मेथी की खेती कैसे की जाती हैं ?

By: tractorchoice
Published on: 19-Mar-2025
Freshly harvested fenugreek (methi) leaves.

भारत में मेथी एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक मसाला फसल है, जिसे इसके बीज, कोमल अंकुर और ताजी पत्तियों के लिए बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। 

इसकी खेती पूरे देश में होती है, लेकिन मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश में अधिक होती है। मेथी पोषण से भरपूर होती है और इसमें प्रोटीन, विटामिन ए और विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।

मेथी की उन्नत किस्में

मेथी की कुछ उन्नतशील किस्मों में पूसा अर्ली बंचिंग, कसूरी मेंथी, लेम सेलेक्शन-1, राजेंद्र क्रांति, हिसार सोनाली, पंत रागनी, एमएच-103, सीओ-1, आरएमटी-1 और आरएमटी-143 शामिल हैं।

खेत की तैयारी

खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, इसके बाद दो-तीन बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरा व समतल बना लेना चाहिए। अंतिम जुताई के दौरान प्रति हेक्टेयर 100-150 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद मिलानी चाहिए।

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बीज और बुवाई

मेथी की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है, जबकि कसूरी मेथी के लिए 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। 

बीज को थीरम (3 ग्राम/किग्रा), बेविस्टीन (2 ग्राम/किग्रा), सेरोसेन या केप्टान (2 ग्राम/किग्रा) से शोधित कर बुवाई करनी चाहिए।

बुवाई का समय सितंबर से अक्टूबर के बीच उपयुक्त होता है, हालांकि विलंब होने पर नवंबर के दूसरे सप्ताह तक बुवाई की जा सकती है। 

लाइन में बुवाई अधिक फायदेमंद होती है, जिसमें लाइनों के बीच 25-30 सेमी और पौधों के बीच 5-10 सेमी की दूरी रखनी चाहिए।

पोषण प्रबंधन

खेत की तैयारी के समय 100-150 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद डालनी चाहिए। इसके अलावा, प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। 

फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा बुवाई के समय डालनी चाहिए, जबकि शेष नत्रजन को दो बार टॉप ड्रेसिंग के रूप में 25-30 और 40-45 दिन के अंतराल पर देना चाहिए।

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 रोग प्रबंधन

मेथी की फसल को उकठा, डैम्पिंग ऑफ, पाउडरी मिल्ड्यू, लीफ स्पॉट, डाउनी मिल्ड्यू और ब्लाइट जैसी बीमारियां प्रभावित कर सकती हैं। 

इनसे बचाव के लिए बीज शोधन आवश्यक है। पाउडरी मिल्ड्यू के लिए 5% सल्फर पाउडर का 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, जबकि डाउनी मिल्ड्यू के नियंत्रण के लिए 1% बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें।

कीट प्रबंधन

मेथी में पत्ती का गिडार, पॉड बोरर और माहू कीट लग सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए 0.2% कार्बेरिल, 0.05% इकोलेक्स या 1 मिलीलीटर मैलाथियान प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

कटाई और उपज

यदि फसल केवल हरी पत्तियों के लिए उगाई जाती है, तो प्रति हेक्टेयर 90-100 क्विंटल उत्पादन होता है। यदि फसल पत्तियों और बीज दोनों के लिए उगाई जाती है, तो 15-20 क्विंटल पत्तियां और 8-10 क्विंटल बीज प्राप्त होता है। 

केवल बीज उत्पादन के लिए उगाई गई फसल से 12-15 क्विंटल बीज की पैदावार होती है।

कटाई का सही समय तब होता है जब बीज पककर सूखने लगते हैं। कटाई के बाद मड़ाई कर बीजों को अलग कर लिया जाता है।

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