सितंबर में सरसों की बुवाई करने से पहले इन उन्नत किस्मों के बारे में जानें

By: tractorchoice
Published on: 19-Sep-2024
सितंबर में सरसों की बुवाई करने से पहले इन उन्नत किस्मों के बारे में जानें

भारत सरकार की तरफ से देश में तिलहनी फसलों की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। तिलहनी फसलों में काफी किसान सरसों की खेती करते हैं। 

सरसों की खेती किसानों के लिए अन्य फसलों की तुलना में अधिक सुरक्षित कमाई वाली फसल मानी गई है। साथ ही, सरसों की खेती में गेहूं की अपेक्षा में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। 

ऐसी स्थिति में इसकी खेती सिंचाई की उपलब्धता वाले इलाकों के साथ ही बारानी क्षेत्रों में भी की जाती है। सरसों के तेल से विभिन्न तरह की खाने की चीजें तैयार की जाती हैं। 

वहीं, इसकी खली का उपयोग पशुओं को खिलाने में किया जाता है। ऐसी स्थिति में सरसों की खेती किसानों के लिए हर तरह से लाभकारी मानी जाती है। 

अधिकांश किसान इसके फायदे को ध्यान में रखते हुए इसकी अगेती खेती भी करते हैं। इससे उनको अतिरिक्त फायदा मिलता है। 

रसों की अगेती खेती करने वाले कृषकों को इसकी शीघ्रता से पकने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए, ताकि किसान इनसे ज्यादा उत्पादन के साथ ही तेल की अधिक मात्रा हांसिल कर सकें।

ट्रैक्टर चॉइस के माध्यम से कृषकों को सरसों की अगेती बुवाई के लिए जल्दी पकने वाली टॉप 5 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं। आप इन किस्मों की बुवाई 15 सितंबर के आसपास कर सकते हैं। 

जनवरी में इसकी फसल पककर तैयार हो जाएगी। आइए जानते हैं, इन टॉप 5 सरसों की अगेती किस्म की विशेषता और उत्पादन क्षमता के बारे में।

पूसा सरसों-25 (एनपीजे-112) किस्म

Pusa Mustard-25 (NPJ-112) किस्म सरसों की कम समयावधि में तैयार होने वाली प्रजातियों में से एक है। यह किस्म बुवाई के उपरांत 107 दिन में पककर कटाई के लिए तैयार होती है। यह किस्म सितंबर बहुफसली प्रणाली के लिए उपयुक्त है। इसमें तेल की मात्रा 39.6% फीसद पाई जाती है। 

Pusa Mustard-25 (NPJ-112) की किस्म से औसत बीज उपज 14.7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त की जा सकती है। सरसों की पूसा सरसों-25 किस्म राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाई गई है।

यह भी पढ़ें: सरसों की फसल उत्पादन की सम्पूर्ण जानकारी

सरसों की पूसा महक (जेडी-6) किस्म

सरसों की पूसा महक किस्म उत्तर पूर्वी और पूर्वी राज्यों में सितंबर की बुवाई के लिए अधिक उपयुक्त पाई गई है। इसकी किस्म की खेती राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम, उडीसा, झारखंड में की जा सकती है।

इस किस्म से 17.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत होती है। इस किस्म को पककर तैयार होने में करीब 118 दिन का समय लगता है।

पूसा सरसों 27 (ईजे-17) किस्म 

सरसों की यह Pusa Mustard variety 27 (EJ-17) किस्म बहुफसली प्रणाली के लिए उपयुक्त है। यह उन परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है, जहां किसान गन्ना या कोई सब्जी की फसल लेते हैं। 

इस तरह यह किस्म सितंबर से जनवरी तक चलने वाले खरीफ और रबी सीजन के बीच एक अतिरिक्त फसल के रूप में मुनाफा प्रदान करती है। 

इस किस्म की खेती उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कोटा क्षेत्रों में की जा सकती है। यह किस्म बुवाई के लगभग 118 दिन में पककर तैयार हो जाती है। 

इस किस्म की बीज पैदावार 15.35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इसमें तेल की मात्रा 41.7% फीसद पाई जाती है। यह किस्म अंकुरण और बीज के विकास के दौरान उच्च तापमान के प्रति मध्यम रूप से सहनशील है।

पूसा सरसों 28 (एनपीजे- 124) किस्म

सरसों की यह Pusa Mustard 28 (NPJ- 124) किस्म भी बहुफसली प्रणाली के लिए उपयुक्त किस्म है। इसकी बुवाई सितंबर के माह में की जा सकती है। सरसों की पूसा-28 किस्म की औसत उपज 19.93 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। 

इसके बीजों से 41.5% प्रतिशत तक तेल की मात्रा अर्जित की जा सकती है। यह किस्म बुवाई के 107 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म अंकुरण अवस्था के समय उच्च तापमान को सहन करने में सक्षम है। 

सरसों की पूसा सरसों 28 किस्म की खेती राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों में की जा सकती है।

सरसों की पूसा अग्रणी किस्म 

सरसों की कम अवधि में पकने वाली किस्म में पूसा अग्रणी भी शामिल है। यह किस्म 110 दिन की समयावधि में पककर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म से औसत 13.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 

इस किस्म में तेल की 40% प्रतिशत तक मात्रा पाई जाती है। पूसा अग्रणी किस्म दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के लिए अधिक उपयुक्त पाई गई है।

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