इस राज्य में औषधीय फसलों की खेती पर 50% सब्सिड़ी

By: tractorchoice Published on: 08-Dec-2025

औषधीय फसलों की खेती पर सब्सिड़ी

भारत में किसानों की आर्थिक आमदनी को बढ़ाने और उन्हें कृषि के आधुनिक एवं लाभकारी स्वरूप से जोड़ने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इन्हीं प्रयासों के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को एक और बड़ी सौगात दे दी है। 

सरकार ने यह घोषणा की है, कि अगर किसान औषधीय फसलों की खेती करते हैं, तो उन्हें 50% प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा। यह कदम ना केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का अवसर भी मुहैय्या कराएगा।

औषधीय खेती का बढ़ता क्षेत्रफल 

मध्यप्रदेश में औषधीय खेती निरंतर विस्तार करती जा रही है। वर्तमान में राज्य में लगभग 46,837 हेक्टेयर क्षेत्र में किसान औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं। 

हर साल औषधीय फसलों की मांग और उत्पादन क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसका खास वजह है, कि किसान इन फसलों से कम लागत में ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। औषधीय खेती से कृषि में काफी विविधता बढ़ रही है और किसानों की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत हो रही है।

जानिए किन फसलों की क्यों बढ़ रही मांग ?

आज के समय में न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी औषधीय फसलों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। अधिकांश लोगों का अब नेचुरल और हर्बल प्रोडक्ट्स की तरफ ज्यादा रुझान दिख रहा है, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट्स नहीं होते। 

आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने के कारण पौधों से बनने वाली आयुर्वेदिक दवाओं और सप्लिमेंट्स की मांग बढ़ रही है। बहुत सारी बड़ी कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसानों से औषधीय फसलें खरीद रही हैं, जिससे किसानों को स्थायी आय का स्रोत मिल रहा है। 

जानिए किन फसलों पर सब्सिडी मिलेगी ?

किसानों के सशक्तिकरण और लोगों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने कुछ चुनिंदा औषधीय फसलों को प्राथमिकता सूची में शम्मिलित किया है, जिन पर 50% प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। 

इससे किसानों की लागत कम होगी और लाभ भी दोगुना होगा। इनमें सफेद मूसली, ईसबगोल, तुलसी, अश्वगंधा, कोलियस एवं अन्य चयनित औषधीय पौधे शम्मिलित हैं। 

योजना के तहत सब्सिडी पाने की प्रक्रिया

अगर आप भी एक किसान हैं और आप भी इस सरकारी अनुदान का फायदा लेना चाहते हैं, तो आप सबसे पहले अपने जिले के कृषि विभाग या उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें। 

इसके बाद औषधीय फसल लगाने के लिए विभाग द्वारा उपलब्ध फॉर्म भरना होगा। फसल के अनुसार विभाग आवश्यक तकनीकी सुझाव और दिशा-निर्देश प्रदान करेगा। खेती शुरू होने के बाद विभाग नियमित रूप से मॉनिटरिंग करेगा और किसानों की मदद करेगा। सभी शर्तें पूरी होने पर अनुदान की धन-राशि को किसानों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी।

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