बेकार समझकर फेंके जाने वाले फूलों से किसान कमा रहा मोटा मुनाफा, जानें कैसे ?

By: tractorchoice
Published on: 20-Aug-2024
बेकार समझकर फेंके जाने वाले फूलों से किसान कमा रहा मोटा मुनाफा, जानें कैसे ?

सफल किसान की कहानी के क्रम में आज हम आपको एक ऐसे किसान से रूबरू कराएंगे, जिन्होंने सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करके फूलों के कचरे से अपना एक शानदार व्यवसाय शुरू किया है। 

दरअसल, हम जिस किसान की बात कर रहे है, उसका किसान का नाम शिवराज निषाद है, जिन्होंने बेकार फूलों से व्यवसाय शुरू किया और आज के समय में हर माह करीब 40,000 रुपये की आय कर रहे हैं। 

फूलों को एक समय के बाद व्यर्थ समझकर फेंक दिया जाता है अथवा फिर गंगा नदी में ऐसे ही ड़ालकर बहा दिया जाता है। वही, एक किसान ने बेकार फूलों से अपना जीवन परिवर्तित कर लिया है। 

बतादें, कि उत्तर प्रदेश के शेखपुर गांव के निवासी किसान शिवराज निषाद ने बेकार फूलों को एक आकर्षक उत्पाद में परिवर्तित कर दिया है। 

बतादें, कि शिवराज निषाद ने 30 साल से भी ज्यादा फार्मास्युटिकल प्रतिनिधि के रूप में लंबे समय तक कार्य किया, जिससे उन्हें कोई विशेष फायदा हांसिल नहीं हो रहा था। 

पैतृक जमीन पर फूल उगाने शुरू किए 

शिवराज निषाद इसकी वजह से अपनी पैत्रिक भूमि पर फूल उगाने का निर्णय लेकर वापिस घर के लिए लौट आए। किसान शिवराज ने फूलों के नष्ट होने की दिक्कत को समझते हुए, उन्होंने शेल्फ लाइफ बढ़ाने और लाभ के नवीन मार्ग खोलने के लिए उन्हें फूलों को सुखाने पर बल दिया। 

सौर ऊर्जा से चलने वाले ड्रायर का उपयोग करके, निषाद अब चमेली और गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाते हैं, जिनका उपयोग फिर चाय की पत्तियों को बनाने के लिए किया जाता है। 

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बेकार समझे जाने फूलों से कमाल कर ड़ाला 

बेकार फूलों के इस बेहतरीन इस्तेमाल से शिवराज ने न सिर्फ फूलों का अच्छा इस्तेमाल किया। बल्कि बाजार में भी फूलों के कारोबार को भी काफी अधिक बढ़ा दिया है। 

शिवराज निषाद की दृढ़ता और दूरदर्शी दृष्टिकोण ने उनके एक ऐसे विचार को सफल व्यवसाय में बदलने में सक्षम बनाया, जिसे कभी मूल्य रहित माना जाता था। 

शिवराज निषाद के मुताबिक, उनके क्षेत्र के किसान अपने फूलों की उपज को बाजार तक बेचने के लिए ले जाने में असमर्थ थे, जिसके चलते फूल खराब हो जाते थे। 

ऐसी स्थिति में किसान अपनी फूल की उपज को गंगा में बहा देते थे। उनके क्षेत्र में एक किलो की फूल की उपज को कोई भी खरीदने वाला नहीं था। 

शिवराज ने औषधीय खेती का विकल्प अपनाया 

दरअसल, इन समस्त चीजों के बावजूद किसान शिवराज ने फूलों में एक विशिष्ट संभावना देखी और फिर उन्होंने औषधीय खेती को अपनाते हुए फूलों के शेल्फ जीवन और बाजार मूल्य को बढ़ाने के तरीकों पर काम करना शुरू किया। 

उनकी कोशिशों से यह एहसास हुआ कि फूलों को सुखाने से उनकी गुणवत्ता को संरक्षित किया जा सकता है। साथ ही, आयुर्वेदिक और हर्बल उद्योग में इस्तेमाल के लिए विकल्प मिल सकते हैं।

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