लुंगड़ू अथवा फर्न हिमाचल में एक जाना पहचाना नाम है। गर्मियों के मौसम में यहां के पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली लुंगडू की सब्जी का यहां के लोग दशकों से सेवन करते चले आ रहे हैं।
लुंगडू जहां रसायनों से दूर प्रकृति के आगोश में पैदा होता है। वहीं, सब्जी के तौर पर यह काफी ज्यादा स्वादिष्ट भी होता है।
लुंगड़ू में विटामिन ए, विटामिन बी कॉप्लेक्स, पोटाशियम, कॉपर, आयरन, फैटी एसिड, सोडियम, फास्फोरस, मैगनीशियम, कैरोटिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
लुंगडू की सब्जी में मैग्नीशियम, कैल्शियम, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन और जिंक की वजह से इसको कुपोषण से निपटने के लिए भी एक अच्छा स्रोत माना गया है।
यह पहाड़ों में जून से सितंबर माह तक होता है। परंतु, फिलहाल टिशू कल्चर के जरिए से भी इसकी पैदावार होने लगी है, जिसको वर्षभर में कभी भी उगाया जा सकता है।
लुंगडू की सब्जी चर्म व मधुमेह रोग से बचाव करने में काफी सहयोगी होती है। इससे त्वचा काफी ज्यादा अच्छी रहती है। लुंगड़ू हृदय इत्यादि के मरीजों के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है।
सबसे बड़ी और विशेष बात यह है, कि लुंगडू पूर्ण रूप से प्राकृतिक है। लुंगड़ू में मधुमेह समेत अन्य कौन-कौन सी और खतरनाक बीमारियों से लडने व जीतने की शक्ति है, इसका भविष्य में वैज्ञानिक शोध करेंगे।
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लुंगडू की सब्जी का इतिहास काफी प्राचीन है। आईएचबीटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक लुंगडू यानी ड़ाप्लेज़ियम मैक्सिमम एक बड़े पत्तों का फर्न है, जोकि कई मिलियन वर्षों से जीवित रहा है।
यह हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पत्तेदार पौधा है, जिसका इस्तेमाल सब्जी व अचार में हो सकता है।
इसके अत्यधिक नरम घुमावदार हिस्से (क्रोजियर) को मौसमी जून से सितंबर व्यंजन के रूप में खपत किया जाता है। साथ ही, स्थानीय बाजार में लुंगडू के रूप में बेचा जाता है।
हिमालय की पर्वतश्रृंखला व देश भर में लुंगडू की अभी तक 1200 प्रजातियों का पता लगाया गया है। इन में हुए प्रारंभिक शोध से पता चला है, कि इसमें वह गुण है जो मधुमेह इत्यादि बीमारियों से संरक्षण करती है।
यह हिमाचल के अतिरिक्त उत्तराखंड में भी लिंगडा के नाम से ही मशहूर है।
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हिमाचली खाने में इसे सब्जी के साथ तो इस्तेमाल किया ही जाता है। साथ ही, इसका अचार भी तैयार किया जाता है। कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप के अनुसार बेशक इसे यहां सामान्य रूप में देखा जाता हो। परंतु, अमेरिका जैसे देशों में भी इसका लोग काफी इस्तेमाल करते हैं।
सीएसआइआर-आइएचबीटी पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार के अनुसार हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला लुंगडू कुपोषण सहित अन्य कई बीमारियों के लिए बेहतर सब्जी है।
इस पर किए गए शोध से ज्ञात हुआ है, कि इसमें विभिन्न पोषक तत्व भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं। आम तौर पर यह जून व सितंबर के महीने में होता है।
परंतु, संस्थान के वैज्ञानिकों ने शोध करके इसको अब वर्षभर उगाने में सफलता हांसिल की है।