बतादें, कि कुछ दिनों से उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे मौसम में पाला पड़ने की ज्यादा संभावना रहती है। पाला पड़ने की वजह से पौधे की शारीरिक प्रक्रियाएं पूर्णतय बाधित हो जाती हैं। इससे विकास प्रतिबाधित होता जाता है। पाले की वजह से पत्तियां एवं फूल मुरझा जाते हैं। साथ ही, बदरंग हो जाते हैं। पत्तियां भूरी हो जाती हैं और फूल झड़ जाते हैं।
बतादें, कि इस वक्त उत्तर भारत में हड्डी गलाने वाली ठंड का मौसम चल रहा है। इसका प्रभाव जनता, मवेशी और फसलों पर देखा जाता है। पाला पड़ने से पौधे में जलीय घोल ठोस बर्फ में परिवर्तित हो जाता है। घनत्व में बढ़वार की वजह रबी फसलो के पौधों की कोशिकाएं काफी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। साथ ही, पौधे के छिद्र खत्म हो जाते हैं। इसकी वजह से ऑक्सीजन, वाष्पोत्सर्जन, कार्बन डाइऑक्साइड और पौधो में प्रक्रिया खत्म हो जाती है। पौधे की शारीरिक प्रक्रियाएं पूर्णतय बाधित हो जाती हैं, जिससे विकास रुक जाता है। अच्छी पैदावार के लिए इन बातों का रखें विशेष ध्यान।
खेतों की घास में आग लगाकर उसका धुआं करें। ऐसा करने से पौधों के आसपास का वातावरण गर्म हो जाता है और पत्तियों पर पाले का प्रभाव कम हो जाता है। पाले से बचाने के लिए फसलों की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। सुबह के समय दो व्यक्ति रस्सी के दोनों सिरों को पकड़कर फसल को खेत के एक कोने से दूसरे कोने तक ले जाएं।
अगर किसान भाई नर्सरी तैयार कर रहे हैं, तो उन्हें घास की चटाई अथवा प्लास्टिक की थैलियां बनाकर दक्षिण-पूर्व दिशा को खुला रखना चाहिए, जिससे कि पौधों को सुबह एवं दोपहर की धूप मिल सके। सूखे से दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए सर्दियों के मौसम में शहतूत, आम, जामुन, सेशम, बबूल और खजूर जैसे पवनरोधी पेड़ों से फसलों की रक्षा की जा सकती है। अगर किसान फसलों पर गुनगुने पानी का छिड़काव करें तो फसलें झुलसा रोग से बच जाती हैं।
फसल को पाले से बचाने के लिए किसानों को 20 ग्राम यूरिया/लीटर पानी का घोल बनाकर बडिंग के दिनों में स्प्रे करना चाहिए अथवा 500 ग्राम यूरिया को 1000 लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ या घुलनशील गंधक की दर से छिड़काव करें। या 40 ग्राम 80 परसेंट WDG प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। ऐसा करने से तापमान में बढ़ोतरी होती है।
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पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित बायोमास बढ़ जाता है। जो कि मिट्टी तक नहीं पहुंच पाता और फसलें मुरझाने से बच जाती हैं। फसलों की सुरक्षा के लिए 15 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश को 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है। इसके साथ ही फसलों की सुरक्षा के लिए ग्लूकोज 25 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फसल सुरक्षा के लिए एनपीके 100 ग्राम और 25 ग्राम एग्रोमिन प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं।