कृषि वैज्ञानिकों ने रबी के सीजन में किसानों को फसल बिजाई से संबंधित जानकारी प्रदान की है। वैज्ञानिकों का कहना है, कि किसानों के पास कई फसलों के चयन का विकल्प होने के बावजूद अधिकांश किसान गेंहू ही बोते हैं, ऐसे में उनकी कमाई भी सीमित होती है।
अगर इस बीच मौसम की मार पड़ गयी तो हालत और भी खराब हो जाती है। इसलिए फसल का चुनाव करते समय खास ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
किसानों के लिए मक्का की खेती एक बेहतर विकल्प हो सकती है। रबी के सीजन में मक्का की फसल से डेढ़ से दोगुना अधिक उपज की जा सकती है, जिससे कमाई भी बढ़ेगी।
मौजूदा समय मक्का की मांग अनाज के साथ औद्योगिक उपयोग में हो रही है। बेकरी उत्पाद, स्नैक्स कॉर्न फ्लेक्स, स्टार्च को हेल्दी फूड्स में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतना ही नहीं पशुपालन इत्यादि में मक्का का उपयोग खूब किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की जैव ईंधन नीति के तहत 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसका सीधा लाभ किसानों को होगा, उन्हें मक्का की बेहतर कीमत मिलेगी।
आईएआरआई-पूसा के प्रधान वैज्ञानिक और बीज उत्पादन इकाई के प्रभारी डा. ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार खरीफ की तुलना में रबी सीजन में मक्का की खेती से डेढ़ से दोगुना ज्यादा उपज होती है।
साथ ही इस सीजन में मक्का की खेती गेहूं की तुलना में अधिक फायदेमंद हो सकती है। गेहूं का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 12 से 15 कुंटल तो मक्का का 30 से 40 कुंटल तक हो सकता है।
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई-पूसा) के वैज्ञानिकों के अनुसार रबी के मौसम में मक्के पर कीट लगने की आशंका अन्य फसलों की तुलना में कम होती है।
पैदावार बंपर होती है और उत्पादन में किसी तरह का प्रभाव पड़ने की संभावना भी कम रहती है। इतना ही नहीं मक्के में गेंहू की तुलना खाद, पानी की जरूरत कम होती है।
मतलब कि यह उन क्षेत्रों के लिए बेहतर फसल साबित हो सकती है, जहां पर पानी की किल्लत रहती है। मौजूदा समय मक्के की बुवाई का समय चल रहा है। किसान भाई किसी भी आईएआरआई केन्द्र जाकर संपर्क कर सकते हैं।