सरसों की फसल रबी सीजन की प्रमुख फसल है। सरसों की फसल को कीटों और रोगों से बेहद खतरा होता है, जिससे इसके उत्पादन में काफी कमी हो जाती है।
साथ ही, किसानों पर आर्थिक बोझ भी काफी हद तक बढ़ जाता है। यदि समय रहते इन रोगों और कीटों का नियंत्रण कर लिया जाए तो सरसों की उपज में बढ़ोतरी की जा सकती है।
झुलसा रोग का प्रकोप पौधों की निचली पत्तियों से प्रारंभ होता है। पत्तियों पर छोटे, हल्के काले, गोल धब्बे बनते हैं। धब्बे में गोल छल्ले स्पष्ट दिखाई देते हैं।
पत्तियों के नीचे के स्तर पर सफेद रंग के गोल फफोले नजर आते हैं। इसके पश्चात सरसों के फूल व फलियों में ज्यादा बढ़ोतरी का शिकार हो जाती है। साथ ही, फूल व पत्तियों की विकृत बढ़ोतरी दिखाई देती है।
पेन्टेड बग कीट, चैंपा (मोयला) कीट, आरा मक्खी कीट सरसों के मुख्य नाशी कीट हैं। वहीं, तना गलन रोग, झुलसा रोग, सफेद रोली रोग और तुलासिता रोग सरसों के मुख्य रोग हैं।
सरसों का यह रोग बेहद ही महत्वपूर्ण है और इस रोग के लगने से पैदावार में कमी आ जाती है।
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पेन्टेड बग कीट का प्रकोप सरसों की फल के अंकुरण के तुरंत बाद होता है। फसल की 7-10 दिन छोटी अवस्था में यह कीट पत्तियों का रस चूसकर फसल को पूरी तरह नष्ट कर देता है।
पेन्टेड बग कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों पत्तियों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधे कमजोर व पीले पड़कर सूख जाते हैं।
पेन्टेड बग कीट की रोकथाम करने के लिए सरसों फसल में शुरुआती अवस्था पर अगर पेन्टेड बग कीट का प्रकोप होता है, तो डाईमिथोएट 30 ई.सी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।
सरसों फसल के अंकुरण के 25-30 दिन में ये कीट अधिक नुकसान पहुंचाता है। आरा मक्खी का अधिक प्रकोप होने पर पत्तियों के स्थान पर शिराओं का जाल ही शेष रह जाता है।
आरा मक्खी कीट की रोकथाम के लिए बुवाई के सातवें दिन मैलाथियॉन 5% फीसदी या कार्बोरिल 5% प्रतिशत चूर्ण 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह या शाम को छिड़काव करें।
इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन बाद दोहराएं।
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चैंपा एक रस चूसने वाला कीट है। यह हरे रंग का छोटा व मुलायम कीट है, जो फसल में फूलों के गुच्छों, कच्ची फलियों और पत्तियों की निचली सतह पर समूह में पाया जाता है।
देरी से की गई बुवाई वाले खेतों में चैंपा कीट का प्रकोप अधिक होता है।
चैंपा का प्रकोप होते ही एक सप्ताह के अंदर पौधे की मुख्य शाखा की 10 सेंटीमीटर की लंबाई में चैंपा कीट की संख्या 20-25 दिखाई देने पर मैलाथियॉन 5% प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें।
मैलथियॉन 50 ई.सी सवा लीटर या डायमिथोऐट 30 ई.सी 875 मिलीलीटर दवा प्रति हेक्टेयर 400-500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण हेतु एजेडिरेक्टीन या नीम तेल आधारित कीटनाशी 500 मिलीलीटर का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।