भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां किसान खेती के साथ साथ पशुपालन भी करते है। सरकार भी किसानों और पशुपालकों की मदद करने के लिए समय समय पर नयी योजनाएँ लागू करती रहती है जिससे किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सके।
किसानों और पशुपालकों को गाय खरीदने में आसानी हो इसलिए सरकार ने किसानों को गाय की खरीद पर सब्सिडी (subsidy) देने का फैसला किया है। प्रदेश सरकार चाहती है कि किसान खेती के साथ पशुपालन भी करें ताकि उनकी आय में वृद्धी हो सके।
किसान दुधारू पशुओं का पालन करके उनका दूध बेच कर अच्छी आय अर्जित कर सकते है। इसी तरह यदि और ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं तो बड़ी डेयरी खोलकर दूध से बने उत्पाद जैसे- दही, छाछ, पनीर आदि डेयरी प्रोडक्ट्स बेचकर इससे अच्छा लाभ कमाया जा सकता है।
इसकी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस नयी योजना का आरंभ किया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को गाय खरीदने पर भारी सब्सिडी दी जा रही है।
इस सब्सिडी का लाभ किसानों को दो गायों की खरीद पर ही मिलेगा। इस योजना का लाभ उठाने की शर्त ये है कि किसान के पास पहले से गाय नहीं होनी चाहिए। किसानों को इस योजना के तहत दो स्वेदशी गायों की खरीदी पर 80,000 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।
प्रदेश सरकार की ओर से नंदबाबा दुग्ध मिशन के तहत मुख्यमंत्री स्वदेशी गौसंवर्धन योजना (mukhyamantri Swadeshi Gau Samvardhan Yojana) की शुरुआत की गई है।
इस योजना में सरकार ने कई शर्त भी राखी है जिनका पालन करना अनिवार्य है। इस योजना के जनादेश के अनुसार यदि किसान दूसरे प्रदेश से साहिवाल, थारपारकर, गिर या संकर प्रजाति की गाय खरीदते हैं तो उन्हें ट्रांसर्पोटेशन, ट्रांजिट इंश्योरेंस एवं पशु इंश्योरेस सहित अन्य मदों पर खर्च होने वाली राशि पर सब्सिडी दी जाएगी।
पशुपालकों को यह सब्सिडी गायों पर दी जाएगी जो अधिकतम 80,000 रुपए तक होगी।
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विभाग ने दो स्वदेशी नस्ल की गायों (Indigenous breed cows) की खरीद पर सभी खर्चों पर 2 लाख रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिसमें 40 प्रतिशत, यानी अधिकतम 80 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना में महिला पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों को 50 प्रतिशत प्राथमिकता दी जाएगी।
इस योजना के तहत सब्सिडी का लाभ लेने वाले किसान पशुपालकों को कुछ शर्तें पूरी करनी होगी। इसमें से पहली शर्त है कि लाभार्थी के पास गौ पालन के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
लाभार्थी को पहले से दो से अधिक स्वदेशी उन्नत नस्ल की गाय नहीं होनी चाहिए। गौपालकों को देशी गाय की उन्नत नस्ल खरीदना अनिवार्य होगा। इसके लिए अनुमति पत्र मुख्य विकास अधिकारी से जारी किया जाएगा। तब तक आप एक विदेशी नस्ल की गाय नहीं खरीद सकते।
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डेयरी किसानों को दूसरे राज्यों से गाय खरीदने के अलावा स्वदेशी गाय पालने के लिए भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए प्रदेश में डेयरी किसानों को स्वदेशी गायों (साहिवाल, गिर, गंगातीरी और थारपारकर) को मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना के तहत प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। पशुपालकों को दूध की मात्रा के आधार पर 10 से 15 हजार रुपए तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
डेयरी किसानों को मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना यूपी (mukhyamantri Progressive Animal Husbandry Promotion Yojna, UP) के तहत देसी नस्ल की साहीवाल, गिर, गंगातीरी, थारपारकर और हरियाणा की गायों का पालन करने का प्रोत्साहन दिया जाता है।
यह प्रोत्साहन राशि दो भागों में विभाजित है। पहले चरण में, साहिवाल, गिर और थारपारकर गायों को प्रतिदिन आठ से बारह लीटर दूध देने पर 10,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वहीं पशुपालक को 12 लीटर से अधिक दुग्ध उत्पादन पर 15,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
साथ ही, हरियाणा गायों को हर दिन छह से दस लीटर दूध देने पर 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, और अधिक दूध देने पर 15,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
गंगातीरी नस्ल की गायों को 6 से 8 लीटर प्रतिदिन दूध देने पर 10,000 रुपए और 8 लीटर से अधिक दूध देने पर 15,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
यूपी सरकार की इस योजना का लाभ लेने एवं इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के निकटतम कृषि विभाग या पशुपालन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।