भारत में विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन होने की वजह से भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है। इसमें इजाफा करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित पहली जीनोम संवर्धित चावल किस्मों- ‘डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1’ का भी अनावरण कर दिया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित पहली जीनोम संवर्धित चावल किस्मों का उत्पादन करने के लिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित प्रमुख चावल उत्पादक राज्य अनुकूल हैं।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इन किस्मों से जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करने के साथ-साथ चावल की उपज को भी 30% प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। जल्द से जल्द चावल की इन किस्मों को किसानों तक पहुँचाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नई किस्मों से चावल की पैदावार 20-30 फीसदी बढ़ जाएगी, जल संरक्षण होगा और चावल की खेती से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि डीआरआर धान 100 (कमला) अपनी मूल किस्म की तुलना में लगभग 20 दिन पहले (130 दिन) पक जाती है, जिससे जल्दी कटाई संभव हो जाती है और फसल चक्र या कई फसल चक्रों की संभावना होती है।
DRR Dhan 100 (Kamala) की कम अवधि किसानों को तीन सिंचाई बचाने की सुविधा देती है। उन्होंने कहा कि 50 लाख हेक्टेयर में दोनों किस्मों की खेती से 45 लाख टन अतिरिक्त धान का उत्पादन हो सकता है।
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वैज्ञानिकों ने इन दोनों किस्मों को दो व्यापक रूप से उगाए जाने वाले चावल प्रकार – सांबा महसूरी (बीपीटी5204) (Samba Mahsuri (BPT5204) और एमटीयू1010 (कॉटनडोरा सन्नालू) MTU1010 (Cottondora Sannalu) को बेहतर तनाव सहिष्णुता, उपज और जलवायु अनुकूलनशीलता के साथ विकसित किया, जबकि उनकी मूल शक्तियों को बरकरार रखा। दोनों किस्में बेहतरीन सूखे की सहनीयता और उच्च नाइट्रोजन-उपयोग दक्षता प्रदर्शित करती हैं।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, भारत उन्नत प्रौद्योगिकियों की खोज करके कृषि क्षेत्र को विकसित किए बिना विकसित राष्ट्र का लक्ष्य हांसिल नहीं कर सकता है।
उन्होंने आईसीएआर (ICAR) के वैज्ञानिकों से देश की आयात निर्भरता को कम करने के लिए दलहन और तिलहन की बेहतर किस्में विकसित करने का आह्वान किया।
ये जीनोम-संवर्धित चावल की किस्में भारत की कृषि जैव प्रौद्योगिकी में एक बड़ी प्रगति का प्रमाण हैं, जो जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा की दोहरी चुनौतियों के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करती हैं।
प्रश्न: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) कौन-सी किस्में विकसित की है ?
उत्तर: पहली जीनोम संवर्धित चावल किस्म ‘डीआरआर धान 100 (कमला) और पूसा डीएसटी चावल 1’
प्रश्न: (ICAR) द्वारा विकसित जीनोम संवर्धित चावल किस्मों से क्या लाभ होगा ?
उत्तर: इन किस्मों की अच्छी उपज खाद्य सुरक्षा को बेहतर करने में सहयोगी है।
प्रश्न: (ICAR) द्वारा विकसित जीनोम किस्मों से कितनी उपज बढ़ेगी ?
उत्तर: (ICAR) द्वारा विकसित जीनोम किस्मों से 30 से 40 प्रतिशत तक इजाफा होगा।