पीएम फसल बीमा योजना के लाभ और अंतिम तिथि की जानकारी

By: tractorchoice Published on: 16-Dec-2025

पीएम फसल बीमा योजना

चूरू जिले के किसानों के लिए रबी 2025–26 सीजन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) से जुड़ी महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की गई है। जिले में चना, सरसों, जौ, इसबगोल, मैथी, तारामीरा, जीरा और गेहूं जैसी प्रमुख रबी फसलों को इस योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। इन फसलों के बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की गई है। 

संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), कैलाश चंद्र ने बताया कि इस बार जिले में फसलों का बीमा कार्य इंडसइंड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। यह अधिसूचना किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई करने में बड़ी मदद करती है। 

रबी सीजन में अक्सर सूखा, पाला, ओलावृष्टि और बेमौसमी बरसात जैसी परिस्थितियाँ फसलों पर भारी प्रभाव डालती हैं, इसलिए समय पर बीमा करवाना आवश्यक है।

फसली ऋण (KCC) वाले किसानों का बीमा कैसे होता है ?

फसली ऋण लेने वाले किसान, यानी KCC धारक कृषकों का फसल बीमा स्वतः संबंधित बैंक की ओर से किया जाता है। जैसे ही किसान को फसली ऋण स्वीकृत होता है, उसी ऋण राशि का एक निर्धारित प्रीमियम काटकर उसकी फसल PMFBY के अंतर्गत बीमित हो जाती है। 

इसका मतलब है कि KCC धारकों को अलग से आवेदन करने की जरूरत नहीं पड़ती। बैंक स्वयं उनकी जानकारी बीमा कंपनी तक पहुँचाता है और आवश्यक प्रीमियम जमा करता है।

यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि कृषि ऋण लेने वाले किसान बिना किसी अतिरिक्त प्रक्रिया के फसल बीमा की सुरक्षा प्राप्त कर सकें। कई बार किसान यह मानकर चलते हैं कि उन्हें अलग से आवेदन करना होगा, लेकिन अधिसूचना के अनुसार ऐसा बिल्कुल नहीं है। यदि किसान ने ऋण लिया है और उस ऋण में फसल का उल्लेख है, तो उसका बीमा स्वतः सक्रिय माना जाएगा।

गैर-ऋणी किसानों के लिए बीमा कराने की प्रक्रिया

जिन किसानों ने फसली ऋण नहीं लिया है, वे भी फसल बीमा योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें स्वयं आवेदन करना होगा। आवेदन करने के लिए किसान निम्न विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं:-

राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (www.pmfby.gov.in), नजदीकी बैंक शाखा, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), बीमा कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि और गैर-ऋणी किसानों को आवेदन के साथ कुछ आवश्यक दस्तावेज जमा करने होते हैं। इनमें आधार कार्ड – किसान की पहचान के लिए। 

नवीनतम जमाबंदी की नकल – जिस जमीन पर फसल बोई गई है, उसका रिकॉर्ड। स्वयं-प्रमाणित घोषणा पत्र – जिसमें किसान को प्रत्येक खसरा संख्या का क्षेत्रफल, प्रस्तावित फसल, मालिक का नाम तथा बीमा हित का प्रकार (स्वामित्व या बंटाई) लिखना और मुआवजा मिलने की स्थिति में धनराशि जमा करने हेतु बैंक पासबुक की प्रति शामिल है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि बंटाईदार किसान केवल उसी जिले की भूमि पर बीमा करवा सकते हैं जहाँ वे स्वयं रहते हैं। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि स्थानीय स्तर पर सत्यापन आसानी से किया जा सके और फर्जी दावा रोकने में मदद मिले।

फसल में परिवर्तन की सूचना देना अनिवार्य

कई बार किसान बुवाई के बाद फसल बदल देते हैं या जमीन के किसी हिस्से में दूसरी फसल लगा देते हैं। ऐसे मामलों में फसल परिवर्तन की जानकारी बैंक को देना अनिवार्य है। 

चूरू जिले के लिए यह अंतिम तिथि 29 दिसंबर निर्धारित की गई है। यदि किसान फसल बदलते हैं और बैंक को समय पर सूचना नहीं देते, तो नुकसान की स्थिति में दावे का निस्तारण प्रभावित हो सकता है।

यह नियम पारदर्शिता बनाए रखने और बीमा दावों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। कई बार किसान समय पर सूचना नहीं देते और बाद में नुकसान होने पर दावा कर देते हैं, जिससे बीमा कंपनी विवादित स्थिति में आ जाती है। इसलिए सही समय पर सही जानकारी देना आवश्यक है।

फसल बीमा योजना से मिलने वाले सुरक्षा लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की आय सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन के लिए बनाई गई है। चूरू जिले में रबी मौसम के दौरान कई प्राकृतिक आपदाएँ फसलों को प्रभावित करती हैं। इस योजना के तहत किसान को बुवाई से कटाई तक प्राकृतिक आपदा के नुकसान पर क्षतिपूर्ति मिलती है। 

बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़, प्राकृतिक आग और सूखा या अत्यधिक नमी इन सभी स्थितियों में फसल की औसत उपज घटने पर नुकसान की भरपाई की जाती है।

कटाई के बाद का नुकसान (14 दिनों तक)

रबी फसलों को खेत में कटाई के बाद अक्सर 8-14 दिनों तक सुखाने के लिए रखा जाता है। अगर इस दौरान बारिश, ओलावृष्टि, तेज हवा और आग से फसल को नुकसान होता है, तो व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने का प्रावधान है। यह सुविधा किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि कटाई के बाद भी नुकसान की आशंका बनी रहती है।

नुकसान होने पर 72 घंटे में सूचना देना अनिवार्य

यदि फसल को किसी प्रकार का नुकसान होता है, तो बीमित किसान को 72 घंटे के अंदर इसकी सूचना देना आवश्यक है। किसान निम्न माध्यमों से जानकारी दे सकते हैं:-

  • कृषि रक्षक पोर्टल
  • हेल्पलाइन नंबर 14447
  • नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय
  • बैंक शाखा
  • क्रॉप इंश्योरेंस मोबाइल ऐप

समय पर सूचना देने का प्रबंधन इसलिए जरूरी है क्योंकि बीमा कंपनी को नुकसान की स्थिति का निरीक्षण करना होता है। यदि किसान देर से सूचना देता है, तो निरीक्षण संभव नहीं हो पाता और मुआवजे का दावा अस्वीकृत हो सकता है। इसलिए, जैसे ही फसल को नुकसान दिखे, तुरंत सूचना देना किसान के हित में है।

बीमा योजना का महत्व और किसानों के लिए लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मुख्य उद्देश्य है किसानों को प्राकृतिक जोखिमों से सुरक्षा देना और उनकी आय स्थिर रखना। चूरू जैसे जिले, जहाँ मौसम की अनिश्चितता अधिक होती है, वहाँ यह योजना और भी महत्वपूर्ण बन जाती है।

  • यह किसान को मानसिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
  • प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले भारी नुकसान की भरपाई होती है।
  • किसान भविष्य की फसलों में निवेश करने में सक्षम रहते हैं।
  • जोखिम कम होने से खेती का भरोसा बढ़ता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है।

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