मोटे अनाज को ‘मिलेट्स’ अथवा ‘श्रीअन्न’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कूटू इत्यादि मोटे अनाज हैं।
इनमें पोषक तत्वों की काफी भरपूर मात्रा होती है। प्राचीन काल में इन अनाजों का उपयोग दैनिक भोजन में किया जाता था।
मिलेट्स यानी श्री अन्न की स्वास्थ्य संबंधित अनेकों लाभ की वजह से भारत सरकार का विशेष ध्यान मिलेट्स की पैदावार को बढ़ाने के लिए विगत कई वर्षों से रहा है।
ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आज हम आपको बताऐंगे मोटे अनाज के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न लाभों के बारे में।
मोटे अनाज भारतीय पर्यावरण पारस्थितिकी के अनुरूप काफी अनुकूल हैं। ये प्रकृति के मित्र हैं, इनकी पैदावार में धान या गेंहू के मुकाबले कम पानी की आवश्यकता होती है।
एक किलो धान उत्पादन करने के लिए तकरीबन 4 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। वहीं, मोटे अनाज की कम पानी में भी उत्तम पैदावार मिलती है।
मिलेट्स की फसलों में केमिकल फर्टिलाइजर यूरिया आदि की भी आवश्यकता नहीं पड़ती हैं।
ये कम उपजाऊ भूमि में भी शानदार पैदावार देते हैं। साथ ही, इन फसलों की देखरेख के लिए किसानों को कम परिश्रम करना पड़ता है।
श्रीअन्न को आकार के आधार पर दो श्रेणियों में रखा जाता है। बारीक श्रीअन्न, जिसमें कोदो, चीना, कंगनी, रागी, सांवा, कुटकी आदि शामिल हैं।
बाजरा, ज्वार मोटे दाने वाले श्रीअन्न हैं। ज्वार, बाजरा में फूड फाइबर की भरपूर मात्रा पायी जाती है।
मोटे अनाजों में उपस्थित फाइबर की मात्रा मनुष्य के पाचन तंत्र को दुरस्त रखती है। इनमें आयरन और कैल्सियम की मात्रा भी भरपूर पायी जाती है।
जिन लोगों को दूध अपच की शिकायत रहती है, उन लोगों के लिए मोटे अनाज कैल्सियम पूर्ति में सहायक हो सकते हैं। जिनको ग्लूटन एलर्जी होती है, उन्हें डॉक्टर द्वारा मोटे अनाज के सेवन की सलाह दी जाती है।
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मोटे अनाजों में विटामिन ‘बी’ भी काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। बाजरा में बी-3 यानी ‘नियासिन विटामिन’ पाया जाता है।
नियासिन शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने का कार्य करता है। ट्राइग्लिसराइड्स हार्ट अटैक के खतरों को बढ़ाते हैं।
मोटे अनाजों के सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा काबू में रहती है। रागी और ज्वार मधुमेह के रोगियों के लिए अत्यंत ही उपयोगी हैं।
ये शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स के अवषोषण की गति धीमा कर देते हैं। इन अनाजों का ‘जीआई’ यानी ‘ग्लाइसेमिक इंडेक्स’ भी काफी कम होता है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स यह बताता है, कि खाया गया भोजन कितनी जल्दी खून में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है। मोटे अनाज टाइप-2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी उपयोगी होते हैं।
मोटे अनाजों के लाभ को देखते हुए कहा जा सकता है, कि ये ‘सुपर फूड’ हैं। इनका प्रयोग मौसम के मुताबिक, दैनिक भोजन में दलिया, खिचड़ी, रोटी आदि बनाकर किया जा सकता है।
मोटे अनाजों के लाभ को देखते हुए बाजार में इनकी मांग काफी बढ़ रही है। मोटे अनाजों के विभिन्न उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं।