गर्मियों के दिनों में सबसे ज्यादा खाई जाने वाले फल का नाम ककड़ी है। ककड़ी का वानस्पतिक नाम कुकमिस मेलो होता है।
कुकरबिटेसी परिवार से आने वाली ककड़ी का मूल स्थान भारत ही है। भारत के अंदर काफी बड़े क्षेत्रफल में ककड़ी का उत्पादन कर किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं। ऐसे तो भारत में बहुत सारे फल और सब्जी उगाई जाती हैं।
लेकिन, अधिकांश भारतीय लोग ककड़ी का सलाद खाना बेहद पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, इसका छिल्का नर्म और गुद्दा सफेद होने की वजह से इसको सामान्य रूप से भी लोग खाते हैं।
ककड़ी की तासीर शीतल होने की वजह से इसका फल में ठंडा असर पड़ता है। इसलिए लोग इसका सेवन गर्मियों के दौरान काफी ज्यादा करते हैं।
ककड़ी की खेती सामान्य रूप से तो किसी भी मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन, इसकी खेती के लिए रेतली दोमट से भारी मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
ककड़ी की फसल के लिए समुचित जल निकास वाली जमीन होनी चाहिए। ककड़ी की खेती के लिए मिट्टी का pH मान 5.8-7.5 होना चाहिए।
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ककड़ी की खेती के लिए जमीन को सही से 2-3 बार गहरी जोताई करने की जरूरत होती है।
पंजाब लोंगमेलोन-1 किस्म 1995 में विकसित की गई थी। इस किस्म को पककर तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता है।
पंजाब लोंगमेलोन-1 किस्म की बेलें लंबी, हल्के हरे रंग का तना, पतला और लंबा फल होता है। पंजाब लोंगमेलोन-1 की औसतन उपज 86 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
करनाल सिलेक्शन किस्म की फल उत्पादन क्षमता काफी ज्यादा होती है। इस किस्म का कद लंबा, गुद्दा कुरकुरा और स्वाद बेहतरीन होता है।
अर्का शीतल किस्म आई.आई. एच. आर, लखनऊ, द्वारा विकसित की गई है। इस अर्का शीतल के फल हरे रंग के होते हैं, जो कि मध्यम आकार के होते हैं।
इसका गुद्दा कुरकुरा और अच्छे स्वाद वाला होता है। यह किस्म 90-100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
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ककड़ी की अन्य भी कई सारी किस्में बाजर में उपलब्ध हैं, जैसे कि थार शीतल, लखनऊ अर्ली, नसदार, नस रहित लम्बा हरा और सिक्किम ककड़ी आदि।
ककड़ी की बुवाई करने के लिए सबसे सही समय फरवरी से मार्च का महीना रहता है। आइये जानते हैं ककड़ी की बिजाई से जुडी कुछ जरूरी बातों के बारे में।
ककड़ी के बीज को मृदा जनित रोगों से बचाव हेतु बैनलेट या बविस्टिन 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करना चाहिए।
खरपतवारों की रोकथाम के लिए बेलों के फैलने से पूर्व इनकी ऊपरी परत की कैंची के जरिए हल्की गोडाई करना जरूरी है।
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किसी भी फसल में सिंचाई का समय पर होना बेहद जरूरी होता है। चलिए जानते हैं ककड़ी की सिंचाई से जुडी कुछ खास बातें।
ककड़ी के फल को पककर तैयार होने में 60-70 दिनों का समय लग जाता है। ककड़ी की कटाई इसके फल के तैयार होने और नर्म पड़ने पर की जाती है। ककड़ी की कटाई फूल निकलने के दौरान 3-4 दिनों की समयावधि पर की जाती है।
ककड़ी के सूखने पर उसमें से बीज निकाल लें इसके बाद उन बीजों को पानी में डालें और जो बीज पानी की निचली सतह पर टिक जाए उस बीज को अगली बुवाई के लिए इकठ्ठा करलें।
ककड़ी गर्मियों में शीतलता प्रदान करने वाला फल है। बाजार में ककड़ी का भाव 2000 रुपए प्रति 100 किलो के आसपास है। इसलिए अगर किसान जायद में ककड़ी का उत्पादन करते हैं तो उनको अच्छी आय हांसिल हो सकती है।