गेंहू की बुवाई में जीरोटिल सीड ड्रिल और सुपर सीडर मशीन बेहद उपयोगी

By: tractorchoice Published on: 12-Nov-2024
गेंहू की बुवाई में जीरोटिल सीड ड्रिल और सुपर सीडर मशीन बेहद उपयोगी

गेहूं की बुवाई का समय चल रहा है। गेहूं की बुवाई में संरक्षण मशीनों की अहम भूमिका होती है। 

यह मशीनें मिट्टी, पानी और अन्य संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद करती हैं, जिससे पर्यावरण पर काफी कम प्रभाव पड़ता है। 

साथ ही, किसानों की लागत में भी कम होती है। संरक्षण कृषि का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करना और बुवाई की प्रक्रिया को अधिक टिकाऊ बनाना है। 

प्रमुख संरक्षण मशीनों की जानकारी दी जा रही है, जो गेहूं की बुवाई में काफी बड़े पैमाने पर उपयोग की जाती हैं।

जीरोटिल सीड ड्रिल / Zero till seed Drill

जीरो टिल सीड ड्रिल एक बेहद शानदार कृषि उपकरण है, जिसका उपयोग बिना जुताई किए सीधे बिजाई के लिए किया जाता है। 

यह मशीन विशेष रूप से धान की कटाई के बाद खेत तैयार किए बिना गेहूं और अन्य फसलों की बुवाई में उपयोगी होती है। 

इससे मृदा की संरचना बरकरार रहती है। साथ ही, समय की बचत होती है और फसल चक्र तेजी से पूरा होता है। 

इसके लिए 40-55 एचपी ट्रैक्टर उत्तम होता है। यह यंत्र बेहतर अंकुरण के लिए सटीक गहराई और दूरी पर बीज बोने का कार्य करता है।

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जीरोटिल सीड ड्रिल के कार्य 

यह कृषि यंत्र जुताई की आवश्यकता को समाप्त कर श्रम और समय की बचत करता है। पराली जलाने की समस्या का समाधान, जिससे वायु प्रदूषण में कमी होती है। 

साथ ही, यह मिट्टी की नमी और उर्वरता को संरक्षित रखता है। इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में भी कमी आती है। 

सुपर सीडर / Super Seeder

सुपर सीडर एक आधुनिक कृषि मशीन है, जिसका इस्तेमाल गेहूं की बुवाई के दौरान फसल अवशेषों को मृदा में मिलाने के साथ-साथ बीज बोने के लिए किया जाता है। 

यह मशीन विशेष रूप से धान की फसल के बाद खेतों में बचे हुए अवशेषों (पराली) को जलाने की समस्या का समाधान करती है। इसके लिए 45-60 एचपी ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती है। 

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सुपर सीडर के मुख्य कार्य 

सुपर सीडर धान की पराली को खेत में ही काटकर मिट्टी में मिलाता है। यह फसल अवशेषों को हटाए बिना गेहूं के बीजों की बुवाई करता है। 

बीज की गहराई और दूरी सही बनाए रखता है, जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है। 

साथ ही, श्रम और समय की बचत, बेहतर फसल उत्पादन, पराली जलाने की आवश्यकता समाप्त करना, जिससे प्रदूषण में कमी, पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन, मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार भी शामिल हैं।

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