By: tractorchoice
Published on: 09-Jun-2024
भारत के बहुत सारे राज्यों में भीषण गर्मी ने कहर बरपाया हुआ है। जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है। क्योंकि, पारा 50 डिग्री को भी पार कर चुका है।
गर्मी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में AC ब्लास्ट होने से फ्लैट्स में आग लगने की खबरें सामने आ रही हैं।
भीषण गर्मी से गर्म लू और चिलचिलाती धूप से इसानों के साथ-साथ पशु और पक्षी भी काफी परेशान हैं।
गर्म हवाओं की वजह से मवेशियों को लू लगने का खतरा काफी अधिक रहता है। ऐसी स्थिति में किसानों को दुधारू मवेशियों का विशेष ध्यान रखने के लिए उन्हें आहार स्वरूप हरा चारा देना होता है।
किसान भाई गर्मी के मौसम में अपने दुधारू मवेशियों को लोबिया चारा प्रदान कर सकते हैं। इसकी खेती के लिए सिंचित इलाकों को उपयुक्त माना जाता है।
गर्मी और खरीफ मौसम में यह चारा काफी शीघ्रता से बढ़ने लग जाता है। यह दुधारू पशुओं के लिए फलीदार, पौष्टिक और अत्यंत स्वादिष्ट चारा है।
जानिए ऐसे मिलेगी अच्छी पैदावार एवं उत्तम गुणवत्ता
- किसानों को हरे चारे की उत्तम उपज प्राप्त करने के लिए सिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई करनी चाहिए। इसकी अच्छी गुणवत्ता के लिए बारिश पर निर्भर रहने वाले क्षेत्रों में इसके बीजों को बोया जाना चाहिए।
- अगर किसान मई माह में इस फसल की बुवाई करते हैं, तो जुलाई में काफी शानदार मात्रा में दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके अलावा, अगर आप इसकी बुवाई ज्वार, बाजरा और मक्का के साथ करते हैं, तो इससे लोबिया की गुणवत्ता में भी काफी वृद्धि होती है।
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इससे पशुओं को कितना प्रोटीन मिलेगा
- भीषण गर्मी में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता काफी कम होती चली जाती है।
- ऐसी स्थिति में कृषकों को अपने पशुओं को लोबिया चारा खिलाना चाहिए, जिससे दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता ठीक-ठाक बनी रहे।
- बतादें, कि लोबिया चारे में 15 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में करीब 20 से 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है।
किसान भाई इन उन्नत किस्मों का चयन करें
- लोबिया की फसल लगाने से पहले किसानों को इसकी उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए, जिससे चारे का उत्पादन बढ़ सके।
- आप इसकी सी.एस.88 किस्म की फसल लगा सकते हैं, इसे खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। लोबिया की यह सीधी बढ़ने वाली किस्म है, जिसके पत्तों का रंग हरा और यह चौड़े होते हैं।
- लोबिया की इस किस्म के चारे को अलग-अलग रंगों में खासकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी और कीटों से मुक्त रखने के लिए भी जाना जाता है।
- इस किस्म के लोबिया की बुवाई सिंचित क्षेत्रों के साथ-साथ कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी और खरीफ के मौसम में भी की जा सकती है।
- बुवाई के करीब 55 से 60 दिनों में किसान इनकी कटाई कर सकते हैं। किसान प्रति एकड़ से इस किस्म के चारे की करीब 140 से 150 क्विंटल तक उपज हांसिल कर सकते हैं।
लोबिया की खेती हेतु उपयुक्त मृदा
- किसानों को लोबिया की खेती के लिए एक बेहतरीन जल निकासी वाली दोमट मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। लेकिन, रेतीली मृदा में भी इसकी खेती की जा सकती है।
- इसकी फसल से उत्तम पैदावार हांसिल करने के लिए 2 से 3 जुताई करनी पड़ती हैं। बुवाई के लिए आपको प्रति एकड़ में इसके 16 से 20 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है।
- इसकी एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति का फासला करीब 30 सेमी तक रखना चाहिए। बुवाई के लिए पोरे और ड्रिल का इस्तेमाल करना चाहिए।