भारत में इस वर्ष काफी अच्छी बरसात हो रही है। इससे किसानों की फसलीय पैदावार में भी निश्चित रूप से बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। साथ ही, भारत में अनाज की उपज बढ़ेगी। इसको लेकर जानकारों का कहना है, कि इस वर्ष कृषि उत्पादन में 5% की बढ़ोतरी होने की संभावना है।
इसी कड़ी में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद का कहना है, कि "इस वर्ष अभी तक सामान्य से 2% अधिक बारिश होने से इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन में करीब 5% फीसद की वृद्धि होगी, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.4% थी। इससे दालों सहित कई वस्तुओं की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है, जो पिछले कई महीनों से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं।"
मीडिया के अनुसार, रमेश चंद ने कहा कि "कृषि उत्पादन में मजबूत वृद्धि के लिए सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है, जिससे दालों की खुले बाजार में कीमत समर्थन मूल्य से नीचे ना आएं।
जो किसानों को सहारा देने के लिए निर्धारित की जाती हैं। दालों के अधिक मूल्यों के चलते बीते दिनों में स्थानीय कीमतों को कम करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाए गए हैं।"
रमेश चंद ने कहा कि साल 2023-24 में कृषि उत्पादन में 1.4% की वृद्धि हुई, जो सात साल से अधिक 5% प्रतिशत की औसत वृद्धि के बाद हुई है।
उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक प्रमुख संस्थान, राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएपी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में कृषि उत्पादन में 5% फीसद से ज्यादा की वृद्धि होनी चाहिए। अब तक खरीफ सीजन के संकेत सकारात्मक हैं।
रमेश चंद ने आगे कहा कि आने वाले 10 वर्षों के लिए कृषि में बढ़ोतरी दर को अच्छी आर्थिक बढ़ोतरी के लिए वार्षिक 5% पर बनाए रखने की जरूरत है। कुछ वर्षों में वृद्धि दर लगभग 4% फीसदी या उससे भी नीचे आ सकती है।
खरीफ सीजन जून-जुलाई में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होता है और सितंबर-अक्टूबर में समाप्त होता है। ये किसानों की आय, खपत और समग्र आर्थिक वृद्धि को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1 जून से 26 जुलाई के बीच भारत में सामान्य से 2% अधिक बारिश हुई है। कुछ हिस्सों में थोड़ी कमी है, लेकिन अगस्त में पूरी होने की उम्मीद है।
रमेश चंद ने मिंट से कहा कि सामान्य से अधिक बारिश को 96% से 104% तक की बारिश माना जाता है। ला नीना अगस्त में सक्रिय रहेगी, जिससे सामान्य से अधिक बारिश होगी। इससे उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में बारिश की किसी भी कमी की भरपाई होनी चाहिए।