हल्दी भारतीय रसोई की शान होने की वजह से सालभर मांग में बनी रहती है। साथ ही, यह अपने औषधीय गुणों के कारण वैश्विक स्तर पर भी काफी लोकप्रिय है।
जैविक हल्दी की खेती ना सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद व्यवसाय साबित हो सकता है।
जैविक खेती पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ तरीका है। खेती के इस तरीके में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है।
हल्दी को भारतीय केसर के नाम से भी जाना जाता है। हल्दी की खेती से किसान काफी शानदार मुनाफा अर्जित कर सकते है।
ट्रैक्टरचॉइस के इस लेख में आज हम जानेंगे जैविक हल्दी की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में। चलिए जानते हैं, जैविक हल्दी की खेती से संबंधित जरूरी बातों के विषय में।
हल्दी की जैविक खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं :-
जैविक हल्दी की खेती के लिए बेहतर जल निकासी वाली, दोमट या बलुई दोमट मृदा का चयन करना चाहिए। बतादें, कि मृदा का पीएच मान 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
जैविक हल्दी की खेती के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस जलवायु की आवश्यकता होती है। मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, नीम खली आदि का उपयोग करें।
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हमेशा स्वस्थ, रोगमुक्त और जैविक रूप से उगाई गई हल्दी की गांठ का चुनाव करें। गांठें मध्यम आकार की और 2-3 आंखों (कलियों) वाली होनी चाहिए। बुवाई करने से पहले गांठों को गोमूत्र या जैविक फफूंदनाशक से उपचारित करें।
खेतों की जुताई करने के बाद जैविक खाद डालें। इसके बाद 30-45 सेमी की दूरी पर मेड़ (रिज) बनाएं। खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
भारत में हल्दी की बुआई मई-जून के बीच की जाती है। पंक्तियों के बीच 30-45 सेमी और पौधों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें। गांठों को 5-7 सेमी गहराई में बोएं। एक हेक्टेयर ज़मीन में 20-25 क्विंटल गांठों की आवश्यकता होती है।
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हल्दी की फसल को नमी की आवश्यकता होती है। मानसून में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं, लेकिन शुष्क मौसम में 7-10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल करें।
प्रश्न: हल्दी की बुवाई के कितने दिन बाद निराई गुड़ाई करनी चाहिए ?
उत्तर: हल्दी की बुवाई के 30-60 दिन बाद खरपतवार हटाने के लिए हल्की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
प्रश्न : जैविक हल्दी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जरूरी काम क्या है ?
उत्तर : समय पर कीट और रोग प्रबंधन कर जैविक हल्दी के उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
प्रश्न : खेती से अधिक आय हांसिल करने के लिए किसान को क्या करना चाहिए ?
उत्तर : खेती से अच्छी आय हांसिल करने के लिए किसानों को फसल चक्र यानी हल्दी के बाद मूंग, चना या अन्य फसलें उगानी चाहिए।
प्रश्न : जैविक ढ़ंग से हल्दी की खेती कितने दिन में पककर तैयार हो जाती है ?
उत्तर : जैविक ढंग से हल्दी 7-9 महीने में पककर तैयार हो जाती है। हल्दियों की पत्तियां के पीली पड़ने व सूखने पर कटाई करनी चाहिए।