जरबेरा फूल काफी लोकप्रिय फूल है। यह भारत भर में उगाई जाने वाली अहम फूल की फसल है। जरबेरा एक सजावटी फूलों का पौधा है।
ग्रीन हाउस में उगाने पर इसकी अधिक पैदावार होती है। जरबेरा का अन्य नाम “ट्रांसवल डेज़ी” या “अफ्रीकन डेज़ी” भी है। जरबेरा का फूल कोम्पोसिट श्रेणी के अंदर आता है।
किसान साथियों, अगर भारत की धरती पर जरबेरा के फूल की खेती की बात करें तो यह पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक और गुजरात आदि राज्यों में काफी बड़े स्तर पर उगाया जाता है।
जरबेरा की खेती के लिए हल्की और अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की जरूरत होती है। लाल लेटराइट मिट्टी जरबेरा की खेती के लिए काफी शानदार मानी जाती है। इसकी खेती के लिए मृदा का PH 5.0-7.2 के बीच होना चाहिए।
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फ्रेडोरेला (Fredorella), वेस्टा (Vesta), रेड़ इम्पल्स (Red Impulse), शानिया (Shania), डस्टी (Dusty), रूबी रेड (Ruby Red), तमारा एंड सलवेडोर (Tamara and Salvadore).
फ्रेडकिंग (Fredking), गोल्ड़ स्पॉट (Gold spot), हॉराइजन (Horaizen), तालसा (Talasaa), पनामा (Panama), नदजा (Nadja), सुपरनोवा (Supernova), मम्मुत (Mammut), यूरेनस (Uranus and Fullmoon).
ऑरेंज क्लासिक (Orange Classic), गोलिआथ (Goliath), करेरा (Carrera), मरासोल और कोजक (Marasol and Kozak).
सेल्वाडोर और रोसालिन (Salvadore and Rosalin).
विंटर क्वीन (Winter Queen), स्नो फ्लेक (Snow Flake), डालमा और फरीदा (Dalma and Farida).
वेलेंटाइन (Valentine), मरमरा (Marmara), पिंक ऐलिगेन्स (Pink Elegance), टेराक्वीन और एस्मारा (Terraqueen and Esmara).
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जरबेरा की खेती को खरपतवारों से बचाने के लिए 2 हफ्ते या 4 हफ्ते बाद निराई-गोड़ाई का कार्य जरूर करें।
जरबेरा की खेती में चेपा, सफेद मक्खी, सुरंगी कीट, थ्रिप्स आदि हानिकारक कीट लगते हैं।
जरबेरा की खेती में सर्कोस्पोरा स्पॉट्स, जड़ गलन, सफेद फफूंदी, तना गलन आदि बीमारियां लगती हैं।
जरबेरा की खेती में इन कीटों के संक्रमण को रोकने के लिए किसी कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाहनुसार दवाओं का इस्तेमाल करें।
जरबेरा की कटाई के बाद फूलों को 200 मि.ग्रा. एच. क्यू. सी. और 5% सुक्रोस के घोल में करीब 5 घंटे रखने से कटाई किए गए फूलों की जिंदगी बढ़ सकती है।
खुले खेत में कटाई करने पर फूलों की औसतन उपज 140-150 फूल प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष और ग्रीन हाउस में कटाई करने पर फूलों की औसतन उपज 225-250 फूल वर्गमीटर प्रति वर्ष होती है।
जरबेरा की कटाई के बाद इनको अलग-अलग कर गत्तों के बक्सों में पैक करके बिक्री के लिए भेजा जाता है। इसके परिणामस्वरूप फूल उत्पादक किसान को अच्छी आय अर्जित होती है।
जरबेरा की खेती से किसान काफी अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। इसका उपयोग कई सारे समारोह, विवाह आदि में सजावट के लिए किया जाता है।
इस वजह से इसकी बाजार में वर्षभर मांग बनी रहती है। ऐसे में जरबेरा की खेती करना किसानों के लिए काफी अच्छा विकल्प है।