मध्य प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर किसानों और पशुपालकों की आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य के 50% गांवों को दूध संग्रहण नेटवर्क के तहत लाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, किसानों और पशुपालकों की प्रगति की पहल के तहत 381 नई दुग्ध सहकारी समितियों का गठन कर 9,500 दुग्ध उत्पादकों को सहकारी डेयरी प्रणाली से जोड़ा गया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने पशुपालकों को मजबूत बनाने और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के मकसद से 'डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना जारी की है।
इस योजना के अंतर्गत 25 दुधारू पशुओं की इकाइयों की स्थापना की जाएगी, जिसमें एक इकाई की लागत अधिकतम 42 लाख रुपये होगी।
साथ ही, इस पर 33% प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जाएगी। योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को मध्य प्रदेश का मूल निवासी होना बेहद जरूरी है। साथ ही, डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण हांसिल करना भी अनिवार्य होगा।
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यह योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए होगी। इस योजना में पशुपालक की आयु 21 साल से ज्यादा होनी आवश्यक है। उन्हें अनुभव के लिए सरकारी या सरकार नामित संस्था से डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण भी लेना होगा। इस प्रशिक्षण के लिए सरकार अलग से निर्देश जारी करेगी।
इस योजना के लाभार्थियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। लाभार्थियों के पास हर इकाई के लिए कम के सम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होनी जरूरी है।
इस भूमि में परिवार की सामूहिक जमीन का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए अन्य सदस्यों की सहमति जरूरी होगी।
इस योजना में वर्तमान में दुग्ध संघों में पहले से ही दूध सप्लाई कर रहे पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाएगी। दुग्ध संघ प्रोड्यूसर कंपनी के प्रचलित मिल्क रूट या नए मिल्क रूट पर आने वाले लाभार्थियों को प्राथमिकता देंगे। एक लाभार्थी को एक या एक से अधिक (अधिकतम 8 इकाइयों, 200 दुधारू पशु) लेने की पात्रता होगी।
एक से अधिक इकाईयां लेने की स्थिति में उन्नत गाय/संकर गाय या भैंस की इकाई अपनी सुविधा के अनुसार चयन कर सकेगा यानी अगर लाभार्थी तीन इकाइयां लेता है, तो वह अपनी इच्छा के अनुसार एक भैंस की इकाई, एक संकर गाय की इकाई और एक उन्नत देशी गौवंश की इकाई भी ले सकेगा।
अगर लाभार्यी द्वारा एक बार योजना का लाभ लेकर सभी लोन चुका दिया जाता है तो वह अगली बार योजना का फायदा लेने के लिए पात्र होगा। यह सुविधा अधिकतम 8 इकाईयों तक दी जा सकेगी. एक लोन व दूसरे लोन के बीच में कम से कम 2 वर्ष का अंतर जरूरी है।
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इस योजना से लाभान्वित होने वाले लाभार्थी को डेयरी इकाई को सतत रूप से अधिकतम 7 वर्षों तक या लोन की समाप्ति तक संचालित करना होगा।
लाभार्थियों का चयन 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होगा। दूसरा लोन केवल पिछले लोन चक्र के संतोषजनक पुनर्भुगतान पर ही दिया जाएगा।
लोन चार चरणों में वितरित किया जाएगा। कैपिटल सब्सिडी और ब्याज अनुदान, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लाभार्थियों के लिए परियोजना लागत का 33% और अन्य सभी वर्गों के लाभार्थियों के लिए परियोजना लागत का 25% सब्सिडी होगी।
सब्सिडी वितरण की पहली तारीख से 3 वर्ष की लॉक इन अवधि के तहत एकमुश्त दी जाएगी। इस पर लाभार्थी को कोई ब्याज नहीं देना होगा। लाभार्थी अपने लोन का भुगतान निर्धारित लोन अवधि से पहले कभी भी कर सकता है।
प्रश्न : मध्य प्रदेश में पशुपालन के लिए लिए कितना लोन मिलेगा ?
उत्तर : मध्य प्रदेश में पशुपालन के लिए 42 लाख रुपये का लोन मिलेगा।
प्रश्न : मध्य प्रदेश सरकार लोन पर कितने प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है ?
उत्तर : मध्य प्रदेश सरकार लोन पर 25% से 33% प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है।
प्रश्न : पशुपालकों को योजना का लाभ किस आधार पर मिलेगा ?
उत्तर : पशुपालकों को योजना का लाभ पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलेगा।