विश्वभर में भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। वहीं, भारत में दुग्ध उत्पादन के अनुरूप उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर आता है। वर्तमान समय में डेयरी उत्पादों की मांग भी भारत में काफी अधिक है।
दुग्ध उत्पादों की बढ़ती डिमांड पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। जहां फसल से लेकर खेती-किसानी से संबंधित सभी क्षेत्र में हाइब्रिडाइजेशन एक महत्वपूर्ण भाग बन चुका है।
वहीं पशुपालन और दुग्ध उत्पादन बढ़ोत्तरी में भी नए मॉडल का उपयोग किया जा रहा है। अब बेहतर पशु आहार को लेकर सरकार ने एक ज्ञापन समझौते यानी एमओयू साइन किया है।
इस ज्ञापन समझौते के तहत पशु के आहार उत्पाद में ना सिर्फ बढ़ोतरी होगी। पशुओं के लिए बेहतर चारा भी उपलब्ध होगा। साथ ही, डेयरी प्रोडक्ट उत्पादन में भी सहयोग मिलेगा।
दुग्ध उत्पादन में भारत का उत्तर प्रदेश राज्य पहले नंबर पर आता है। लिहाजा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी और डेयरी प्रोडक्ट की गुणवत्ता में सुधार को लेकर राज्य सरकार एक एमओयू यानी समझौता ज्ञापन साइन किया है। जिसका उद्देश्य पशुआहार की गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ तेजी भी आएगी।
बतादें, कि उत्तर प्रदेश सरकार दुग्ध क्षेत्र को आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से सशक्त और किसानों के लिए लाभकारी बनाने को लेकर राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन यानी पीसीडीएफ द्वारा संचालित तीन डेयरी प्लांट और एक पशुआहार निर्माणशाला के संचालन को लेकर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड यानी एनडीडीबी के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन हुआ।
यह तीन डेयरी प्लांट का संचालन उत्तरप्रदेश के कानपुर, गोरखपुर और कन्नौज शहर को दिया गया है। इसके साथ ही जो एक पशु आहार निमार्णशाला का संचालन दिया गया है। वह अंबेडकरनगर में स्थित है।
ये भी पढ़ें: गाय की टॉप 5 उन्नत किस्मों की जानकारी
उत्तर प्रदेश के इन शहरों में दी गई संचालित डेयरी प्लांट और पशुआहार निर्माण की जिम्मेदारी को लेकर जो लागत लगी है, उनमें कानपुर स्थित डेयरी प्लांट ₹160.84 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है।
गोरखपुर डेयरी प्लांट ₹61.80 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है और कन्नौज प्लांट ₹88.05 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है।
साथ ही, अंबेडकरनगर स्थित केंद्र पशु आहार निर्माणशाला ₹18.44 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है। लागत को लेकर पूरी जानकारी दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने दी है।
ये भी पढ़ें: गर्मियों में पशुओं को खिलाएं यह चारा दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने में सहायक
बतादें, कि सभी डेयरी प्लांट की प्रसंस्करण क्षमता भिन्न-भिन्न है, जिनमें कानपुर स्थित डेयरी प्लांट की मिल्क प्रसंस्करण क्षमता 4 लाख लीटर प्रतिदिन है। गोरखपुर डेयरी प्लांट की मिल्क प्रसंस्करण क्षमता 1 लाख लीटर प्रतिदिन है।
कन्नौज डेयरी प्लांट की मिल्क प्रसंस्करण क्षमता 1 लाख लीटर प्रतिदिन है। अंबेडकर नगर स्थित केंद्र पशु आहार निर्माणशाला इकाई 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन बायपैक प्रोटीन फीड का उत्पादन कर रही है।
जैसे की हर विकास रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है। लिहाजा एनडीडीबी के इन इकाइयों के संचालन सौंपे जाने से इनमें ना सिर्फ किसानों को फायदा होगा बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। जो कि युवाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
इसके अतिरिक्त इस नए मॉडल के अंतर्गत राज्य सरकार पर किसी अतिरिक्त वित्तीय भार का सामना नहीं करना पड़ेगा और राजस्व साझेदारी का लाभ भी राज्य एवं किसानों को समान रूप से मिलेगा।
प्रश्न : एनडीडीबी का फुल फॉर्म क्या है ?
उत्तर : एनडीडीबी का फुल फॉर्म राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड है। यह भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संस्था है, जिसका उद्देश्य देश में दूध उत्पादन को बढ़ावा देना और डेयरी उद्योग को संगठित करना है।
प्रश्न : कानपुर स्थित डेयरी प्लांट को कितने रुपए की लागत से विकसित किया है ?
उत्तर : कानपुर स्थित डेयरी प्लांट ₹160.84 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है।
प्रश्न : गोरखपुर डेयरी प्लांट और कन्नौज प्लांट को कितनी लागत से विकसित किया है ?
उत्तर : गोरखपुर डेयरी प्लांट ₹61.80 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है और कन्नौज प्लांट ₹88.05 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है।