जरबेरा की खेती से जुड़ी विस्तृत जानकारी

By: tractorchoice
Published on: 24-Jan-2025
gerbera ki kheti

जरबेरा फूल काफी लोकप्रिय फूल है। यह भारत भर में उगाई जाने वाली अहम फूल की फसल है। जरबेरा एक सजावटी फूलों का पौधा है। 

ग्रीन हाउस में उगाने पर इसकी अधिक पैदावार होती है। जरबेरा का अन्य नाम “ट्रांसवल डेज़ी” या “अफ्रीकन डेज़ी” भी है। जरबेरा का फूल कोम्पोसिट श्रेणी के अंदर आता है। 

किसान साथियों, अगर भारत की धरती पर जरबेरा के फूल की खेती की बात करें तो यह पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि राज्यों में काफी बड़े स्तर पर उगाया जाता है। 

जरबेरा की खेती के लिए अनुकूल मिट्टी   

जरबेरा की खेती के लिए हल्की और अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की जरूरत होती है। लाल लेटराइट मिट्टी जरबेरा की खेती के लिए काफी शानदार मानी जाती है। इसकी खेती के लिए मृदा का PH 5.0-7.2 के बीच होना चाहिए। 

भूमि की तैयारी

  • जरबेरा की खेती के लिए भूमि की अच्छे तरीके से 2-3 बार जुताई करके बाद में क्यारियों में बाँट दें। 
  • अगर हम क्यारी की लम्बाई और चौड़ाई की बात करें तो लम्बाई 2 मी. और चौड़ाई 3 मी. होनी चाहिए। 
  • जरबेरा की खेती के लिए क्यारियों की ऊंचाई कम से कम 20 सें.मी. तक होनी चाहिए। 

जरबेरा की उन्नत किस्में

हाइब्रिड किस्में

  • सफेद रंग के फूलों की किस्म
  • व्हाइट मारिया और डेल्फी (White Maria and Delphi).
  • जामुनी रंग के फूलों की किस्म 
  • ब्लैकजैक और ट्रेजर (Blackjack and Treasure).

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लाल रंग के फूलों की किस्म 

फ्रेडोरेला (Fredorella), वेस्टा (Vesta), रेड़ इम्पल्स (Red Impulse), शानिया (Shania), डस्टी (Dusty), रूबी रेड (Ruby Red), तमारा एंड सलवेडोर (Tamara and Salvadore). 

पीले रंग के फूलों की किस्म 

फ्रेडकिंग (Fredking), गोल्ड़ स्पॉट (Gold spot), हॉराइजन (Horaizen), तालसा (Talasaa), पनामा (Panama), नदजा (Nadja), सुपरनोवा (Supernova), मम्मुत (Mammut), यूरेनस (Uranus and Fullmoon). 

संतरी रंग के फूलों की किस्म 

ऑरेंज क्लासिक (Orange Classic), गोलिआथ (Goliath), करेरा (Carrera), मरासोल और कोजक (Marasol and Kozak).

गुलाब के फूलों की रंग वाली किस्म

सेल्वाडोर और रोसालिन (Salvadore and Rosalin).

क्रीम रंग के फूलों की किस्म 

विंटर क्वीन (Winter Queen), स्नो फ्लेक (Snow Flake), डालमा और फरीदा (Dalma and Farida).

गुलाबी रंग के फूलों की किस्म 

वेलेंटाइन (Valentine), मरमरा (Marmara), पिंक ऐलिगेन्स (Pink Elegance), टेराक्वीन और एस्मारा (Terraqueen and Esmara).

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जरबेरा की बुवाई 

  • जरबेरा के बीज की रोपने का सबसे अच्छा वक्त वर्षा के बाद का होता है।
  • जरबेरा की सामान्य तौर पर सितंबर से अक्तूबर और फरवरी से मार्च के दौरान बुवाई होती है। 
  • जरबेरा की बुवाई के लिए टिशू कल्चर मेथड काफी अच्छा होता है। 

खरपतवार नियंत्रण

जरबेरा की खेती को खरपतवारों से बचाने के लिए 2 हफ्ते या 4 हफ्ते बाद निराई-गोड़ाई का कार्य जरूर करें। 

सिंचाई

  • जरबेरा की सिंचाई के दौरान ध्यान रखें कि ज्यादा नमी ना हो पाए, क्योंकि ये बीमारियों को बुलावा देती है।
  • स्प्रिंकल सिंचाई के माध्यम से जरबेरा के फूल की खेती में सिंचाई करना अच्छा होता है। 
  • जरबेरा की सिंचाई गर्मियों में 5 दिन के और सर्दियों में 10 दिन के समयांतराल पर करनी चाहिए। 

कीट 

जरबेरा की खेती में चेपा, सफेद मक्खी, सुरंगी कीट, थ्रिप्स आदि हानिकारक कीट लगते हैं।   

बीमारियां 

जरबेरा की खेती में सर्कोस्पोरा स्पॉट्स, जड़ गलन, सफेद फफूंदी, तना गलन आदि बीमारियां लगती हैं। 

जरबेरा में कीट और बीमारियों की रोकथाम 

जरबेरा की खेती में इन कीटों के संक्रमण को रोकने के लिए किसी कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाहनुसार दवाओं का इस्तेमाल करें।  

जरबेरा की कटाई

  • जरबेरा के बीज की रोपाई के 3 महीने बाद जरबेरा पर फूल आना प्रारंभ हो जाते है। 
  • सिंगल किस्म की कटाई पंखुड़ियों की बाहरी 2-3 कतारें खुलने पर और दोहरी किस्म की कटाई फूलों के थोड़ा पकने पर की जाती है।  

जरबेरा की कटाई के बाद 

जरबेरा की कटाई के बाद फूलों को 200 मि.ग्रा. एच. क्यू. सी. और 5% सुक्रोस के घोल में करीब 5 घंटे रखने से कटाई किए गए फूलों की जिंदगी बढ़ सकती है। 

खुले खेत में कटाई करने पर फूलों की औसतन उपज 140-150 फूल प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष और ग्रीन हाउस में कटाई करने पर फूलों की औसतन उपज 225-250 फूल वर्गमीटर प्रति वर्ष होती है।

जरबेरा की कटाई के बाद इनको अलग-अलग कर गत्तों के बक्सों में पैक करके बिक्री के लिए भेजा जाता है। इसके परिणामस्वरूप फूल उत्पादक किसान को अच्छी आय अर्जित होती है। 

निष्कर्ष -

जरबेरा की खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। इसका उपयोग कई सारे समारोह, विवाह आदि में सजावट के लिए किया जाता है। 

इस वजह से इसकी बाजार में वर्षभर मांग बनी रहती है। ऐसे में जरबेरा की खेती करना किसानों के लिए काफी अच्छा विकल्प है।  

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