रबी सीजन के लिए खाद की कमी के चलते किसानों की समस्याएं बढ़ीं

By: tractorchoice
Published on: 16-Nov-2024
रबी सीजन के लिए खाद की कमी के चलते किसानों की समस्याएं बढ़ीं

भारत के कई हिस्सों से उर्वरक की किल्लत के चलते किसानों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एमपी के शिवपुरी में रबी सीजन के लिए खाद की कमी हो गई। 

किसानों को खाद लेने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन ने खाद वितरण के लिए टोकन व्यवस्था शुरू की। 

टोकन लेने के लिए किसानों की लंबी कतारें लगी हैं। शहर में रबी की फसल के लिए खाद की भारी किल्लत हो गई है। किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है। 

मध्यप्रदेश में खाद की किल्लत से अफरा-तफरी 

यही हाल पूरे एमपी में हो गया है। इसे लेकर किसान सड़कों पर जाम भी लगा चुके हैं। टोकन व्यवस्था होने के बावजूद भी हालात बेकाबू हैं। 

किसानों को टोकन और खाद के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है। कई जगहों पर तो मारपीट तक की नौबत आ गई है। 

शिवपुरी जिले में खाद की कमी की वजह से अन्नदाता परेशान हैं। खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। 

जिला प्रशासन ने टोकन सिस्टम लागू किया है। लेकिन उसके बावजूद भी स्थिति नियंत्रण में नहीं है। टोकन लेने के लिए ही किसानों में धक्का-मुक्की और मारपीट हो रही है।

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मध्य प्रदेश के शिवपुरी में डीएपी की भारी किल्लत 

किसानों का कहना है, कि जिले में डीएपी खाद की बहुत कमी है। जबकि इस समय उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। 

हर किसान कतार में सबसे आगे आना चाहता है। खाद की कमी की वजह से हर दिन इस तरह की स्थिति बन रही है।

बदरवास के एसडीएम कल्ले कोली का कहना है, कि कोलारस और बदरवास को नवंबर महीने में 600-600 मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत थी। 

लेकिन, उनके पास केवल 50-50 मीट्रिक टन डीएपी खाद ही आया है।

खाद के लिए टोकन के बाद भी लड़ाई-झगड़े 

जनपद के कोलारस, बदरवास और करेरा में जिला प्रशासन ने टोकन सिस्टम शुरू किया है। इससे खाद वितरण सही तरीके से हो सके। 

लेकिन, वहां पर भी किसानों को काफी परेशानी हो रही है। किसानों को इस समय खाद की सख्त जरूरत है। ऐसे में उन्हें जैसे भी हो खाद चाहिए। 

यही वजह है, कि टोकन वितरण और खाद वितरण के समय झगड़े और मारपीट की नौबत आ रही है।

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घंटों लाइन में लगे रहने पर भी खाद की कमी 

खाद की किल्लत का आलम यह है, कि किसान आधी रात से ही लाइन में लग जाते हैं, जिससे जल्दी से जल्दी टोकन मिल जाए। 

भूख लगने पर और प्यास लगने पर भी किसान लाइन नहीं छोड़ते। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि उन्होंने जितनी मांग की थी उसके हिसाब से डिमांड भेज दी है। लेकिन डीएपी की आपूर्ति अभी कम है।

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