इस जायद सीजन में ककड़ी की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

By: tractorchoice
Published on: 10-Mar-2025
Fresh green snake cucumbers (Kakdi) stacked together in a market

किसान साथियों, जैसा कि हम सब जानते हैं, कि किसान रबी सीजन की ककड़ी की खेती नकदी फसल के रूप में करते हैं। ककड़ी एक कद्दूवर्गीय फसल है, जो खीरे के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। 

ककड़ी की खेती से कम लागत में काफी अच्छा मुनाफा हांसिल किया जा सकता है। ककड़ी की खेती भारत के करीब सभी हिस्सों में की जाती है। 

यह भारतीय मूल की फसल है, जिसे जायद की फसल के साथ उगाया जाता है। ककड़ी के फल की एक फीट तक लंबाई होती है। 

ककड़ी का कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करें 

ककड़ी को प्रमुख रूप से सलाद और सब्जी के लिए समुचित मात्रा में उपयोग किया जाता है। अभी गर्मियों का मौसम शुरू होने में समय है और इसकी बुवाई का समय भी अभी अनुकूल है। 

किसान साथियों आप ककड़ी की खेती कर काफी शानदार आय अर्जित कर सकते हैं। क्योंकि, जैसे ही गर्मियों का मौसम अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा। वैसे-वैसे इसकी बाजारों में मांग बढ़ने लग जाएगी।

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ककड़ी की किस्म कितने प्रकार की होती है ? 

ककड़ी में दो मुख्य प्रजातियां होती हैं- पहली हलके हरे रंग के फल वाली और दूसरी में गहरे हरे रंग के फल वाली। अधिकांश लोग इनमें पहली प्रजाति को ही ज्यादा पसंद करते हैं। 

ककड़ी के फलों की तुड़ाई कच्ची अवस्था में ही की जाती है। ककड़ी की इन उन्नत किस्मों से करीब 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है। 

ककड़ी की लखनऊ अर्ली किस्म 

ककड़ी की यह लखनऊ अर्ली किस्म काफी स्वादिष्ट और मुलायम होती है। उत्तर भारत के राज्यों में काफी बड़े पैमाने पर ककड़ी की खेती की जाती है। आइए जानते हैं, लखनऊ अर्ली किस्म की ककड़ी के बारे में।  

  1. लखनऊ अर्ली किस्म मध्य अवधि में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। 
  2. ककड़ी के बीजों की बुवाई के लगभग 75 से 80 दिन के बाद में फसल पककर तैयार हो जाती है। 
  3. किसान इसके फलों की तुड़ाई कर सकते हैं। 
  4. लखनऊ अर्ली ककड़ी किस्म से प्रति हैक्टेयर 150 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।

दुर्गापुरी ककड़ी किस्म 

दुर्गापुरी ककड़ी किस्म के फल हल्के पीले रंग के होते हैं, जिन पर नालीनुमा धारियां बनी होती हैं। आइए जानते हैं, दुर्गापुरी ककड़ी किस्म से जुड़ी खास बातें। 

  1. ककड़ी की इस किस्म का उत्पादन हर जगह काफी आसानी से किया जा सकता है। 
  2. ककड़ी की दुर्गापुरी किस्म बुवाई करने के लगभग 80-90 दिनों के बाद तैयार हो जाती है। 
  3. दुर्गापुरी ककड़ी किस्म से प्रति हेक्टेयर 190 से 200 क्विंटल से भी अधिक उपज ली जा सकती है। 
  4. ककड़ी की दुर्गापुरी किस्म में रोगों के आक्रमण का खतरा काफी ज्यादा कम रहता है।  

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पंजाब स्पेशल किस्म 

पंजाब स्पेशल किस्म ककड़ी संकर किस्मों में सबसे लोकप्रिय किस्म है। इस किस्म को उत्तरी भारत के राज्यों के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ककड़ी की पंजाब स्पेशल किस्म से जुड़ी कुछ खास बातें। 

  1. पंजाब स्पेशल किस्म का फल हल्का पीला होता है। 
  2. पंजाब स्पेशल किस्म के फल की लंबाई 1 फीट से भी ज्यादा होती है। 
  3. पंजाब स्पेशल किस्म बेहद ही शीघ्रता से पकने वाली किस्म होती है। 
  4. पंजाब किस्म को लगाकर किसान प्रति हैक्टेयर 200 क्विंटल से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

ककड़ी की अन्य किस्में 

ककड़ी की अन्य उन्नत किस्मों के अंतर्गत निम्नलिखित किस्में हैं - 

  1. प्रिया हाइब्रिड- 1, 
  2. पंत संकर खीरा- 1 और हाइब्रिड- 2, 
  3. जैनपुरी ककड़ी, 
  4. अर्का शीतल आदि 

निष्कर्ष -

इस जायद सीजन में किसान ककड़ी की खेती कर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। ककड़ी की गर्मियों में मांग और दाम अच्छा होने की वजह से किसानों के लिए यह बड़े लाभ का सौदा साबित हो सकता है।

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