आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है। आलू भारत की मुख्य खाद्य फसलों में से एक है, देश में इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।
भारतभर की मंडियों में आलू की मांग वर्षभर बनी रहती है, जिससे किसानों को उपज बेचने में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आलू की खेती तकरीबन हर जलवायु क्षेत्र में की जा सकती है। परंतु, इसकी फसल के लिए ठंडा और समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छा माना जाता है।
वहीं, आलू की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि, इस समय मिट्टी में नमी और तापमान काफी रहता है, जो फसल की प्रारंभिक वृद्धि के लिए सहायक होते हैं।
आलू की खेती से मोटा मुनाफा कमाने के लिए कृषकों को इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए।
आलू की कुफरी अशोक एक अगेती किस्म है, जो किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय है। यूपी, बिहार, बंगाल, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इस किस्म की सर्वाधिक खेती की जाती है और यह गंगा तटीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है।
यह सफेद कंद वाली आलू किस्म है और इसके पौधे की 60 से 80 सेंटीमीटर तक ऊंचाई रहती है।
आलू बुवाई के लगभग 70 से 80 दिनों में इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है। अगर किसान आलू की इस किस्म की खेती एक हेक्टेयर क्षेत्र में करते हैं, तो इससे करीब 40 टन तक पैदावार हांसिल कर सकते हैं।
अगर हम इस किस्म की औसतन उपज की बात करें, तो किसान प्रति हेक्टेयर 280 से 300 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं।
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किसान अक्टूबर के महीने में आलू की खेती के लिए कुफरी सूर्या किस्म का भी चयन कर सकते हैं। इसका उपयोग चिप्स और फ्रेंच फ्राइज जैसे प्रोडक्ट्स को तैयार करने के लिए सबसे अधिक किया जाता है।
दरअसल, बाकी आलू की किस्मों की तुलना में कुफरी सूर्या आलू का आकार बड़ा होता है। देशभर में चिप्स और स्नैक्स की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों के लिए इस किस्म की खेती फायदेमंद हो सकती है।
कुफरी सूर्या किस्म के आलू का कंद सफेद होता है और इसकी खेती के लिए सिंधु-गंगा क्षेत्र सबसे अच्छा माना जाता है। बुवाई के तकरीबन 75 से 80 दिनों में ही आलू की फसल तैयार हो जाती है।
अगर किसान आलू की इस किस्म की खेती एक हेक्टेयर क्षेत्र में करते हैं, तो इससे करीब 300 से 350 क्विंटल तक उपज हांसिल की जा सकती है।
भारत में सर्वाधिक उगाये जाने वाली आलू की किस्मों में कुफरी पुखराज का भी नाम आता है। पूरे देश में आलू उत्पादन का लगभग 30% योगदान इस किस्म का ही रहता है।
इसकी मुख्य रुप से खेती यूपी, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में की जाती है।
आलू की कुफरी पुखराज किस्म के इस आलू का कंद सफेद होता है और कम तापमान वाले इलाकों के लिए इसकी खेती की जा सकती है। बु
वाई के लगभग 70 से 90 दिनों के अंतर्गत इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है। यदि किसान आलू की कुफरी पुखराज किस्म की खेती एक हेक्टेयर भूमि पर करते हैं, तो इससे तकरीबन 400 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।