प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में रबी सीजन 2025-26 (1 अक्टूबर 2025 से 31 मार्च 2026) के लिए फॉस्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient Based Subsidy - NBS) दरों को मंजूरी दे दी गई है।
सरकार का यह फैसला देशभर के किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिससे उन्हें DAP (Di-Ammonium Phosphate) और NPKS (Nitrogen, Phosphorus, Potash, Sulphur) जैसे महंगे उर्वरक अब किफायती दामों पर मिलेंगे।
रबी 2025-26 के लिए इस योजना की अनुमानित बजटीय आवश्यकता ₹37,952.29 करोड़ तय की गई है। यह राशि खरीफ सीजन 2025 की तुलना में लगभग ₹736 करोड़ अधिक है — जो दर्शाता है कि सरकार कृषि क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर रही है।
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एनबीएस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2010 को की गई थी।
एनबीएस योजना के तहत सरकार फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरकों पर सब्सिडी को पोषक तत्वों के आधार पर तय करती है। यानी नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) और सल्फर (S) के अनुपात के अनुसार।
वर्तमान में सरकार देशभर में लगभग 28 ग्रेड के P&K उर्वरक किसानों को सब्सिडी दरों पर उपलब्ध करा रही है, जिन्हें उर्वरक कंपनियों या आयातकों के माध्यम से वितरित किया जाता है।
यह निर्णय स्पष्ट रूप से सरकार की किसान हितैषी नीति को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इस योजना से देश के किसानों को स्थिर दामों पर खाद मिलती रहेगी।
इसके साथ ही यह कदम आत्मनिर्भर कृषि और खाद्य सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।
प्रश्न: एनबीएस दरों की मंजूरी से किसानों को क्या फायदा होगा ?
उत्तर: रबी 2025-26 के लिए एनबीएस दरों की मंजूरी से देशभर के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।
प्रश्न: एनबीएस दरों की मंजूरी से फसल लागत और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर: एनबीएस दरों की मंजूरी से खेती की लागत में कमी, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और फसल उत्पादन में वृद्धि की
उम्मीद है।
प्रश्न: सरकार के इस निर्णय का कृषि क्षेत्र पर क्या असर होगा ?
उत्तर: सरकार का यह निर्णय भारत के कृषि क्षेत्र को संतुलित, टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण
मील का पत्थर साबित होगा।