशु के रख रखाव की जानकारी होना बहुत आवश्यक है। क्योंकी अगर आप पैसे लगाकर पशु खरीदते हैं और आपको उस पशु के रखरखाव की सम्पूर्ण जानकारी नहीं है तो आपको बहुत नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए ये बात ध्यान रखने योग्य है की पशु को किस प्रकार की जलवायु में रहना पसंद है और उसका शरीर कितना तापमान सह सकता है। अगर आपको पूरी जानकारी होगी तो आप अपने कारोबार से बहुत मुनाफा काम सकते हैं।