इस राज्य में ड्रोन से छिड़काव हेतु 240 रुपए प्रति एकड़ की मदद

By: tractorchoice Published on: 15-May-2025

समय के साथ हर क्षेत्र की तरह कृषि में भी काफी आधुनिक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। कृषि में आज कल आधुनिक कृषि उपकरणों के साथ साथ ड्रोन का भी काफी बड़े पैमाने पर सफल उपयोग किया जा रहा है। 

भारत की केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर से किसानों की आय बढ़ाने और लागत को कम करने के लिए निरंतर कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का काम कर रही हैं। 

वर्तमान में बिहार सरकार ने "कृषि ड्रोन योजना" के अंतर्गत 2025-26 में 56,050 एकड़ भूमि पर ड्रोन से कीटनाशी व उर्वरक छिड़काव का लक्ष्य रखा है। 

इससे खेती सस्ती, तेज और लाभकारी होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और कृषि में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। 

कृषि में ड्रोन के उपयोग से लागत में कटौती   

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से खेती के परंपरागत तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। ड्रोन तकनीक की सहायता से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है। 

एक ड्रोन मात्र 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है, जिससे छिड़काव की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होती है। 

ये भी पढ़ें: नमो ड्रोन दीदी योजना से हजारों महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी

ड्रोन से छिड़काव का रकबा बढ़ाया गया  

बिहार सरकार की तरफ से  वर्ष 2024-25 में राज्य के 27,666 एकड़ फसल क्षेत्र पर ड्रोन के माध्यम से छिड़काव किया गया था। आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस लक्ष्य को बढ़ाकर 56,050 एकड़ किया गया है। 

योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति एकड़ अधिकतम ₹240 या छिड़काव शुल्क का 50% अनुदान प्रदान किया जाएगा। एक किसान अधिकतम 15 एकड़ क्षेत्र के लिए तथा दो बार ड्रोन छिड़काव हेतु अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकता है। 

उर्वरकों का छिड़काव करने में मदद करेगा यह ड्रोन

ड्रोन से छिड़काव के माध्यम से एनपीके कनसोर्टिया, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, सूक्ष्म पोषक तत्व सहित अन्य तरल उर्वरकों का प्रयोग कर फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। ड्रोन के उपयोग से समय, श्रम, कीटनाशी और पानी की बचत होती है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा। 

पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में सहयोगी 

यह पहल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी एवं उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगी। राज्य सरकार का यह प्रयास टिकाऊ कृषि, पर्यावरणीय संतुलन एवं स्मार्ट खेती को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जहां एक ओर कृषि लागत में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर उत्पादन एवं किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। 

ये भी पढ़ें: ड्रोन मशीन खरीदने पर सरकार किसानों को प्रदान करेगी सब्सिडी

कृषि में ड्रोन के उपयोग से लागत में कटौती   

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से खेती के परंपरागत तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहा है। ड्रोन तकनीक की सहायता से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है। 

एक ड्रोन मात्र 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है, जिससे छिड़काव की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होती है। 



प्रश्न: कृषि में ड्रोन के उपयोग से क्या फायदा होगा ? 

उत्तर: कृषि में ड्रोन तकनीक की सहायता से समय की बचत होती है, बल्कि लागत में भी उल्लेखनीय कमी आती है। 

प्रश्न: ड्रोन कितनी देर में कितना छिड़काव कर सकता है ?

उत्तर: किसान एक ड्रोन की मदद से महज 10 से 12 मिनट में 1 एकड़ भूमि पर छिड़काव कर सकता है। 

प्रश्न: ड्रोन की मदद से किसान एक बार में कितना कीटनाशक लेकर उड़ सकता है ?

उत्तर: एक उड़ान में ड्रोन 10 लीटर कीटनाशी, फफूंदनाशी अथवा तरल उर्वरक लेकर उड़ान भर सकता है।

Similar Posts