जायद सीजन में तरबूज की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 13-Jun-2025
Big watermelon with leaves in farm

तरबूज को प्रत्येक भारतवासी जानता है, क्योंकि गर्मियों के समय भारतभर में तरबूज के फल का सेवन किया जाता है। अगर हम तरबूज को गर्मी का बादशाह फल भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 

बहुत सारे चिकित्सक भी तरबूज का गर्मियों में सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद बताते हैं। 

अपनी अनेकों खूबियों के साथ साथ इसका स्वाद मीठा और दिलचस्प होने की वजह से तरबूज लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय और पसंदीदा फल है। 

तरबूज कद्दूवर्गीय श्रेणी के अंतर्गत आने वाली फसल है। आप गर्मियों के दिनों में पोषक तत्वों से भरपूर तरबूज के फल से फ्रूट डिश, जूस और शरबत आदि बना सकते हैं। 

तरबूज के स्वास्थ्य लाभ 

ताजगी देने वाले इस तरबूज के फल में भरपूर पानी होने की वजह से गर्मियों में तरबूज खाने से धूप में भी शरीर हाइड्रेट और तरोताजा महसूस होता है। आइए जानते हैं, तरबूज के सेवन से कुछ प्रमुख फायदों के बारे में।

  • तरबूज में उपलब्ध पोटेशियम हृदय को स्वस्थ और रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करता है। 
  • तरबूज एक लो-कैलोरी फल है, जो सिर्फ 16 किलो कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। 
  • तरबूज में प्रोटीन और वसा होने से मोटापा कम होता है। साथ ही, इसमें विटामिन 'ए', विटामिन 'सी' और आयरन भी होता है। 

ये भी पढ़े: खुबानी की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी

तरबूज की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

तरबूज की उन्नत खेती के लिए मध्यम काली, रेतीली दोमट मृदा सबसे अच्छी होती है। क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में कार्बनिक पदार्थ और उचित जल क्षमता होती है। तरबूज की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। 

तरबूज के लिए खेत की तैयारी 

तरबूज की खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए खेत की 2-3 बार जोताई कर लेनी चाहिए। 

भूमि की तैयारी के बाद 60 सें.मी. चौड़ाई और 15-20 सें.मी. ऊंचाई वाली क्यारियां (रेज्ड बेड) बनाई जाती हैं। आप खेत की क्यारियों में 6 फीट का अंतर रख सकते हैं। 

तरबूज की उन्नत किस्में 

तरबूज की प्रमुख उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं 

पूसा बेदाना 

पूसा बेदाना किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा तैयार की गई है। 

इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है, कि इसके फलों में बीज नहीं पाए जाते हैं। पूसा बेदाना किस्म के फल ज्यादा मीठे होते हैं। पूसा बेदाना को तैयार होने में 85 से 90 दिन लग जाते हैं।

ये भी पढ़े: अमरूद की खेती को लाभकारी बनाने में मददगार जानकारी

डब्ल्यू 19  

डब्ल्यू 19 किस्म ज्यादा गर्मी को भी झेल सकती है। तरबूज की खेती शुष्क इलाकों में भी की जा सकती है। 

इसके फलों पर हल्के हरे रंग की धारियां बन जाती हैं एवं इसका गुदा गहरे गुलाबी रंग का एवं खोज होता है। तरबूज के फल बेहतरीन गुणवत्ता से युक्त और मीठे होते हैं। डब्ल्यू 19  किस्म को तैयार होने में 75 से 80 दिन लग जाते हैं।

काशी पितांबर 

काशी पितांबर किस्म के छिलके पीले रंग के और अंदर का रंग गुलाबी होता है। काशी पितांबर किस्म के तरबूज का औसतन वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम तक होता है। इस किस्म से करीब 160 से 180 क्विंटल प्रति एकड़ फल हांसिल हो जाते हैं।

अलका आकाश 

अलका आकाश एक संकर किस्म है। इसका फल अंडाकार और अंदर से गुलाबी होता है। तरबूज उत्पादक किसान प्रति एकड़ जमीन से 36 से 40 टन फल हांसिल कर सकते हैं।

दुर्गापुर मीठा  

दुर्गापुर मीठा किस्म के फलों पर धारियां होती है। यह खाने में बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं।

इस किस्म के एक तरबूज फल का वजन 6 से 8 किलोग्राम तक होता है। तरबूज की अन्य किस्में भी हैं ,जैसे शुगर बेबी, अर्का मानिक और अर्का ज्योति इत्यादि। 

ये भी पढ़े: कीवी का सेवन करने से मिलने वाले अद्भुत लाभ जानकर आपको आश्चर्य होगा

तरबूज की बिजाई 

तरबूज की बेहतरीन किस्मों के लिए 2.5-3 कि.ग्रा. और संकर किस्मों के लिए 750-875 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा से बिजाई करनी चाहिए। 

तरबूज की बुवाई के पहले बीज को कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशक 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में लगभग तीन घंटे तक डुबोकर उपचारित कर सकते हैं। 

बीज उपचार के बाद बीजों को जूट बैग में 12 घंटे तक छाया में रखने के बाद खेत में बिजाई कर सकते हैं। 

तरबूज की सिंचाई

तरबूज की बिजाई के बाद एक हफ्ते तक मिट्टी और जलवायु के अनुरूप सिंचाई करें। तरबूज की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने पर नुकसान होता है। 

हालांकि, शुरुआत में पानी की खास जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन, तरबूज के विकास के समय पानी की बहुत जरूरत होती है। इसलिए आम तौर पर तरबूज की सिंचाई 5-6 दिन के बाद की जाती है। 

तरबूज की कटाई 

तरबूज की फसल को पककर तैयार होने में आम तौर पर तकरीबन 90 से 100 दिन का समय लग जाता है। लेकिन, फसल की कटाई का समय बोई गई किस्म के आधार पर तय होता है।

कटाई के बाद 

तरबूज की कटाई के बाद किसान इसको आसानी से मंडियों में अच्छी खासी कीमत पर बेचकर काफी शानदार आय अर्जित कर सकते हैं। 

तरबूज की खेती करने से स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है। लेकिन, किसानों की आर्थिक स्थिति भी काफी मजबूत होती है।  

निष्कर्ष -

गर्मियों में तरबूज की बाजार में अच्छी-खासी मांग होने की वजह से इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। इसलिए किसान जायद में तरबूज की खेती से अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।  

Similar Posts