रबी सीजन चल रहा है किसान गेंहू की बुवाई के लिए तैयारियां कर रहे हैं। ऐसे में ट्रैक्टरचॉइस आपके लिए लेकर आया है एक ऐसी मशीन की जानकारी जो किसानों के कई फायदे एक साथ करा सकती है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पारंपरिक ढंग से गेहूं की बुवाई में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
परंतु, हैप्पी सीडर मशीन से जीरो टिलेज विधि से गेहूं की बुवाई की आवश्यकता नहीं होती है।
क्योंकि खेतों में धान की खेती के दौरान निर्मित नमी से गेहूं की बुवाई संपन्न हो जाती है।
धान की खेती के पश्चात गेहूं की बुवाई करने की योजना तैयार की जा रही हैं।
साथ ही, फसलों की कटाई के पश्चात खेतों को तैयार करने की दिक्कत से जूझ रहे हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे कृषि यंत्र के बारे में बताने वाले हैं,
जिसके प्रयोग से खेतों को बगैर तैयार किए और कम पानी में भी गेहूं की खेती की जा सकती है।
हैप्पी सीडर मशीन के उपयोग खेतों को बंजर होने से बचाएगा और प्रति एकड़ 12 किलो बीज की जरूरत कम पड़ेगी।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, कि इस उपकरण का नाम हैप्पी सीडर रखा गया है, जो किसानों को काफी गुना अधिक लाभ दिलाने में सक्षम है।
सोने पर सुहागा इस बात का भी है, कि गेहूं बोने के दौरान हैप्पी सीडर मशीन से धान की पराली भी नहीं निकालनी पड़ती।
इसलिए खेतों को इसका सीधा लाभ मिलता है। दरअसल, खेत में रहने से पराली सड़ जाती है और उर्वरक बन जाती है, जो गेहूं के पौधों को पोषण देता है।
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हैप्पी सीडर मशीन साधारण सीड ड्रिल की भाँति ही है, जो प्रति एकड़ 10 किलो बीज की बचत करता है।
खेत के क्षेत्रफल के अनुसार आप इसको खरीद सकते हैं। इस मशीन में आधा इंच की ब्लेड या पंजी लगी होती है। धान के शेष बचे हुए डंठलों के मध्य गेहूं की बुवाई इस ब्लेड से सहज ही हो जाती है।
हैप्पी सीडर मशीन से बिजाई करने में प्रति एकड़ केवल 40 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है।
वहीं, परंपरागत बुवाई में 50 से 52 किलो बीज की जरूरत होती है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसके द्वारा प्रति हेक्टेयर 30 से 35 लीटर तक डीजल की खपत को कम किया जा सकता है।