किसान अपने काम को आसान बनाने के लिए एक मशीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे लागत कम लगेगी और पैदावार बंपर होगी।
रबी फसल के मौसम में किसान गेहूं की खेती करते हैं। इस समय नवंबर माह में किसान गेहूं की बुवाई कर रहे हैं। आधुनिक समय में अब किसान गेहूं की बुवाई हाथों से नहीं सीड ड्रिल मशीन से कर रहे हैं।
सीड ड्रिल मशीन में खाद-बीज रखकर ट्रैक्टर से गेहूं बुवाई की जाती है। सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करने से खाद और बीज दोनों की खपत कम होती है।
मशीन से बीजों को पंक्तियों में बोया जाता है। इससे पौधों को मिट्टी से पर्याप्त धूप और पोषक तत्व मिलते हैं।
इसीलिए किसान अब गेहूं की बुवाई मशीनों के द्वारा कर रहे हैं, जिससे गेहूं की पैदावार अधिक होती है।
जानकारी के लिए बतादें, कि सीड ड्रिल एक कृषि उपकरण हैं, जो फसलों के लिए बीज की बुवाई करता है।
वहीं, इस मशीन की बदौलत आप धान, बाजरा, मूंगफली, गेहूं, मक्का, मटर, मसूर, सोयाबीन, कपास, आलू, प्याज, लहसुन, सूरजमुखी, जीरा, चना आदि फसलों की बुवाई सुगमता से कर सकते हैं।
सीड ड्रिल मशीन में विभिन्न अलग-अलग घटक होते हैं। इसमें फ्रेम लगा होता है, जोकि लोहे से बना होता है, ताकि यह सभी प्रकार की कार्य स्थितियों में भारी भार उठाने के लिए सक्षम हो।
वही, सीड ड्रिल के अन्य सभी घटकों को फ्रेम में लगाया जाता है। इसके अलावा मशीन में सीड बॉक्स लगा होता है, जैसा कि नाम से पता चलता है, स्टील या लोहे से निर्मित एक संरचना या बॉक्स है जो बीजों को संग्रहीत करता है।
इस बॉक्स को नीचे लगाया जाता है। वहीं, सीड ड्रिल मशीन में बीज मीटरिंग तंत्र भी लगा होता है, जोकि बीज बॉक्स से बीज इकठ्ठा करता है और उन्हें बीज ट्यूब में फीड करता है।
इसमें आवरण यंत्र भी लगा होता है, जो बीजों की बिजाई के उपरांत बीजों को मिट्टी से ढकने का कार्य करता है।
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सीड ड्रिल के कार्यों की बात करें तो यह मशीन ट्रैक्टर की सहायता से खेत में चलती है। इससे लगभग सभी तरह के अनाजों की बुवाई की जा सकती है।
इससे प्याज लहसुन, आलू के बीजों की भी बुवाई की जा सकती है। धान की नर्सरी तैयार की जा सकती है। अदरक, हल्दी के बीजों की रोपाई आसानी से होती है।
यह खेत में बीज और उर्वरक एक साथ उचित मात्रा में बोने का काम करता है।
गेहूं की एचडी 2967 किस्म बुवाई के करीब 127 से 160 दिनों के पश्चात (औसत 143 दिन) में फसल की कटाई के लिए पककर तैयार हो जाती है।
इस उन्नत किस्म की औसतन उपज प्रति एकड़ 20.4 क्विंटल तक रहती है। इस वजह से किसान गेहूं की बुवाई मशीनों की मदद से करते हैं, जिससे उत्पादन भी ज्यादा हो और लाभ भी अच्छा खासा मिले।