भारत के अंदर मशरूम की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 02-Jun-2024
भारत के अंदर मशरूम की कुछ उन्नत किस्मों की जानकारी

भारतीय किसान पारंपरिक खेती को छोड़ कर गैर-पारंपरिक खेती की तरफ अपना रुझान कर रहे हैं। वह इसमें सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं। 

भारत के ज्यादातर किसान सब्जियों की खेती करना अधिक पंसद कर रहे हैं। क्योंकि, सब्जी की खेती से कम लागत और कम समय में ज्यादा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है। इनमें मशरूम की खेती भी शम्मिलित है। 

मशरूम की खेती एक लाभदायक व्यवसाय 

मशरूम की खेती कृषकों के लिए काफी फायदेमंद और लाभदायक व्यवसाय है। इसकी खेती के लिए कम जमीन, पानी और समय की आवश्यकता होती है। 

बाकी सब्जियों की खेती के मुकाबले मशरूम की खेती करने में कृषकों की कम लागत आती है और इससे काफी शानदार आय भी अर्जित की जा सकती है। 

अगर किसान मशरूम की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं, तो वह काफी अच्छा-खासा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। जानिए भारत में मशरूम की कुछ महत्वपूर्ण किस्मों के बारे में। 

क्रेमिनी मशरूम

क्रेमिनी, बटन मशरूम की ही एक किस्म है। यह स्वाद में अव्वल होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है। 

इस किस्म के मशरूम पर एक मोटी परत होती है और इसका रंग कॉफी सा होता है। अगर किसान इस किस्म के मशरूम की खेती करते हैं, तो इससे दोगुनी आय कमा सकते हैं।

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पोर्टोबेलो मशरूम

मशरूम की इस किस्म में कैलोरी, वसा और सोडियम बेहद कम मात्रा में पाया जाता है, इसमें एंटीऑक्सिडेंट विघमान होते हैं। विश्वभर में सर्वाधिक उपभोग किए जाने वाले मशरूमों की किस्म में एक यह किस्म भी शामिल है। 

इसको सब्जी और सलाद दोनों ही तरीकों से देश और विदेश में खाया जाता है। इसे सिर का आकार काफी बड़ा होता है। साथ ही, इसका रंग भूरा, सफेद या ऑफ-व्हाइट भी हो सकता है।

शिमेजी मशरूम 

शिमेजी किस्म के मशरूम की खेती समुद्री तट के मृत वृक्षों पर की जाती है। ज्यादातर लोग इस किस्म के मशरूम का सेवन करना पंसद करते हैं। क्योंकि, यह पकने के पश्चात कुरकुरे की भांति स्वादिष्ट हो जाते हैं।

शिमेजी मशरूम में काफी शानदार मात्रा में विटामिन बी2 और डी पाया जाता है। इस किस्म के मशरूम में उपस्थित आहार मोटापा कम करने और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है। 

सफेद बटन मशरूम

भारत में सबसे ज्यादा सफेद बटन किस्म के मशरूम की खेती की जाती है। मशरूम की यह किस्म काफी स्वादिष्ट होती है और इसमें बहुत सारे पोषक तत्व विघमान होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायता करते हैं। 

सब्जी तैयार करने से लेकर पिज्जा और पास्ता जैसे व्यंजनों में मशरूम की इस किस्म का उपयोग किया जाता है। सफेद बटन मशरूम किस्म को कच्चा अथवा पकाकर कैसे भी खाया जा सकता है। 

मशरूम की यह किस्म बाजार में सबसे ज्यादा बिकने वाली किस्म है। इसकी खेती के लिए 22 से 26 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल माना जाता है। 

ऑयस्टर मशरूम

भारत में ऑयस्टर मशरूम को कृषकों के बीच ढींगरी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म का मशरूम देखने में सफेद रंग का होता है। इस किस्म के मशरूम दिखने में डस्की होते हैं, इस वजह से इन्हें ऑयस्टर कहा जाता है।

महाराष्ट्र, मध्‍यप्रदेश, कर्नाटक, बंगाल और उड़ीसा में इस किस्म के मशरूम की विशेष तोर पर खेती की जाती है। ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित रहता है और यह 3 महीनों के अंदर तैयार हो जाती है। 

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मिल्‍की मशरूम

मिल्की मशरूम जिसको भारत में समर मशरूम के नाम से जाना जाता है। मशरूम की यह सफेद बटन किस्म जैसे ही होती है, परंतु यह अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा टिकाऊ होते हैं। 

मिल्‍की किस्म के मशरूम में विटामिन डी की काफी भरपूर मात्रा पाई जाती है, जिसकी वजह से बाजार में इसकी सदैव ही मांग बनी रहती है। इस किस्म के मशरूम को केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में दूसरी फसलों के साथ उगाया जाता है। 

शिटाके मशरूम

शिटाके किस्म के मशरूम विश्व भर में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले मशरूम हैं और यह औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इस किस्म के मशरूमों की भारत में खेती करके विदेशों में निर्यात किया जाता है। 

शिटाके मशरूम विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं और इन्हें हिमाचल और नॉर्थ ईस्ट जैसे प्रदेशों में उगाया जाता है। यह मशरूम डायबिटीज जैसी बीमारियों में काफी लाभकारी माना जाता है। 

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