रबी सीजन में गेंहूँ की फसल में लगने वाला यह रोग बेहद खतरनाक, ऐसे करें बचाव

By: Admin Published on: 17-Dec-2024
रबी सीजन में गेंहूँ की फसल में लगने वाला यह रोग बेहद खतरनाक, ऐसे करें बचाव

किसान भाइयों जैसा कि हम सब जानते हैं, कि रबी सीजन चल रहा है और बड़े पैमाने पर किसान गेहूँ की खेती कर रहे हैं। अब ऐसे में गेंहू उत्पादक किसानों को विभिन्न प्रकार के कीट और रोगों का सामना करना पड़ता हैं, इनमें से ‘पीली रोली’ रोग सबसे मुख्य है। यह रोग फसल की पत्तियों को पीले रंग के पाउडर से ढक देता है, जिससे पौधों के विकास पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। अब इसी कड़ी में किसानों को इस चुनौती से निपटने हेतु मदद करने के लिए राजस्थान कृषि विभाग ने इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक सलाह जारी की है।


पीली रोली रोग क्या है और इसका पता कैसे करें ? 


कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा के मुताबिक, पीली रोली रोग की पहचान पत्तियों पर पीले-नारंगी रंग की धारियों और छोटे पीले बिंदुनुमा फफोलों से होती है। ये फफोले आहिस्ते-आहिस्ते पूरी पत्ती को ढक लेते हैं और पत्ती पीले पाउडर जैसी नजर आने लगती है। संक्रमित पत्तियों को छूने पर हाथ और कपड़ों पर पीला पाउडर लग जाता है। प्रारंभ में यह रोग खेत में 10-15 पौधों के छोटे समूह में नजर आता है। परंतु, धीरे-धीरे पूरे खेत में यह रोग फैल जाता है। ठंडा और नम मौसम, जैसे 6 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान, वर्षा, उच्च आर्द्रता, ओस और कोहरा इस रोग के फैलाव के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं।


पीली रोली रोग से बचाव और प्रबंधन 


कृषि विभाग ने किसानों को इस रोग से फसल संरक्षण हेतु बहुत सारे अहम सुझाव दिए हैं। सबसे पहले, खेत में जल जमाव से बचने की सलाह प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग न करने की सलाह दी गई है, क्योंकि यह रोग के प्रसार को प्रोत्साहन दे सकता है। विभागीय सिफारिशों के मुताबिक ही उर्वरकों और कीटनाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए।


जनवरी एवं फरवरी के महीनों में फसल की नियमित तौर निगरानी करना बेहद जरूरी है। किसी भी पत्तियों पर पीलापन दिखने पर तुरंत संबंधित पादप रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें। कभी-कभी पत्तियों का पीलापन अन्य कारणों से भी हो सकता है, इसलिए सही रोग की पहचान आवश्यक है।


गेँहू की फसल में इस रोग की पुष्टि और सरकारी मदद 


यदि जांच के बाद पुष्टि होती है कि गेहूँ की फसल में पीली रोली रोग का प्रकोप है, तो संक्रमित पौधों के समूह को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए। इसके साथ ही, विभागीय सिफारिशों के मुतबिक, खड़ी फसल में कवकनाशी रसायनों का स्प्रे करना चाहिए। मौसम साफ होने पर ही छिड़काव करना चाहिए, ताकि फसल पर रसायन का ज्यादा प्रभाव पड़े।


यदि रोग का असर आर्थिक नुकसान स्तर से ज्यादा हो जाता है, तो सरकार कृषकों को सहायता के रूप में अनुदान पर पौध संरक्षण रसायन मुहैय्या कराती है। यह मदद कृषकों को फसल की सुरक्षा के लिए जरूरी संसाधन प्रदान करती है।


पीली रोली रोग गेंहूँ की फसल के लिए बेहद घातक 


पीली रोली रोग गेहूँ की फसल के लिए गंभीर संकट हो सकता है। ठंड और नमी भरे मौसम में इस रोग के फैलाव की संभावना बढ़ जाती है। कृषि विभाग द्वारा जारी परामर्शिका का पालन कर कृषक इस रोग पर काबू पा सकते हैं। किसानों को वक्त-वक्त पर फसल की निगरानी करनी चाहिए। साथ ही, शुरुआती लक्षण दिखने पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। उचित समय पर सही कदम उठाने से फसल को भारी हानि से बचाया जा सकता है। यह जानकारी आपके लिए लाभदायक साबित हो सकती है, इसे अपने अन्य किसान साथियों के साथ भी साझा जरूर साझा करें।


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