भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से बदलते मौसम को देखते हुए फसलों के लिए परामर्श
By: tractorchoice Published on: 28-Aug-2023
किसान भाइयों खरीफ का सीजन चल रहा है इस समय मौसम में बहुत बदलाव देखने को मिलता है। निरंतर मौसम में बदलाव होने के कारण किसानों को अपनी फसलों का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है जिससे की वे अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं।
यहां आप भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से बदलते मौसम को देखते हुए बताये गए फसल परामर्श के बारे में जानेंगे।
धान की फसल के लिए परामर्श
धान के खेत में पानी जमा रखें और खेत में पानी सूख जाने के 2 दिन बाद सिंचाई करें।
धान के जिन खेतों में तना छेदक के कारण 5% से अधिक मृत कीड़ो के लार्वा दिखाई देती हैं, उनमें 60 मिलीलीटर कोराजन 18.5 एससी या 20 ml या फेम 480 एससी या 50 ग्राम ताकुमी 20 डब्लूजी या 1 लीटर कोरोबैन/डर्स्बन/लीथल/क्लोरगार्ड/डरमेट/क्लासिक/फोर्स 20 ईसी आदि में से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव किया जाना चाहिए।
इनमें से किसी भी एक कीटनाशक को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कपास की फसल के लिए परामर्श
बीटी कपास में पैराविल्ट विकार को नियंत्रित करने के लिए कोबाल्ट क्लोराइड @ 10 मिलीग्राम प्रति लीटर पानी (10 पीपीएम) का छिड़काव लक्षण प्रकट होने के तुरंत बाद किया जाना चाहिए जिससे की अच्छा नियंत्रण प्राप्त हो सके।
कपास जैसिड को नियंत्रित करने के लिए 300 मिलीलीटर कीफुन 15 ईसी या 80 ग्राम उलाला या 60 ग्राम ओशीन 20 एसजी या 40 मिलीलीटर कॉन्फिडोर आदि में से किसी एक कीटनाशक का 150 पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कपास और मूंग जैसी अन्य वैकल्पिक मेजबान फसलों पर सफेद मक्खी का नियमित सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए पत्ती मोड़न से प्रभावित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
सफेद मक्खी की जनसंख्या आर्थिक सीमा स्तर (सुबह 10 बजे से पहले प्रति पत्ती छह वयस्क) पर पहुँच जाती है तो इसको नियंत्रित करने के लिए
400 मिलीलीटर सेफिना 50DC (एफिडोपाइरोफेन) या 60 ग्राम ओशीन 20 एसजी (डाइनोटेफ्यूरान) या 200 ग्राम पोलो 50 डब्ल्यूपी (डायफेनथियूरॉन) आदि में से किसी एक कीटनाशक को 100 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
गुलाबी सुंडी को नियंत्रित करने के लिए प्रति एकड़ 300 मि.ली. डेनिटोल या प्रोक्लेम 5 एसजी का प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
कपास की फसल में समय-समय पर लीफ कर्ल वायरस संक्रमित पौधे को उखाड़कर नष्ट कर दें।
निर्देशानुसार 100 लीटर पानी में 500 मिली ग्रैमैक्सोन 24 एसएल या 900 मिली स्वीप पावर बी5 एसएल का छिड़काव करें, इसका छिड़काव तब करें जब फसल लगभग 40-45 सेमी लंबी हो और छिड़काव फसल के नीचे की पंक्तियों के बीच में खरपतवार नियंत्रण के लिए ही करें।
फसल के ऊपर खरपतवारनाशी गिरने से फसल को सटी हो सकती है इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें की छिड़काव करते समय स्प्रेयर की नोजल नीचे ही रहें।
गन्ने की फसल के लिए परामर्श
स्मट रोग को नियंत्रित करने के लिए स्मट रोगग्रस्त गुच्छों को उखाड़कर जला दें या गहरा गाड़ दें।
ट्राइकोग्रामा द्वारा परजीवीकृत (सात दिन पुराने) कोरसीरा सेफालोनिका के 20,000 अंडों वाले ट्राइको-कार्ड का उपयोग करें।
तनाछेदक को नियंत्रित करने के लिए 10 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ चिलोनी डालें।
चौड़ी पत्ती के खरपतवार नियंत्रण करने के लिए, 200 लीटर पानी में 2, 4-डी सोडियम नमक 80WP का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें।
मक्का की फसल के लिए परामर्श
मक्का की फसल में इष्टतम नमी स्तर पर अंतरपंक्ति खेती के लिए ट्रैक्टर चालित उपकरणों का उपयोग करें।
मक्का की फसल में 3 प्रतिशत यूरिया घोल के साप्ताहिक दो छिड़काव से खड़े पानी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
बाढ़ समाप्त होने के बाद मध्यम की स्थिति में प्रति एकड़ 12-24 किलोग्राम (25-50 किलोग्राम यूरिया) की दर से अतिरिक्त नाइट्रोजन ड़ालकर गंभीर क्षति को भी कम किया जा सकता है ।
फॉल आर्मीवर्म को नियंत्रित करने के लिए, मक्का की फसल पर कोराजन 18.5 एससी @ 0.4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
प्रभावी नियंत्रण के लिए स्प्रे नोजल को व्होरल की ओर निर्देशित करें।
बागवानी फसलों के लिए परामर्श
सब्जियों के लिए अधिकतम उपज खीरे टमाटर, मिर्च, बैंगन और भिंडी जैसी अन्य सब्जियों की कटाई नियमित अंतराल पर करें।
लौकी, स्पंज लौकी, करेला, ऐश लौकी, टिंडा की बुआई के लिए प्रति एकड़ 2 किलोग्राम बीज का उपयोग करें और 1.0 किलोग्राम बीज का उपयोग करें। भिंडी में जैसिड को 80 मिलीलीटर नीम आधारित जैव-कीटनाशक के साथ 15 दिनों के अंतराल पर एक या दो बार छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है। इसके आलावा प्रति एकड़ 100 लीटर पानी में इकोटिन (एजाडिरेक्टिन 5%) का छिड़काव करने से भी अच्छा नियंत्रण प्राप्त होता है।
इस समय फूलगोभी की अगेती किस्मों की बुआई की जा सकती है।
फलों के पेड़ के लिए परामर्श
फल मक्खी के प्रबंधन के लिए नाशपाती के बगीचों में प्रति एकड़ 16 जाल की दर से फल मक्खी जाल लगाएं।अमरूद के बागों में वर्षा ऋतु के फल पकने के करीब हैं। फलों को फल मक्खी के संक्रमण से बचाने के लिए फल मक्खी जाल भी लगाए जा सकते हैं।
इस मौसम में अलग-अलग अमरूद के फलों को गैर-बुने हुए थैलों से ढकने का काम भी किया जा सकता है।
इस समय सदाबहार पौधों जैसे नींबू, अमरूद, आम, लीची, चीकू, जामुन, बेल, आंवला आदि का लेआउट और रोपण आरंभ किया जा सकता है.
नींबू वर्गीय फलों में फाइटोफ्थोरा के प्रबंधन के लिए यह आदर्श समय है, इसके प्रबंधन के लिए मिट्टी को रिडोमिल गोल्ड या कर्ज़ेट एम8 से गीला करें।
इस माह में @ 25 ग्राम/10 लीटर पानी/पेड़ और सोडियम हाइपोक्लोराइट 5% @ 50 मि.ली. प्रति पेड़ घोलकर छिड़काव करें।
गंभीर संक्रमण मामले में पेड़ों के तलहटी और बेसिन क्षेत्र में स्प्रे किया जाना चाहिए
अमरूद में फल मक्खी को नियंत्रित करने के लिए संक्रमित फलों को मिट्टी में कम से कम 60 सेमी गहरा दबा कर नष्ट कर दें।
पशुपालन के लिए परामर्श
मौसम में बदलाव जैसे नमी की स्थिति के कारण पशु को शेड और साफ क्षेत्र में रखना चाहिए।
शेड के आसपास के क्षेत्र को घरेलू मक्खियों के संक्रमण से बचाने के लिए साफ सुथरा रखे।
पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए 50 ग्राम प्रतिदिन हरे चारे के साथ आयोडीन युक्त नमक या 50 से 100 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य दें।
पशु शेडों में नमी को जमा नहीं होने देना चाहिए तथा इसे नियंत्रित करने के लिए खिड़कियाँ लगानी चाहिए।
शेड में ठोस ईंटों का फर्श होना चाहिए ताकि उन्हें आसानी से साफ किया जा सके।
कच्चे फर्श की मिट्टी को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।