By: tractorchoice
Published on: 17-Jun-2025
किसान साथियों, ग्वार की सब्जी का सेवन भारतभर के अंदर बड़े पैमाने पर किया जाता है। ग्वार का स्वाद और इसके अंदर मौजूद पोषक तत्व इसको काफी लोकप्रिय सब्जी बनाते हैं।
आपने कभी ना कभी ग्वार की सब्जी का सेवन जरूर किया होगा। क्योंकि ग्वार की फसल का उत्पादन और सेवन हजारों साल से चला आ रहा है।
ग्वार के अंदर सूखा से लड़ने की भी क्षमता होती है। इसलिए इसका उत्पादन सिंचित और असिंचित दोनों इलाकों में किया जाता है।
ग्वार का उत्पादन ऐसे इलाकों में भी होता है, जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ग्वार का इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है। जैसे - सब्जी, हरा चारा, हरी खाद और हरी फलियों का सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है।
ग्वार की खेती के लिए कैसी मिट्टी होनी चाहिए ?
- ग्वार की खेती आम तौर पर हर प्रकार की मिट्टी में उगाई जाती है।
- अगर हम बेहतरीन उपज की बात करें तो समतल चिकनी उपजाऊ मिट्टी है।
- बेहतर जल निकासी वाली जमीन सबसे अच्छी होती है।
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ग्वार की खेती के लिए जलवायु कैसी होनी चाहिए। ?
- ग्वार की अच्छी उपज पाने के लिए नम एवं गर्म जलवायु सही रहती है और इसकी खेती वर्षा ऋतु में भी की जा सकती है।
- ग्वार की अच्छी उपज के लिए 25-30° ब् तापमान सही रहता है।
- ग्वार की फसल वृद्धि के समय 500 से 600 मि.मी. के आसपास बारिश होनी जरूरी है।
भूमि की तैयारी
- ग्वार की फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करना बेहद जरूरी है।
बुबाई का समय
- ग्वार की फसल से अच्छी उपज पाने के लिए जुलाई के पहले सप्ताह में बुवाई करना उत्तम होता है।
ग्वार की प्रमुख किस्में और उपज
ग्वार की सुपर एक्स -7 किस्म
- सुपर एक्स -7 किस्म के पौधो की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है।
- सुपर एक्स -7 किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों इलाकों में उगा सकते हैं।
- सुपर एक्स -7 किस्म को पकने में 80 से 100 दिन लगते हैं।
- सुपर एक्स -7 किस्म से ओसत उत्पादन 6 से 8 क्विंटल / एकड़ होता है।
- सुपर एक्स -7 किस्म का बीज ब्लाईट, जड़ गलन जैसें रोगों के प्रति सहनशील होता है।
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टाइगर ग्वार सीड्स
- टाइगर ग्वार सीड्स ज्यादा शाखाओं एवं ज्यादा फैलाव वाली ग्वार किस्म है, इसके दाने गोल, चमकीले और वजनदार होते हैं।
- टाइगर ग्वार सीड्स जड़ गलन, झुलसा, ब्लाईट जैसे रोगों के लिए प्रतिरोधी है।
- टाइगर ग्वार सीड्स को पककर तैयार होने में 100 से 110 दिन का समय लग जाता है।
- इस किस्म से अधिकतम उत्पादन 7 से 10 क्विंटल / एकड़ तक हांसिल किया गया है।
- यह किस्म समस्त प्रकार की मृदा में उपयुक्त मानी गई है।
ग्वार की एच जी -365 किस्म
- ग्वार की एच जी -365 किस्म विभिन्न शाखाओं के साथ फैली हुई शानदार प्रजाति है।
- यह 60 से 70 दिनों के समयांतराल पर शीघ्रता से पकने वाली किस्म है।
- एच जी -365 किस्म की उपज की बात करें तो 18-20 क्विंटल / हेक्टेयर तक होती है।
ग्वार की कोहिनूर 51 किस्म
- ग्वार की कोहिनूर 51 किस्म का फल अन्य किस्मों से लंबे और हरे रंग के होते हैं।
- कोहिनूर 51 किस्म की फसल 48-58 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है।
- कोहिनूर 51 किस्म को पककर तैयार होने में 90 से 100 दिन का वक्त लगता है।
- कोहिनूर 51 किस्म की ग्वार को किसी भी सीजन में उगाया जा सकता है।
ग्वार की अर्का संपूर्ण किस्म
- ग्वार अर्का संपूर्ण किस्म को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर ने किया है।
- ग्वार अर्का संपूर्ण किस्म के पौधों पर रतुआ एवं चूर्णिल फफूंद का रोग लग जाता है।
- ग्वार की यह किस्म 50 से 60 दिन के समयांतराल पर पककर तैयार हो जाती है।
- ग्वार की अर्का संपूर्ण किस्म से औसत उपज 8 से 10 टन के आसपास होती है।
बीज की मात्रा
- ग्वार के बीज का उत्पादन के लिए 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा देनी चाहिए।
- ग्वार की सब्जी का उत्पादन करने के लिए 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा होनी चाहिए।
- चारा एवं हरी खाद का उत्पादन करने के लिए 40 से 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा होनी चाहिए।
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बीजोपचार
ग्वार की बुवाई से पहले बीज को कार्बेन्डाजिम + केप्टान (1+2) 3 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
बुवाई की विधि
- ग्वार की बुवाई के लिए रेज्ड बेड मेथड सबसे अच्छा होता है।
- ग्वार की जल्दी पकने वाली किस्मों की बुवाई 30ग10 से.मी. का फासला होना चाहिए।
- ग्वार की मध्यम समयावधि में पकने वाली किस्मों के लिए 40ग10 सेमी. का फासला होना चाहिए।
सिंचाई
फसल मे फूल आने और फलियाँ बनने के दौरान वर्षा ना होने पर सिंचाई करने से पैदावार में बढ़ोतरी की जा सकती हैं।
ग्वार की फसल जल जमाव वाले खेत में नहीं उगाई जा सकती है। इसलिए खेत में समुचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण
- ग्वार की फसल में खरपतवार को काबू करने के लिए पहली निदाई-गुडाई 20-25 दिन पर करें।
- ग्वार की फसल में दूसरी निंदाई-गुडाई पहली निदाई-गुड़ाई के 20-25 दिन बाद करनी चाहिए।
ग्वार फसल के लिए हानिकारक कीट
ग्वार की फसल को नुकसान पहुँचाने वाले मुख्य हानिकारक कीटों में एफिड, लीफ हॉपर, सफेद मक्खी, पत्ती छेदक और फली छेदक शामिल है।
ग्वार की कटाई कब करनी चाहिए ?
सब्जी के लिए कटाई
ग्वार की सब्जी बनाने के उद्देश्य से लम्बी, मुलायम और अधपकी फलियाँ तोड़ी जाती हैं।
चारा के लिए कटाई
चारा फसल को फूल आने और 50% प्रतिशत फली बनने की स्थिति में काट लेना ही चाहिए।
बीज के लिए कटाई
- ग्वार के पौधों की पत्तियों के सूखने और फलियों के सूखकर सफेद पड़ने पर कटाई की जाती है।
- कटाई के बाद फसल को धूप में सुखाकर मजदूर या थ्रेशर मशीन द्वारा उसकी थ्रेशिंग (मडाई) करें।
- ग्वार के दानों को धूप में अच्छी तरह सुखा कर भण्डारण कर सकते हैं।
कटाई के बाद
ग्वार की कटाई के बाद आप फसल को मंडियों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
ग्वार का वर्तमान में भाव 4,800 रुपये से 5,100 रुपए के आसपास है।
निष्कर्ष -
ग्वार का उत्पादन कई उद्देश्यों के लिए होने की वजह से इसकी निरंतर मांग और कीमत भी अच्छी मिलती है। ग्वार का उत्पादन करना बड़े लाभ का सौदा है।