भारत एक कृषि समृद्ध देश है। यहाँ की अधिकांश आबादी कृषि पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर आधारित रहती है।
अगर आप एक भारतीय किसान हैं और खुबानी की लाभदायक खेती करना चाहते हैं, तो आज हम आपको खुबानी की खेती के विभिन्न चरणों के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। खुबानी की खेती कर कृषक काफी शानदार मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।
खुबानी एक समशीतोष्ण फल है, जिसको ठंडे मौसम की जरूरत पड़ती है। खुबानी की खेती के लिए कौन-सा मौसम सबसे उपयुक्त है।
खुबानी की खेती के लिए समुचित जल निकास वाली रेतीली अथवा बलुई दोमट मृदा आदर्श होती है। मिट्टी का पीएच (pH) 6.5 से 7.0 के मध्य होना चाहिए।
खुबानी के रोपण से पूर्व मृदा की जांच कराएं और आवश्यकतानुसार मृदा सुधारें। खुबानी के पेड़ों को सुप्तावस्था (Dormancy) में जाने के लिए सर्दियों में पर्याप्त मात्रा में ठंड की जरूरत पड़ती है।
एक अच्छे आदर्श के रूप से उनका 400-800 घंटे का तापमान 7°C से कम होना चाहिए। वसंत ऋतु में, हल्की ठंड़ से भी फूलों और छोटे फलों को नुकसान पहुँच सकता है।
इस वजह से इसका खिलने के दौरान ठंड़ से संरक्षण काफी जरूरी है। गर्मियों में गर्म और शुष्क मौसम फलों के बेहतर विकास के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।
यह भी पढ़ें: भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है?
खुबानी की सफल खेती के लिए सावधानीपूर्वक योजना और उचित प्रबंधन की जरूरत पड़ती है।
भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त खुबानी की कुछ लोकप्रिय किस्में हैं। जैसे कि महाराजा, अर्ली गोल्ड, चीलिंगटन आदि। अपनी जलवायु और बाजार की मांग के हिसाब से किस्म का चुनाव करें।
अच्छी प्रतिष्ठित नर्सरी से स्वस्थ, एक साल पुराने ग्राफ्टेड पौधे प्राप्त करें। यह सुनिश्चित करें कि पौधे रोग और कीट से पूर्णतय मुक्त हों।
रोपण से 6-8 सप्ताह पूर्व खेत की गहरी जुताई करें। मृदा में बेहतरीन ढ़ंग से सड़ी हुई गोबर की खाद या एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष आर्गेनिक खाद मिलाएं, मृदा परीक्षण के आधार पर मात्रा निर्धारित करें।
रोपण के लिए 60 से.मी x 60 से.मी x 60 से.मी आकार के गड्ढे खोदें और उन्हें 15 दिनों के लिए खुला छोड़ दें।
सर्दियों के आखिर में, जब ठंड़ का संकट कम हो जाता है, तो फरवरी से मार्च के महीने के दौरान खुबानी के पौधे रोपे जा सकते हैं। पौधे को गड्ढे में रखें और आसपास की मृदा को मजबूती के साथ दबाएं।
रोपण के दौरान ध्यान दें, कि ग्राफ्ट यूनियन (जहां कलम को मूलवृक्ष पर लगाया जाता है) जमीन से थोड़ा ऊपर होना चाहिए।
ये भी पढ़ें: जैविक खेती की महत्ता, लाभ और सिद्धांतों के बारे में जानें
खुबानी के पेड़ों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर गर्मियों में। हालांकि, जलभराव से बचना चाहिए।
खरपतवार ना केवल पोषक तत्वों के लिए पेड़ों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, बल्कि कीट-पतंगों के लिए भी आश्रय स्थल बन सकते हैं। इसलिए, नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें, खासकर पेड़ों के आसपास।
संतुलित वृद्धि और फल उत्पादन के लिए उर्वरकों का प्रयोग करें। साल में दो बार, एक बार सर्दियों के अंत में और दूसरी बार फल लगने से पहले, पेड़ों के पास अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर खाद या एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष आर्गेनिक खाद डालें।
साथ ही, मिट्टी परीक्षण के आधार पर निर्धारित मात्रा में रासायनिक खादों का भी प्रयोग करें।
यह भी पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर अमित शाह ने नैनो-उर्वरक सब्सिड़ी योजना का अनावरण किया
खुबानी के पेड़ों को एक मजबूत केंद्रीय तने और अच्छी तरह से फैली हुई शाखाओं वाली खुले प्याला आकार में विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है।
यह हवा के संचार और प्रकाश के प्रवेश में सुधार करता है, जिससे बेहतर फल विकास होता है। सर्दियों के दौरान, निष्क्रिय अवस्था में पेड़ों की छंटाई की जाती है। टूटी हुई, रोगग्रस्त, और अतिरिक्त शाखाओं को हटा दें।
अधिकांश खुबानी की किस्में स्व-परागण वाली नहीं होती हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें फल उत्पादन के लिए परागण की आवश्यकता होती है।
मधुमक्खियों को बाग में आकर्षित करने के लिए आसपास फूल वाले पौधे लगाने से परागण में सुधार किया जा सकता है। फल बनने के शुरुआती चरण में, कुछ फलों को तोड़ देना (thinning) लाभदायक होता है।
इससे बचे हुए फलों को पोषक तत्व मिलने में सहायता मिलती है और फल का आकार भी शानदार होता है।
खुबानी के पेड़ कई तरह के कीटों और रोगों से प्रभावित हो सकते हैं। नियमित निगरानी करें और जरूरत के अनुसार जैविक य रासायनिक नियंत्रण विधियों का इस्तेमाल करें।
कृषि विभाग या विश्वसनीय स्रोतों से उचित सलाह लें। जब फल पूरी तरह से पक जाते हैं और हल्का नरम हो जाते हैं, तो तोड़ने के लिए तैयार होते हैं।
फलों को सावधानी से तोड़ें और किसी भी खरोंच या चोट से बचें। खुबानी को कम तापमान (लगभग 0°C) और उच्च आर्द्रता (लगभग 85-90%) वाले वातावरण में अपेक्षाकृत कम समय के लिए संग्रहीत किया जा सकता है। फलों को बाजार में जल्दी बेचना या खपत के लिए उपयोग करना सबसे अच्छा होता है।