कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, रासायनिक खादों के इस्तेमाल से फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने से मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी कम होती है। ऐसे में किसान जैविक खाद से मृदा की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं।
किसानों की फसल अच्छी हो इसके लिए मिट्टी, सिंचाई, जलवायु काफी कुछ मायने रखता है। इतना ही मायने रखता है, फसल के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला खाद या उर्वरक।
सामान्यत: किसान रासायनिक उर्वरकों का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं। लेकिन, रासायनिक उर्वरक के कुछ हानिकारक प्रभाव भी होते हैं।
ऐसे में कृषि वैज्ञानिक जैविक खाद के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर अधिक बल देते हैं। रासायनिक उर्वरक के लिए किसानों को पैसे खर्च करने होते हैं, जबकि जैविक खाद काफी ज्यादा किफायती होते हैं।
किसान जैविक खाद स्वयं भी तैयार कर सकते हैं। खेतों की मिट्टी के लिए जैविक खाद बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं होते हैं।
इसके लिए आपको बहुत कुछ चाहिए भी नहीं होता है। देसी गाय, भैंस के गोबर वगैरह से निर्मित किया जा सकता है।
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जैविक खाद तैयार करने के लिए गाय, भैंस का गोबर, गोमूत्र, गुड़, मिट्टी, बेकार या सड़े दाल वगैरह, लकड़ी का बुरादा आदि सामग्री की आवश्यकता है।
अब अगर हम बात करें जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया की तो एक प्लास्टिक का ड्रम लें, उसमें देसी गाय या भैंस का गोबर डालें। अब इसमें गोमूत्र मिला लें और फिर इसमें इस्तेमाल में न आने वाले गुड़ को डालें।
अब इसके बाद पिसी हुई दालों और लकड़ी का बुरादा डालकर मिला दें और फिर इस मिश्रण को 1 किलो मिट्टी में सान लें।
ध्यान रहे जैविक खाद बनाने के लिए सामग्रियों का सही मात्रा में मिश्रण करना बेहद आवश्यक है।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं, कि खाद तैयार करने के लिए 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, एक किलो चोकर, एक किलो गुड़ मिलाकर मिश्रण तैयार करना चाहिए।
किसान भाई इन सारी सामग्रियों को हाथ से भी मिला सकते हैं अथवा किसी लकड़ी के डंडे वगैरह की सहायता ले सकते हैं।
मिश्रण ठीक से बन जाए तो फिर इसमें एक से दो लीटर पानी और डाल दें। अब इस मिश्रण को 20 दिनों तक ढ़क कर रख दें।
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ध्यान रखना है, कि इस ड्रम पर धूप न पड़े। इसे छाया में रखें। बढ़िया खाद पाने के लिए इस घोल को हर दिन एक बार जरूर हिलाते-मिलाते रहें।
20 दिन बाद यह जैविक खाद बन कर तैयार हो जाएगी। खाद में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु काफी फायदेमंद हैं।
इस तरह तैयार किए गए खाद में सूक्ष्म जीवाणु भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो खेतों की मिट्टी की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस जैविक खाद से ना केवल फसल जल्दी विकसित होती है बल्कि फसल की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में आयरन भी मिलता है।
यह पौधे की जड़ों को नाइट्रोजन भी प्रदान करता है। इसके अलावा पौधे की जड़ों में कैल्शियम की समुचित मात्रा भी सुनिश्चित करता है।