सिंदूर की खेती और इसको बनाने की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 12-May-2025
सिंदूर की खेती और इसको बनाने की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है। भारतीय कृषि क्षेत्र में सिंदूर की खेती एक लोकप्रिय कृषि विकल्प बनता जा रहा है। 

क्योंकि इसमें कम लागत, लंबी उपज अवधि और वैश्विक मांग की वजह से यह खेती किसानी को आर्थिक तौर पर मजबूत करती है। सिंदूर की प्राकृतिक रंग 'एन्नाटो' के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी बड़ी मांग है।

भारतीय संस्कृति में पेड़ों की भी पूजा की जाती है। साथ ही कुछ पेड़ों से जुड़ी श्रद्धा और परंपरा भी हैं। इन्ही में से एक सिंदूर का पेड़ भी है, जिसको आजकल Vermilion Farming के रूप में जाना जाता है। 

सिंदूर के पेड़ की अहमियत केवल इसके लाल रंग के साथ साथ इस रंग से जुड़ी आस्था और परंपरा के लिए भी है। दक्षिण भारत, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे क्षेत्रों में यह पेड़ अब किसानों के लिए न केवल एक पौधा, बल्कि एक सोने की खान बन चुका है।

सिंदूर, जो कि धार्मिक अनुष्ठानों का अभिन्न हिस्सा है, अब किसानों की खुशहाली का भी प्रतीक बन चुका है। इसकी खेती न सिर्फ कम लागत में उगाई जा सकती है, बल्कि यह लाखों रुपये का मुनाफा भी किसानों को प्रदान करने में सक्षम है। 

सिंदूर का पेड़ क्या है ?

सिंदूर का पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगता है और इसके बीजों से एक प्राकृतिक रंगद्रव्य प्राप्त होता है, जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों, कॉस्मेटिक्स और औषधियों में किया जाता है। इसके बीजों से निकाला गया रंग ‘एन्नाटो’ कहलाता है, जो विश्वभर में प्राकृतिक रंग के रूप में लोकप्रिय है। 

सिंदूर के पेड़ की क्या विशेषताएं हैं ?

सिंदूर के पेड़ की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:- 

  • एक सिंदूर का पौधा लगभग 30 रुपये से 50 रुपये में तैयार हो जाता है। 
  • इसकी खेती में ज्यादा पानी, उर्वरक या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती, जिससे इसकी देखरेख का खर्च काफी कम होता है.
  • एक बार लगाया गया पौधा लगभग 15-20 साल तक फल देता है और एक एकड़ में लगभग 400 से 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं.
  • एक परिपक्व पेड़ से सालाना औसतन 2 से 3 किलो बीज प्राप्त होते हैं. बाज़ार में इन बीजों की कीमत 300 से 500 रुपये प्रति किलो होती है। 
  • यदि एक पेड़ से सालाना 900 रुपये तक की आमदनी होती है, तो 500 पेड़ों से सालाना लगभग 4.5 लाख तक का मुनाफा संभव है। 

सिंदूर बनाने की प्रक्रिया

सिंदूर बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले बिक्सा पौधे के फलों से बीज निकालकर एकत्रित करना । इसके बाद इन बीजों को कुछ दिनों तक धूप में सुखाया जाता है, ताकि इनमें मौजूद नमी समाप्त हो जाए। 

फिर सूखे बीजों को पीसकर एक लाल रंग का पाउडर तैयार किया जाता है। इसके बाद पाउडर को छानकर उसमें से अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं। इसमें हल्दी, चंदन, कपूर, या गुलाब जल जैसे तत्व मिलाकर इसको और भी उपयोगी बनाया जा सकता है। 

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सिंदूर की बाजार मांग 

भारत के अंदर आज भी सिंदूर की खेती काफी सीमित है, जबकि वैश्विक बाजार में एन्नाटो की भारी मांग है। अमेरिका, जापान और यूरोप के कई देशों में प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ रही है। इसके कारण भारत में सिंदूर उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सकता है।

सिंदूर की खेती के लिए सरकारी प्रोत्साहन 

भारत के अंदर विभिन्न राज्यों के कृषि विभाग सिंदूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण, पौध वितरण और विपणन सहयोग दे रहे हैं। 

विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में यह खेती आदिवासी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है। 


प्रश्न: भारत में सिंदूर उत्पादन को क्यों प्रोत्साहन दिया जा रहा है ?

उत्तर: सिंदूर की वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग की वजह से भारत में सिंदूर उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सकता है।

प्रश्न: सिंदूर की खेती के लिए कैसी जलवायु होनी चाहिए ? 

उत्तर: सिंदूर की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। 

प्रश्न: भारत के किन क्षेत्रों में सिंदूर की खेती की जा रही है ? 

उत्तर: भारत के अंदर सबसे ज्यादा सिंदूर की खेती छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में की जा रही है। 

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