अभी मई जून का महीना आया भी नहीं लेकिन भारतभर में भीषण गर्मी से जन जीवन काफी प्रभावित होने लगा है। अब ऐसे में भारतीय मौसम विभाग की तरफ से इस बार मानसून में बारिश को लेकर अच्छी खबर सुनाई है।
मौसम विभाग ने इस बार मानसून में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की भविष्यवाणी करते हुए राहत की खबर सुनाई है।
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मानसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। सिर्फ इतना ही नहीं मौसम विभाग ने अल नीनो की स्थिति बनने से भी साफ इंकार कर दिया है।
ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है, कि इस बार देश में मानसून के दौरान काफी अच्छी बारिश होने की संभावना है। हालांकि, मौसम विभाग ने जलवायु परिवर्तन को लेकर भी काफी चिंता व्यक्त की है। इसके अंतर्गत बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, जबकि अधिक बरसात की घटनाएं बढ़ रही हैं।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को मानसून से संबंधित बेहद जरूरी जानकारी साझा की है।
मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में चार महीने (जून से सितंबर) के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और कुल वर्षा 87 सेंटीमीटर के दीर्घावधि औसत का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’
यह भी पढ़ें: आगामी 4 दिनों के मौसम की महत्वपूर्ण जानकारी
भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख ने कहा है, कि "भारतीय उपमहाद्वीप में इस बार मानसून के दौरान अल नीनो जैसी स्थिति बनने की संभावना नहीं है।
बतादें, कि इस बार मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान देश के लिए एक बड़ी राहत है। हालांकि, सामान्य से अधिक बारिश की संभावना का मतलब यह नहीं है कि पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश होगी।
बीते कई सालों के दौरान जलवायु परिवर्तन की वजह से देश में कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे जैसे हालात हो जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बारिश के दिनों की संख्या कम होती जा रही है, जबकि भारी बारिश की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।"
मौसम विभाग की तरफ से इस बार मानसून में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। यह जन जीवन के लिए काफी राहत भरी खबर है।
किसान साथियों के लिए मौसम की जानकारी बेहद जरूरी होती है। भारत के विभिन्न इलाकों के अंदर मौसम में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
कुछ राज्यों के अंदर तापमान में काफी ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई है, तो वहीं कुछ प्रदेशों में तापमान में कमी देखने को मिली है।
भारत के भिन्न-भिन्न इलाकों में तापमान में काफी गिरावट आई है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित बहुत सारे राज्यों में तापमान में वृद्धि दर्ज हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार, आज जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद में अलग-अलग जगहों पर भारी वर्षा हो सकती है।
इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के विभिन्न स्थानों पर बिजली के साथ गरज के साथ बारिश होने की संभावना है।
आईएमडी के मुताबिक, आज कोंकण, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में अलग-अलग हिस्सों में लू चलने की संभावना है। साथ ही, तटीय कर्नाटक में अलग-अलग जगहों पर गर्म और आर्द्र स्थिति की उम्मीद है।
ये भी पढ़े: चक्रवात यानी साइक्लोन क्या होता है और यह कैसे बनता है ?
मौसम विभाग के मुताबिक, पूर्वोत्तर भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और उससे सटे दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में 35 किमी प्रति घंटे से 45 किमी प्रति घंटे की गति से हवा चलने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में विभाग ने मछुआरों को इन इलाकों में न जाने की सलाह प्रदान की जाती है।
आईएमडी के अनुसार, 11 से 15 मार्च के दौरान जम्मू-कश्मीर-लद्दाख-गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद में गरज और बिजली के साथ व्यापक रूप से व्यापक रूप से हल्की/मध्यम वर्षा/बर्फबारी, हिमाचल प्रदेश में गरज और बिजली के साथ छिटपुट से व्यापक रूप से व्यापक रूप से हल्की/मध्यम वर्षा/बर्फबारी और इसी अवधि के दौरान उत्तराखंड में गरज और बिजली के साथ छिटपुट से छिटपुट हल्की/मध्यम वर्षा/बर्फबारी।
12 और 13 मार्च को पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गरज और बिजली के साथ छिटपुट हल्की/मध्यम वर्षा की संभावना, साथ ही 13 से 15 मार्च के दौरान पश्चिमी राजस्थान और 15 मार्च को पूर्वी राजस्थान में बारिश हो सकती है।
मौसम विज्ञान में चक्रवात शब्द को काफी आसान शब्दों में परिभाषित किया जाता है। हवाओं की एक प्रणाली जो कम बैरोमीटर के दबाव वाले क्षेत्र में अंदर की ओर घूम रही है, जैसे कि उत्तरी गोलार्ध में यह वामावर्त है और दक्षिणी गोलार्ध में यह दक्षिणावर्त परिसंचरण है।
चक्रवात प्रमुख रूप से चार प्रकार के होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात, ध्रुवीय चक्रवात, मेसोसायक्लोन और अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात
चक्रवात समुद्र से वायुमंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा के साथ बनते हैं। अध्ययनों के मुताबिक, विश्वभर में प्रति वर्ष में 70 से 90 चक्रवाती सिस्टम विकसित होते हैं।
कोरिओलिस बल की वजह से सतही हवाएँ निम्न दबाव प्रणाली की ओर सर्पिल हो जाती हैं। भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में चक्रवाती तंत्र नहीं बनते। क्योंकि 5 डिग्री उत्तर और 5 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के बीच कोरिओलिस बल नगण्य होता है।
दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवात के अलग-अलग नाम हैं, और वे हैं कैरेबियन सागर, तूफान, चीन सागर, टाइफून, हिंद महासागर, ऊष्णकटिबंधी चक्रवात, जापान, ताइफू, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, विली विली, फिलिपींस, बागुइओ, यूएसए, तूफान इत्यादि।
चक्रवातों का निर्माण कम दबाव वाले इलाकों में होता है। जिन जगहों पर चक्रवात आता है, उसकी संवेदनशीलता चक्रवात की स्थलाकृति, तीव्रता और आवृत्ति पर निर्भर करती है।