भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर आश्रित है। हमारे देश में अधिकतर सीमांत वर्ग के किसान है जीने पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है।
किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए सरकार समय समय पर योजनाएँ चलाती है जिनके जरिये किसानों को आर्थिक सहायता या अनुदान दिया जाता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी देश की सबसे बड़ी योजना है।
यह योजना उन किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी जो अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं और खराब मौसम से उनकी रक्षा भी करेगी।
यह योजना भारत के हर राज्य में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की गयी है। इस योजना का प्रशासन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता है। हमारे इस लेख में हम आपको इस योजना से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
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प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के मुख्य आकर्षण बिंदु
- इस योजना के अंतर्गत किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाता है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम केवल 5% है।
- किसानों द्वारा भुगतान किये जानेवाले प्रीमियम की दरें बहुत ही कम हैं और शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में फसल हानि के लिए किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान की जाए।
- इस योजना के अंतर्गत सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है, भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- इस योजना के माध्यम से काफी हद तक प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। दावा भुगतान में होने वाली देरी को कम करने के लिए फसल काटने के डेटा को एकत्रित एवं अपलोड करने हेतु स्मार्ट फोन, रिमोट सेंसिंग ड्रोन और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
- 2016-2017 के बजट में प्रस्तुत योजना का आवंटन 5, 550 करोड़ रूपये का है।
- बीमा योजना को एक मात्र बीमा कंपनी, भारतीय कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
- पीएमएफबीवाई राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) एवं संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) की एक प्रतिस्थापन योजना है और इसलिए इसे सेवा कर से छूट दी गई है।
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प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के उद्देश्य
- इस योजना का प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित इस योजना के तहत फसल में किसी भी विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- ये योजना कृषि में किसानों की सतत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देना।
- किसानों को कृषि में नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- इस योजना से कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना है।
योजना के अंतर्गत कवरेज
- इस योजना के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/ जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं।
- फसल के निम्नलिखित चरण और फसल नुकसान के लिए जिम्मेदार जोखिम योजना के अंतर्गत कवर किये जाते हैं।
- बुवाई/रोपण में रोक संबंधित जोखिम: बीमित क्षेत्र में कम बारिश या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बुवाई/ रोपण में उत्पन्न रोक।
- खड़ी फसल (बुवाई से कटाई तक के लिए): नही रोके जा सकने वाले जोखिमों जैसे सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, टेम्पेस्ट, तूफान और बवंडर आदि के कारण उपज के नुकसान को कवर करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान की जाती है।
- कटाई के उपरांत नुकसान: फसल कटाई के बाद चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के विशिष्ट खतरों से उत्पन्न हालत के लिए कटाई से अधिकतम दो सप्ताह की अवधि के लिए कवरेज उपलब्ध है।
- स्थानीयकृत आपदायें: अधिसूचित क्षेत्र में मूसलधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय जोखिम की घटना से प्रभावित पृथक खेतों को उत्पन्न हानि/क्षति।
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योजना के अंतर्गत बीमित राशि/कवरेज की सीमा क्या रहेगी
अनिवार्य घटक के तहत ऋणी किसानों के मामले में बीमित राशि जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) बीमित द्वारा निर्धारित वित्तिय माप के बराबर होगा जिसे बीमित किसान के विकल्प पर बीमित फसल की अधिकतम उपज के मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है। यदि अधिकतम उपज का मूल्य ऋण राशि से कम है तो बीमित राशि अधिक होगी।
राष्ट्रीय अधिकतम उपज को चालू वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ गुणा करने पर बीमा राशि का मूल्य प्राप्त होता है। जहां कहीं भी चालू वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध नहीं है, पिछले वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य अपनाया जाएगा।
जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है, विपणन विभाग/बोर्ड द्वारा स्थापित मूल्य अपनाया जाएगा।