राजस्थान सरकार की तरफ से मोटे अनाज की खेती को दिया जा रहा प्रोत्साहन

By: tractorchoice Published on: 10-Sep-2024
राजस्थान सरकार की तरफ से मोटे अनाज की खेती को दिया जा रहा प्रोत्साहन

राजस्थान में मोटे अनाज की खेती को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। इसके तहत किसान भाइयों को मुफ्त में मिनीकिट भी दी गई है। देश में मोटे अनाज, जैसे बाजरा और ज्वार, को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारें लगातार प्रयासरत हैं। 

निरंतर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में राजस्थान कृषि विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान किसानों को मुफ्त बीज मिनिकिट का वितरण किया है। 

दरअसल, इस पहल के अंतर्गत राज्य में 7 लाख 90 हजार बाजरा और 89 हजार ज्वार के बीज मिनिकिट किसानों को प्रदान किए गए हैं। इससे मोटे अनाज की खेती में न सिर्फ बढ़ोतरी होगी। 

बल्कि किसानों की आमदनी में भी काफी सुधार देखने को मिलेगा। मोटे अनाज की खेती खास तौर पर उन क्षेत्रों में फायदेमंद होती है, जहाँ कम सिंचाई और कम उपजाऊ जमीन उपलब्ध है। 

जानकारी के लिए बतादें, कि इन अनाजों को कुपोषण, स्वास्थ्य समस्याओं और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान माना जाता है। 

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है, जिसमें बाजरा, ज्वार, कोदो सहित 8 मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। 

जानिए मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए कितने लाभकारी हैं ?

मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी और कोदो जैसे धान्य शामिल हैं, जो कि पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन अनाजों में प्रोटीन, खनिज और औषधीय गुणों की ​भरमार होती है, जो कुपोषण, मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों से संरक्षण में सहायक होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, कि इन अनाजों का सेवन एक स्वस्थ और संतुलित आहार के लिए बेहद जरूरी है।

ये भी पढ़ें: इस राज्य में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन धनराशि का ऐलान

जानिए राजस्थान में कितने क्षेत्रफल में मोटे अनाज की बुवाई करें ? 

राजस्थान में मोटे अनाज की खेती में काफी इजाफा देखने को मिलता है। खरीफ 2024 में राज्य में बाजरा और ज्वार की बुवाई 49.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है। 

इसमें बाजरा की 43.04 लाख हेक्टेयर और ज्वार की 6.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है। इस प्रकार राजस्थान सरकार की यह पहल न केवल किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगी, बल्कि राज्य में मोटे अनाज के उत्पादन और उपयोग को भी बढ़ावा देगी। 

Similar Posts